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क्या वर्ष 2023 आर्थिक दृष्टि से भारत के लिए एक सुनहरा होगा? - श्रीनारद मीडिया

क्या वर्ष 2023 आर्थिक दृष्टि से भारत के लिए एक सुनहरा होगा?

क्या वर्ष 2023 आर्थिक दृष्टि से भारत के लिए एक सुनहरा होगा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत सरकार द्वारा समय समय पर लिए गए कई आर्थिक निर्णयों के चलते सम्भव होता दिखाई दे रहा है। पूरे विश्व में आज ऐसा कोई देश नहीं है जिसमें वर्ष 2015 के बाद से 50 करोड़ के आसपास बैंक खाते खोले गए हों। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय बैंकों में खोले गए उक्त खातों में से 90 प्रतिशत से अधिक खातों में निरंतर व्यवहार किए जा रहे हैं।  देश की एक बहुत बड़ी आबादी को बैंकों के साथ जोड़कर उन्हें वित्तीय रूप से साक्षर बनाया गया है।

साथ ही, भारत में ही वर्ष 2015 के बाद से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3 करोड़ नए मकान केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा नागरिकों को सौंपे गए हैं एवं अभी भी सौंपे जा रहे हैं। इसी प्रकार “हर घर में नल” एक विशेष योजना के अंतर्गत 2.43 करोड़ परिवारों को नल के नए कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। कोरोना जैसी महामारी से अपने नागरिकों को बचाने के उद्देश्य से भारत में अपना स्वयं का स्वदेशी टीका विकसित कर, 220 करोड़ से अधिक कोरोना के टीके मुफ्त ही अपने नागरिकों को लगाए गए हैं, जो कि पूरे विश्व में एक रिकार्ड है। इसके चलते ही भारत में कोरोना जैसी महामारी पर नियंत्रण स्थापित किया जा सका है।

कोरोना जैसी भयंकर महामारी के बीच प्रारम्भ की गई गरीब अन्न योजना, जिसके अंतर्गत दिसम्बर 2023 तक, 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को मुफ्त 5 किलो अनाज उपलब्ध कराया जाता रहेगा। भारत में लगभग 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं, जिसके अंतर्गत परिवार के सदस्यों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा प्रतिवर्ष उपलब्ध रहेगा। इस प्रकार लगभग 50 करोड़ नागरिकों को इस स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है।

आप जरा उक्तवर्णित आंकड़ों पर गौर करें, आज पूरा विश्व ही आश्चर्य चकित है कि भारत में केंद्र सरकार किस प्रकार इतने बड़े स्केल पर भारत की जनता के हितार्थ आर्थिक निर्णय ले रही है एवं इस संबंध में अपने लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करती जा रही है। यहां पर उक्त तो केवल कुछ उदाहरण दिए गए हैं वरना वर्ष 2014 के बाद से इस प्रकार के अनेकों निर्णय कई क्षेत्रों में लिए गए हैं जिनसे पूरा विश्व ही आज हक्का बक्का हो गया है।

वैश्विक स्तर पर भारत ने अभी हाल ही में कई क्षेत्रों में अपनी अगुवाई सिद्ध की है। सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र तो पूरे विश्व में एक तरह से भारतीय मूल के इंजीनियरों द्वारा चलाया जा रहा है। अमेरिका की सिलिकोन वैली इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। भारत में डिजिटल प्लेटफोर्म को जिस प्रकार से शहरों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र एवं दूर दराज के इलाकों तक फैलाया गया है, इसको देखकर पूरा विश्व ही आज आश्चर्यचकित है एवं इस क्षेत्र में विकसित देश भी आज भारत से मार्गदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं। फार्मा उद्योग एक और ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत आज पूरे विश्व के लिए एक फार्मेसी हब बन गया है।

कोरोना महामारी के दौरान भारत ने विश्व के लगभग समस्त देशों को दवाईयां उपलब्ध करवाईं। आज पूरे विश्व में सबसे अधिक दवाईयों एवं टीकों का निर्माण भारत में हो रहा है एवं भारत ही विभिन्न देशों को दवाईयां एवं टीके उपलब्ध करवा रहा है। हाल ही के समय में भारत ने औटोमोबाइल एवं मोबाइल के उत्पादन के क्षेत्र में भी द्रुत गति से विकास किया है। भारत सरकार द्वारा 23 प्रकार के विभिन्न उद्योगों के लिए लागू की गई उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना का लाभ अब इन दो उद्योगों  के साथ ही कुछ अन्य उद्योगों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।

भारत ने पर्यावरण के क्षेत्र में सुधार करने की दृष्टि से भी फोसिल फ़्यूल (डीजल, पेट्रोल एवं कोयला) के उपयोग को कम कर नॉन-फोसिल फ़्यूल  (सूर्य की रोशनी एवं वायु से निर्मित फ़्यूल) के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में भारत ने अपनी अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 70 देशों को मिलाकर एक समूह भी बनाया है जो कि इन सदस्य देशों में नॉन-फोसिल फ़्यूल के उपयोग को बढ़ावा देगा। इससे पूरे विश्व में डीजल, पेट्रोल एवं कोयले पर निर्भरता बहुत कम हो जाएगी।

