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प्रोजेक्ट एलीफेंट' के 30 वर्ष पूरे होने पर हाथियों की DNA प्रोफाइलिंग क्या हैं? - श्रीनारद मीडिया

प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के 30 वर्ष पूरे होने पर हाथियों की DNA प्रोफाइलिंग क्या हैं?

प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के 30 वर्ष पूरे होने पर हाथियों की DNA प्रोफाइलिंग क्या हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए MoEF&CC ने बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 270 हाथियों के DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) प्रोफाइलिंग को पूरा करने की घोषणा की है।

परियोजना:

  • वन अधिकारियों हेतु गज सूचना मोबाइल एप्लीकेशन DNA प्रोफाइलिंग अगस्त 2022 में शुरू की गई थी।
    • DNA प्रोफाइलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक विशिष्ट DNA पैटर्न, जिसे प्रोफाइल कहा जाता है, को शारीरिक ऊतक के नमूने से प्राप्त किया जाता है।
  • DNA प्रोफाइलिंग ‘बंदी हाथियों के आधार कार्ड’ के रूप में कार्य करेगी।
    • इसके लिये बंदी हाथियों पर पहले इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाया गया था, लेकिन यह विधि सफल नहीं रही।
  • मोबाइल एप के साथ वन अधिकारी प्रत्येक हाथी की पहचान कर सकते हैं तथा उसे ट्रैक कर सकते हैं और इसलिये उसके स्थानांतरण, जो अक्सर बंदी हाथियों के मामले में देखा जाता है, को दर्ज किया जा सकता है।
  • हाथियों की प्रोफाइलिंग के बाद उनके बारे में अनूठी जानकारी प्राप्त करने सहित हाथियों की देखभाल पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है।
    • प्रोजेक्ट टाइगर के विपरीत प्रोजेक्ट एलीफेंट का उद्देश्य बंदी हाथियों के कल्याण और स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना है।

प्रोजेक्ट एलीफेंट:

  • इसे वर्ष 1992 में हाथियों की रक्षा और उनके आवास और गलियारों में सुधार, मानव-हाथी संघर्ष को कम करने एवं उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था।
  • 80,777 वर्ग किमी. में फैले हाथियों के 33 रिज़र्व को अधिसूचित किया गया है।
  • यह राज्यों द्वारा जंगली एशियाई हाथियों की मुक्त-आबादी के लिये वन्यजीव प्रबंधन प्रयासों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • परियोजना का उद्देश्य हाथियों, उनके आवासों एवं प्रवासन गलियारों की रक्षा कर उनके प्राकृतिक आवासों में हाथियों की आबादी के दीर्घकालिक अस्तित्त्व को सुनिश्चित करना है।
  • प्रोजेक्ट एलीफेंट का अन्य लक्ष्य हाथियों के पारिस्थितिकी और प्रबंधन हेतु अनुसंधान का समर्थन करना, स्थानीय लोगों के बीच संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा बंदी हाथियों के लिये बेहतर पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान करना।

भारत में हाथियों की जनसंख्या:

  • वैश्विक रूप से बंदी एशियाई हाथियों की आबादी का 20% भारत में निवास माना जाता है, किंतु बंदी हाथियों की गणना नियमित रूप से नहीं की जाती है।
  • भारत में एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी और स्थिर आबादी है, जहाँ 60% से अधिक जंगली एशियाई हाथी भारत में हैं।
    • नीलगिरि क्षेत्र में विश्व की लुप्तप्राय एशियाई हाथी की सबसे बड़ी एकल आबादी है।
  • वर्ष 2017 में आयोजित अंतिम हाथी जनगणना में हाथियों की संख्या 29,964 दर्ज की गई थी जो भारतीय संस्कृति में निहित वन्यजीव संरक्षण के प्रति उत्साह को दर्शाती है।
    • हाथियों की जनगणना (वर्ष 2017) के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक (6,049) है, इसके बाद असम (5,719) एवं केरल (3,054) का स्थान है।

हाथियों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • एशियाई हाथी: एशियाई हाथी की तीन उप-प्रजातियाँ, भारतीय, सुमात्रन और श्रीलंकाई हैं।
    • वैश्विक जनसंख्या: 20,000 से 40,000 अनुमानित।
    • इस महाद्वीप के अधिकांश हाथी भारतीय उप-प्रजातियों के हैं, और इन प्रजातियों की संख्या सबसे अधिक है।
    • IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I।
    • CITES: परिशिष्ट I
  • अफ्रीकी हाथी: अफ्रीकी हाथियों की दो उप-प्रजातियाँ हैं, सवाना (या झाड़ी) हाथी और वन हाथी।
    • वैश्विक जनसंख्या: लगभग 4,00,000
    • IUCN रेड लिस्ट स्थिति: सुभेद्य
    • इससे पूर्व जुलाई 2020 में बोत्सवाना (अफ्रीका) में सैकड़ों हाथियों की मौत हुई थी।
  • चिंताएँ:
    • हाथियों के शिकार में वृद्धि।
    • प्राकृतिक वास की क्षति।
    • मानव-हाथी संघर्ष।
    • संरक्षण हेतु कैद में रखे जाने के दौरान अनुचित प्रबंधन।
    • हाथियों के पर्यटन से संबंधित नुकसान।

संरक्षण के लिये उठाए गए कदम:

 

 

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