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बिहार में खेत से लेकर सड़क तक बिछी ओलों की परत - श्रीनारद मीडिया

बिहार में खेत से लेकर सड़क तक बिछी ओलों की परत

बिहार में खेत से लेकर सड़क तक बिछी ओलों की परत

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर भारत में शुक्रवार को मौसम ने एकाएक करवट बदली और कई राज्यों में तेज आंधी के साथ वर्षा ने किसानों के लिए परेशानी बढ़ा दी। पहले जहां बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं की नुकसान हुआ और अब वर्षा और ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी फसल को बिछा दिया।

बिहार में गुरुवार की रात से शुक्रवार सुबह तक हल्की वर्षा और तेज हवा के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे सड़क से लेकर खेतों तक ओले की मोटी परत बिछ गई। मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी में सर्वाधिक ओलावृष्टि हुई है। ऐसे में गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी क्षति हुई है। आम व लीची के बौर भी गिरे हैं। इसके अलावा यहां व्रजपात से एक की मौत भी हुई है।

ओलावृष्टि की सर्वाधिक मार शिवहर में पड़ी

वहीं, उत्तर प्रदेश और पंजाब के भी कई जिलों में सरसों और गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। आलू की फसल को भी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। बिहार में ओलावृष्टि की सर्वाधिक मार शिवहर में पड़ी है। यहां करीब लगभग सात हजार एकड़ गेहूं की खेती प्रभावित हुई है। ये फसलें गिर गई हैं। कई जगह बालियां भी टूटी हैं।

यहां एक हजार एकड़ में रबी की अन्य फसलें हैं, इन्हें भी नुकसान हुआ है। मक्का गिर गया है। 500 एकड़ में आम के बाग से मंजर गिरे हैं। तेज हवा के कारण जिले में 30 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक पोल व पेड़ भी गिरे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, माधोपुर के विज्ञानी डा. धीरू तिवारी के अनुसार यदि इस तरह का मौसम दो-तीन दिन तक रहता है तो इससे आम पर फफूंद का आक्रमण हो सकता है। गन्ने की फसल को लाभ हुआ है।

कानपुर में गुरुवार शाम तेज हवा और बूंदाबांदी के बाद शुक्रवार सुबह कई जिलों में आंधी-पानी से किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। किसान सरसों की कटाई और आलू की खोदाई कर रहे हैं। अचानक आंधी-पानी से किसान खेत पर खुदे पड़े आलू के ढेर को तिरपाल से ढक रहे हैं। हवा के साथ बरसात होने से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल खेतों में गिरने लगी है। खेत में खुदे पड़े आलू में भी नुकसान की संभावना बढ़ गई।

पंजाब के खेतों में बिछी गेहूं और सरसों की फसल

पश्चिमी विक्षोभ के कारण पंजाब के कई जिलों में शुक्रवार को तेज हवाओं के बीच वर्षा के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे गेहूं व सरसों की फसल खेतों में बिछ गई। पहले बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं की ग्रोथ प्रभावित हुई, अब वर्षा ने खड़ी फसल पर पानी फेर दिया, जिससे किसानों की ¨चता बढ़ गई है। कृषि विभाग फसलों के नुकसान का आकलन लगाने में जुट गया है।

चंडीगढ़ मौसम विभाग के डायरेक्टर डा. मनमोहन सिंह ने कहा, किसानों को आगाह किया गया है कि जब तक मौसम साफ नहीं हो जाता, फसलों की सिंचाई न करें।

मप्र में बना मानसून जैसा माहौल

मध्य प्रदेश में मार्च में ही मानसून जैसा माहौल बन गया है। वर्तमान में अलग-अलग स्थानों पर छह मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं। उनके प्रभाव से बादल छा गए हैं। कई क्षेत्रों में तेज हवाएं चलने के साथ वर्षा और ओलावृष्टि भी हुई है। शुक्रवार सुबह रतलाम, रायसेन, उज्जैन और नर्मदापुरम में वर्षा हुई। बेमौसम आई आंधी और वर्षा के कारण खेतों में खड़ी व काटकर रखी फसलों को भारी नुकसान होने का अनुमान है।

कई इलाकों में लगभग 15 मिनट तक गिरे ओलों से सड़कों पर उनकी परत बिछ गई। बीते एक हफ्ते से थोड़े-थोड़े अंतराल में बिगड़ रहे मौसम ने किसानों का नुकसान बढ़ा दिया है।

नैनीताल में भारी वर्षा और ओलावृष्टि

उत्तराखंड में शुक्रवार को मौसम का मिजाज बदला रहा। सरोवर नगरी में दोपहर एक बजे मौसम ने तेजी से करवट बदली। तेज वर्षा के साथ ओलावृष्टि से करीब तीन घंटे तक पूरा नगर ठहर सा गया। सड़क समेत भवनों की छतों व अन्य स्थानों पर ओलों की सफेद चादर बिछ गई।

मौसम में बदलाव के लिए तीन कारक जिम्मेदार

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि मौसम में इस बदलाव के लिए तीन कारक जिम्मेदार हैं। पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है तो राजस्थान से एक अक्षीय रेखा महाराष्ट्र की ओर बढ़ रही है। इसके अलावा निचले स्तर पर चल रही नमी भरी हवाओं और मध्यम स्तर पर बह रही शुष्क पश्चिमी हवाओं का टकराव भी मौसम में आए इस बदलाव की एक बड़ी वजह है।

बारिश से किसानों की बढ़ी चिंता

एक तरफ जहां बारिश होने से लोगों को गर्मी से राहत मिली है, वहीं किसानों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। शुक्रवार को भी दिन भर बादल छाए रहे। बता दें, इस समय आलू की खुदाई हो रही है। सरसों की फसल भी पककर तैयार है, लेकिन बारिश होने से किसानों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लग सकता है। किसानों का कहना है कि अगर बारिश होती है तो आलू खेत में ही सड़ जाएगा। सरसों की बाली भी टूटकर जमीन पर गिर जाएगी। इससे हमें काफी नुकसान होगा। हमारी फसल नष्ट हो जाएगी, जिससे सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।

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