भारत अभी तक सुरक्षा के क्षेत्र में पूर्णतः आयातित उत्पादों पर ही निर्भर रहता था। छोटे से छोटा उत्पाद भी विकसित देशों से आयात किया जाता रहा है। परंतु हाल ही के समय में भारत ने सुरक्षा के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने की ओर अपने कदम बढ़ा दिये हैं। बल्कि, भारत आज सुरक्षा के कई उपकरणों, मिसाईल एवं हवाई जहाज जैसे उच्च स्तर के उत्पादों सहित, का निर्यात भी करने लगा है।

इसी प्रकार कृषि के क्षेत्र में भी भारत ने अकल्पनीय विकास किया है। अभी हाल ही में रूस एवं यूक्रेन के बीच छिड़े जंग के कारण कई देशों को भारत ने ही गेहूं जैसे खाद्य पदार्थों का निर्यात कर इन देशों के नागरिकों की भूख मिटाने में सफलता पाई। आज भारत से कृषि उत्पादों का निर्यात बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

देश में आज खाद्यान (गेहूं एवं धान) उत्पादों से अधिक दलहन, तिलहन, फल एवं सब्ज़ियों जैसे उत्पादों का अधिक उत्पादन हो रहा है जिससे किसानों की आय में तेज गति से वृद्धि हो रही है एवं जिसके कारण भारत के ग्रामीण इलाकों में गरीबी भी तेजी से कम हो रही है, इसकी सराहना तो विश्व बैंक एवं आईएमएफ ने भी अपने प्रतिवेदनों में की है।

भारत ने हाल ही में यूनाइटेड अरब अमीरात एवं आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते सम्पन्न किए हैं एवं ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीयन यूनियन देशों के साथ भी इस तरह के द्विपक्षीय समझौते शीघ्र ही सम्पन्न किये जा रहे हैं। हाल ही में सम्पन्न किए गए इन समझौतों का प्रभाव भी वर्ष 2023 में पूर्ण तौर पर दिखाई देगा। यूनाइटेड अरब अमीरात तो सम्भावना व्यक्त कर रहा है कि शीघ्र ही उसका भारत के साथ विदेशी व्यापार 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। इस प्रकार की उम्मीद आस्ट्रेलिया एवं ब्रिटेन जैसे देश भी कर रहे हैं। अमेरिका एवं चीन से तो पहिले से ही भारत का व्यापार 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऊपर पहुंच चुका है।

भारत को आर्थिक क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का अभी हाल ही में एक और मौका मिला है। भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता एक वर्ष के लिए सौंपी गई है। जी-20 देशों के समूह की अध्यक्षता भारत को मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि इसलिए मानी जा रही है क्योंकि पूरे विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत हिस्सा इस समूह के देशों से आता है। विश्व में होने वाले विदेशी व्यापार का 78 प्रतिशत हिस्सा इन देशों के बीच से निकलता है।

विश्व के लगभग 90 प्रतिशत पैटेंट एवं ट्रेडमार्क इसी जी-20 समूह के देशों के रजिस्टर होते हैं, अर्थात, विभिन्न क्षेत्रों में अधिकतम नवोन्मेश भी इसी समूह के देशों में हो रहा है। साथ ही, विश्व के दो तिहाई से अधिक आबादी भी इसी समूह के देशों में पाई जाती है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि जी-20 समूह के देशों की आर्थिक नीतियों एवं विदेशी व्यापार को यदि प्रभावित करने में भारत सफल रहता है तो भारत आने वाले समय में पूरे विश्व के आर्थिक पटल पर शीघ्र ही एक दैदीप्यमान सितारे के रूप में चमकेगा।

जिसकी सम्भावना विश्व के विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा अभी से की जा रही है।  वर्ष 2023 में जी-20 देशों के समूह की विभिन्न प्रकार की लगभग 200 बैठकों का आयोजन भारत में विभिन्न शहरों में किया जाएगा। भारत में आयोजित होने वाली इन अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों के लिए विभिन्न राज्यों को अपने शहरों में आधारभूत संरचना का विकास करना होगा जिससे इन शहरों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

आज पूरा विश्व ही अपनी आर्थिक समस्याओं जैसे, मुद्रा स्फीति, बेरोजगारी, तेजी से बढ़ रही आय की असमानता, वित्तीय अस्थिरिता, लगातार बढ़ रहे ऋण, बजटीय असंतुलन आदि  को हल करने के उद्देश्य से भारत की ओर बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। प्राचीन भारत की आर्थिक व्यवस्था पर यदि नजर डालें तो ध्यान में आता है कि प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी एवं उस समय पर भारत में अर्थव्यवस्था को धर्म के आधार पर चलाया जाता था जिसके कारण उक्त वर्णित किसी भी प्रकार की समस्या पाए जाने का जिक्र हमारे भारतीय इतिहास में नहीं मिलता है।

अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों का वर्णन भारत के शास्त्रों में मिलता है, जिनके अनुसार उस समय पर अर्थव्यवस्था का संचालन होता था एवं अर्थ से सम्बंधित समस्याएं लगभग नहीं के बराबर रहती थी। इस प्रकार अब समय आ गया है जब भारत को धर्म पर आधारित आर्थिक निर्णयों को लेकर पूरे विश्व को राह दिखानी चाहिए ताकि पूरे विश्व में व्याप्त आर्थिक क्षेत्र की समस्याओं को दूर किया जा सके।

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