क्या देश के तीन में से दो बुजुर्ग नागरिक असाध्य रोगों से जूझ रहे है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

असाध्य बीमारियों से जूझते बुजुर्गों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. न सरकार को उनकी चिंता है और न उनकी औलादें ही उनकी देखभाल को तैयार हैं. उस देश में, जहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर आधे से ज्यादा केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ नागरिक हों, उस देश के तीन में से दो बुजुर्ग नागरिक असाध्य रोगों से जूझ रहे हों, यह चिंताजनक है.

यह आंकड़ा सरकार ने दो साल पहले जारी किया था, लेकिन इस संबंध में किसी प्रकार की कोई योजना लागू नहीं की गयी है. ऐसे पौने आठ करोड़ से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों का यह आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है. तीन प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ने वाली यह संख्या इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो 2050 में यह संख्या 31.9 करोड़ तक हो जायेगी. खतरे की बात यह है कि इतना सब कुछ जानने-सुनने के बावजूद सरकार कोई ठोस पहल नहीं कर रही है.

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