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स्वच्छ भारत मिशन-शहरी’ की स्थिति क्या है? - श्रीनारद मीडिया

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी’ की स्थिति क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने कहा कि स्वच्छता न केवल हर सरकारी योजना में बल्कि नागरिकों के जीवन में भी एक मूलभूत सिद्धांत बन गया है।

  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) जनभागीदारी के सिद्धांत को स्थापित करने वाला पहला बड़े पैमाने का कार्यक्रम था।
  • इसके अलावा भारत के शून्य अपशिष्ट 2023 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में, ‘स्वच्छोत्सव- 2023: अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये रैली’ नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।

शून्य अपशिष्ट का अंतर्राष्ट्रीय दिवस:

  • शून्य अपशिष्ट का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, 30 मार्च 2023 को पहली बार मनाया गया और संयुक्त रूप से UNEP एवं UN-हैबिटेट द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
    • इसका उद्देश्य शून्य अपशिष्ट एवं ज़िम्मेदार खपत तथा उत्पादन प्रथाओं और शहरी अपशिष्ट प्रबंधन के सतत् विकास को प्राप्त करने में योगदान के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • यह दिन हमारी प्रथाओं पर पुनर्विचार करने एवं जलवायु परिवर्तन, प्रकृति के नुकसान तथा प्रदूषण के तिहरे ग्रहीय संकट (Triple planetary crisis) को दूर करने तथा ग्रह एवं मानवता को स्वास्थ्य और समृद्धि के मार्ग पर लाने के लिये एक कुंजी के रूप में एक चक्रिय अर्थव्यवस्था को अपनाने का आह्वान करता है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी की स्थिति:  

  • उपलब्धियाँ:
    • खुले में शौच से मुक्त (ODF):
      • शहरी भारत सभी 4,715 शहरी स्थानीय निकायों (ULB) के साथ पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त (ODF) हो गया है।
      • कार्यात्मक तथा स्वच्छ समुदाय और सार्वजनिक शौचालयों के साथ 3,547 स्थानीय शहरी निकाय ODF+ हैं तथा 1,191 स्थानीय शहरी निकाय पूर्ण मल कीचड़ प्रबंधन के साथ ODF++ हैं।
    • अपशिष्ट प्रसंस्करण: 
      • भारत में अपशिष्ट प्रसंस्करण वर्ष 2014 के 17% से 4 गुना बढ़कर व वर्ष 2023 में 75% हो गया है, 97% वार्डों में 100% डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रह और देश के सभी स्थानीय शहरी निकायों में लगभग 90% नागरिकों द्वारा अपशिष्टों के स्रोत पर पृथक्करण का अभ्यास किया जा रहा है।
    • कचरा मुक्त शहर: 
      • जनवरी 2018 में शुरू किया गया कचरा मुक्त शहर (GFC)-स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल पहले वर्ष के 56 शहरों से बढ़कर 445 शहर हो गया है, जिसमें अक्तूबर 2024 तक कम-से-कम 1,000 3-स्टार कचरा मुक्त शहर (GFC) बनाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य है।
        • वर्ष 2023-24 के बजट में सूखे और गीले अपशिष्टों के वैज्ञानिक प्रबंधन पर अधिक ध्यान देकर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को मज़बूत किया गया है।
    • महिलाओं का योगदान: 
      • कचरा मुक्त शहर के लिये रैली:
        • कचरा मुक्त शहरों के लिये रैली एक महिला नेतृत्त्व वाला जन आंदोलन है, जहाँ लाखों नागरिकों ने अपनी सड़कों, पड़ोस और पार्कों की सफाई की ज़िम्मेदारी ली है।
      • ‘स्टोरीज़ ऑफ चेंज’ संग्रह:
        • ‘स्टोरीज़ ऑफ चेंज’ संग्रह में 300 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह सदस्यों की कुछ ऑन-ग्राउंड अद्वितीय सफलताओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल सीखने हेतु शहरों में सर्वेक्षण किया है।
        • शहरी भारत में एक उद्यम के रूप में 4 लाख महिलाएँ सीधे स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन में लगी हुई हैं, जो महिलाओं को गरिमा एवं आजीविका के अवसर प्रदान करता है।
  • चुनौतियाँ:
    • अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना का अभाव: भारत में अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने  हेतु अवसंरचना और संसाधनों की कमी है। कई शहरों में पर्याप्त लैंडफिल साइट्स, अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं एवं अपशिष्ट संग्रह प्रणालियों की कमी है।
      • उदाहरण के लिये दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल साइट में  क्षमता से अधिक अपशिष्ट  का जमाव हो गया है, जिसके कारण वायु और जल प्रदूषण हो रहा है, साथ ही यह आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर रहा है।
    • अस्थिर पैकेजिंग: ऑनलाइन खुदरा और खाद्य वितरण एप्स की लोकप्रियता बड़े शहरों तक ही सीमित है, जो प्लास्टिक अपशिष्ट में वृद्धि में योगदान दे रही है।
      • ई-कॉमर्स कंपनियाँ भी प्लास्टिक पैकेजिंग के ज़्यादा इस्तेमाल को लेकर संकट में  हैं।
      • साथ ही पैक किये गए उत्पादों के साथ सामान्यतः कोई निपटान निर्देश शामिल नहीं होते हैं।
    • डेटा संग्रह तंत्र का अभाव: भारत में ठोस या तरल अपशिष्ट के संबंध में टाइम डेटा या पैनल डेटा का अभाव है।
      • इसलिये देश के अपशिष्ट नियोजकों हेतु अपशिष्ट प्रबंधन की अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करना बहुत कठिन है।

आगे की राह

  • शहरी खाद केंद्र: जैविक कचरे को पुन: उपयोगी बनाने के लिये शहरों में खाद केंद्र स्थापित किये जा सकते हैं, जिससे मृदा में कार्बन की मात्रा में वृद्धि और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
    • खाद मृदा में कार्बन को फिर से एकत्रित करके कार्बन डाइऑक्साइड पृथक्करण में भी मदद करेगी।
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्त्व: यह सुनिश्चित करने के लिये भारत में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्त्व के लिये तंत्र को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि उत्पाद निर्माताओं को उनके उत्पादों के जीवन चक्र के विभिन्न भागों के लिये वित्तीय रूप से उत्तरदायी बनाया जा सके
    • इसमें चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में वस्तुओं के उपयोगी न रहने की स्थिति में टेक-बैक, पुनर्चक्रण और अंतिम निपटान शामिल है।
  • अपशिष्ट और अपशिष्ट-बीनने वालों के प्रति व्यवहार परिवर्तन: अपशिष्ट को अक्सर अनुपयोगी माना जाता है, और इससे अपशिष्ट संग्राहक स्वयं को अक्सर अलग-थलग महसूस करते हैं। इस धारणा को बदलने और उचित अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • साथ ही ULB को कूड़ा बीनने वालों को उनके सामाजिक समावेशन के बारे में जनता को प्रोत्साहन और जागरूकता फैलाकर पुरस्कृत करना चाहिये।
  • कूड़ा बीनने वालों को शामिल करना न केवल उनके स्वयं के स्वास्थ्य और आजीविका के लिये बल्कि नगरपालिकाओं की अर्थव्यवस्था के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।

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