वसंत पंचमी :700 साल बाद पंच महायोग में मनेगा पर्व

वसंत पंचमी :700 साल बाद पंच महायोग में मनेगा पर्व

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ज्ञान, विद्या और कला की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पंचमी कल है। इस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी और गुरुवार है। साथ ही बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। वहीं, ग्रहों की खास स्थिति से पंच महायोग भी बन रहा है। जिससे इस पर्व की शुभता और बढ़ जाएगी। ज्योतिषियों का कहना है कि वसंत पंचमी पर ऐसा शुभ संयोग पिछले 700 सालों में नहीं बना।

इस पर्व पर ग्रहों के संयोग के बारे में ज्योतिषीय ग्रंथों के हवाले से पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि बसंत पंचमी पर गजकेसरी, वरिष्ठ, हर्ष, शुभकर्तरी और शिव योग बनेंगे। सन् 1600 से अब तक के ग्रहों की गणना करने पर भी ऐसा महा संयोग नहीं बना। ये पंच महायोग खरीदारी, नई शुरुआत और विद्यारंभ संस्कार के लिए बेहद शुभ रहेंगे।

लोक परंपराओं के चलते वसंत पंचमी को शादी के लिए अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है। वहीं, 22 जनवरी से गुप्त नवरात्र भी शुरू हो चुके हैं। इस तरह बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन भी कई मायनों में शुभ फलदायक होगा।

बृहस्पति नव सृजन का कारक, रंग पीला
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी बताते हैं कि ज्योतिष विज्ञान में बृहस्पति को नव सृजन का कारक माना जाता है। जो कि शुभ शुरुआत का ग्रह होता है। जिसका रंग पीला होता है। पीला रंग आशावान और सकारात्मक सोच का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में ये रंग बहुत शुभ माना जाता है। ये सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है।

गुरु ग्रह धनु और मीन राशि के स्वामी है। किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य को शुरू करते समय गुरु की मजबूत स्थिति का विचार किया जाता है। इस दिन ये ग्रह खुद की राशि यानी मीन में रहेगा। इस कारण शिक्षा, ज्ञान- विज्ञान, अध्यात्म, धर्म-संस्कृति, जन स्वास्थ्य आदि कार्य क्षेत्रों में सुधार और प्रगति के योग बनेंगे।

आमतौर पर वसंत पंचमी और वसंत ऋतु को जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इन दोनों का कोई संबंध नहीं है। इस बारे में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरूपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि वसंत पंचमी देवी सरस्वती के प्रकट होने का उत्सव है। वहीं, इस साल वसंत ऋतु 15 मार्च से शुरू होगी। इसलिए इस पर्व पर देवी सरस्वती की विशेष पूजा होती है। विद्यार्थियों के साथ संगीत और लेखन से जुड़े लोगों के लिए भी ये दिन ज्यादा खास होता है। इस दिन कोई नई विद्या सीखने की शुरुआत कर सकते हैं। इसे वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी भी कहा जाता है।

सरस्वती का प्राकट्य दिवस ऐसे बना वसंत पंचमी
माघ मास की पंचमी पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। देवी के प्रकट होने पर सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की थी। सभी देवता आनंदित थे। इसी आनंद की वजह से बसंत राग बना। संगीत शास्त्र में बसंत राग आनंद को ही दर्शाता है। इसी आनंद की वजह से देवी सरस्वती के प्रकट उत्सव को वसंत और बसंत पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।

Leave a Reply

error: Content is protected !!