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हाथियों का स्थानांतरण क्या है? - श्रीनारद मीडिया

हाथियों का स्थानांतरण क्या है?

हाथियों का स्थानांतरण क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केरल सरकार की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें मुन्नार के “राइस टस्कर” अरिकोम्बन (जंगली हाथी) को परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था।

हाथी स्थानांतरण के पक्ष में तर्क:

  • केरल उच्च न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पुनर्वास स्थल में प्राकृतिक भोजन एवं जल संसाधनों की उपलब्धता हाथी को मानव बस्तियों में भोजन की तलाश में जाने से रोकेगी।
  • न्यायालय ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हाथी को रेडियो कॉलर लगाया जाएगा तथा वन/वन्यजीव अधिकारियों द्वारा उनकी गतिविधियों की निगरानी की जाएगी, जो किसी भी संघर्ष की स्थिति के कारण अचानक आने वाले संकट को प्रभावी ढंग से दूर करेगा।

हाथी के स्थानांतरण के विरोध में तर्क:

  • भारत का पहला रेडियो-टेलीमेट्री अध्ययन वर्ष 2006 में दक्षिण बंगाल के पश्चिम मिदनापुर की फसल वाली भूमि से दार्जिलिंग ज़िले के महानंदा वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित एक बड़े नर हाथी पर किया गया था।
    • लगभग तुरंत ही हाथी ने गाँवों एवं सेना क्षेत्रों में घरों पर हमला तथा फसलों को क्षति पहुँचाना शुरू कर दिया था।
  • वर्ष 2012 में एशियाई हाथियों के स्थानांतरण समस्या पर एक अध्ययन किया गया था, जिसमें जीव-विज्ञानियों की एक टीम ने श्रीलंका के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में 16 बार स्थानांतरित किये गए 12 नर हाथियों की निगरानी की थी।
    • अध्ययन में पाया गया कि स्थानांतरण के कारण मानव-हाथी संघर्ष की व्यापक स्थिति और इसमें तीव्रता हुई, जिसके कारण हाथियों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई।
  • दिसंबर 2018 में विनायगा बैल जिसे फसलों की व्यापक क्षति करने हेतु जाना जाता है, को कोयंबटूर से मुदुमलाई-बांदीपुर क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था।
    • यह फसलों को क्षति पहुँचाने हेतु हाथियों से सुरक्षित रहने के लिये बनाई गई खाई को भी पार कर जाता था।

हाथी: 

  • परिचय:
    • हाथी भारत का प्राकृतिक धरोहर पशु है।
    • हाथियों को “कीस्टोन प्रजाति” माना जाता है क्योंकि वे वन पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन और स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • वे अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता हेतु जाने जाते हैं, जिनका स्थलीय जानवरों में सबसे बड़ा मस्तिष्क होता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्व: 
    • हाथी बहुत महत्त्वपूर्ण चरने वाले और ब्राउज़र (ऐसा जानवर जो पत्तियों, ऊँचे उगने वाले पौधों के फल, मुलायम अंकुर झाड़ियों को खाने में माहिर होता है) हैं, क्योंकि वे प्रत्येक दिन भ्रमण करते हुए बड़ी मात्रा में वनस्पतियों को खा जाते हैं और साथ ही इन वनस्पतियों के बीजों को चारों ओर फैलाते हैं।
      • वे एशियाई परिदृश्य की प्रायः सघन वनस्पति को आकार देने में भी मदद करते हैं।
  • उदाहरण के लिये वनों में सूरज की रोशनी को नए अंकुरों तक पहुँचने में हाथी काफी मदद करते हैं, वे पौधों को बढ़ने में मदद करते हैं तथा वनों को प्राकृतिक रूप से पुन: उत्पन्न होने में मदद करते हैं।
  • सतही जल नहीं होने की स्थिति में हाथी जल के लिये खुदाई में भी मदद करते हैं जिससे अन्य प्राणियों के साथ-साथ स्वयं के लिये भी जल तक पहुँच सुनिश्चित करने में मदद प्राप्त हो सकती है।
  • भारत में हाथियों की स्थिति:
    • प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार, भारत में जंगली एशियाई हाथियों की संख्या सबसे अधिक है, इनकी अनुमानित संख्या 29,964 है।
      • यह इन प्रजातियों की वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।
    • कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
  • संरक्षण की स्थिति:
    • प्रवासी प्रजातियों का अभिसमय (CMS): परिशिष्ट I
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
    • IUCN रेड लिस्ट में सूचीबद्ध प्रजातियाँ:
      • एशियाई हाथी- लुप्तप्राय
      • अफ्रीकी वन हाथी- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
      • अफ्रीकी सवाना हाथी- लुप्तप्राय
  • संरक्षण हेतु किये गए अन्य प्रयास:
    • भारत:
      • भारत सरकार ने 1992 में भारत में हाथियों और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा के लिये प्रोजेक्ट एलीफेंट की शुरुआत की थी।
      • हाथियों के संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध भारत में हाथी रिज़र्व की संख्या 33 है।
    • वैश्विक स्तर पर:
      • विश्व हाथी दिवस: हाथियों की रक्षा और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है।
      • एशियाई और अफ्रीकी दोनों हाथियों की गंभीर स्थिति को उजागर करने के लिये वर्ष 2012 में इस दिवस की स्थापना की गई थी।
    • हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (माइक) कार्यक्रमयह एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जो हाथियों की मृत्यु दर के स्तर, प्रवृत्तियों और कारणों को मापता है, जिससे एशिया और अफ्रीका में हाथियों के संरक्षण से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय निर्णय लेने व समर्थन करने के लिये एक सूचना आधार प्रदान करता है।

आगे की राह  

  • स्थानांतरण प्रभाव आकलन:
    • हाथियों की प्रत्येक समस्या और उनके संभावित स्थानांतरण स्थल की विशिष्ट परिस्थितियों एवं विशेषताओं पर सावधानीपूर्वक विचार करना आवश्यक है।
      • प्राकृतिक भोजन और जल संसाधनों की उपलब्धता, आवास उपयुक्तता और संभावित जोखिमों एवं स्थानांतरण की चुनौतियों का आकलन करने के लिये गहन शोध तथा विश्लेषण किया जाना चाहिये।
  • निगरानी और प्रबंधन:
  • स्थानांतरण के बाद की निगरानी और किसी भी संभावित संघर्ष को कम करने के उपायों सहित उचित निगरानी एवं प्रबंधन योजनाएँ भी होनी चाहिये।
    • जबकि हाथियों की स्थानांतरण समस्या को मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की रणनीति के रूप में माना जा सकता है, इसे सावधानी से किया जाना चाहिये और ध्वनि वैज्ञानिक अनुसंधान, सामुदायिक जुड़ाव तथा व्यापक प्रबंधन आधारित योजना दोनों की भलाई सुनिश्चित करने, हाथियों और स्थानीय समुदायों के बीच संभावित जोखिम को कम करने के लिये होनी चाहिये।
  • हाथियों के स्थानांतरण का विकल्प: 

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