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राजनीति का कार्य है कि मानव सुरक्षा के लिए तत्काल कानून बनाए,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

राजनीति का कार्य है कि मानव सुरक्षा के लिए तत्काल कानून बनाए,कैसे?

राजनीति का कार्य है कि मानव सुरक्षा के लिए तत्काल कानून बनाए,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 जब भारतीय राजनीति में नई संसद को लेकर तूफान उठ रहा था, उन्हीं दिनों दुनिया की राजनीति के सबसे बड़े इश्यू क्या थे? संसार के बड़े विचारकों-टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों ने विश्व राजनेताओं से याचना की। कहा, सबसे अहम सवाल है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा उत्पन्न दुनिया-मानव के भविष्य-अस्तित्व से जुड़ी चुनौतियों का। राजनीति का ही फर्ज है कि मानव सुरक्षा के तत्काल कानून बनाए।स्वाभाविक है संसार की सरकारों के लिए आज यह सबसे अहम मुद्दा है।

अमेरिकी न्यायपालिका सीनेट कमेटी 16 मई को एआई के नियंत्रण पर मंत्रणा कर रही थी। खुद चैट जीपीटी के ईजादकर्ता आल्टमैन कमेटी के सामने थे। इस खोज के मस्तिष्क ने अमेरिकी सीनेट कमेटी को बताया, यह टेक्नोलॉजी गलत हुई तो भारी नुकसान होगा। सरकार के साथ मिलकर हम यह नुकसान रोकना चाहते हैं। शायद पहली बार प्राइवेट सेक्टर और खुद एक तकनीक के आविष्कारकर्ता सीनेट कमेटी से याचना कर रहे हैं, कानून बनाकर इसे रोकिए।

जबकि निजी क्षेत्र हमेशा सरकारों को बरजता रहा है कि न्यूनतम कानून हों, ताकि प्रतिभाएं बंधन रहित होकर फलें-फूलें। एक सीनेटर ब्लू मेंथल ने कहा, सोशल मीडिया से जो शुरुआत में नुकसान हुए, उसे रोकने में हम विफल रहे। इसकी कीमत चुकाई। अब सरकारें बच्चों के ऑनलाइन सुरक्षा संबंधित कानून बना रही हैं।

ब्रिटिश संसद की ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी’ एआई से जुड़े गवर्नेंस समेत ग्यारह क्षेत्रों का अध्ययन कर रही है। क्वांटम टेक्नोलॉजी से संबंधित पहलुओं का भी। यूरोपीय संघ संसद की भी विशेष कमेटी है, ‘एआई इन डिजिटल एज टु डेवलप ए लॉन्ग टर्म स्ट्रेटजी’। इसकी रिपोर्ट 2022 में आई। कनाडा मार्च में दुनिया का पहला मुल्क बना जिसने नया कानून प्रस्तावित किया है- ‘एआई एंड डाटा एक्ट’।

भारत में नीति आयोग ने ‘रिस्पांसिबल एआई फॉर ऑल’ पर कई नोट्स तैयार किए हैं। सरकार की रिपोर्ट है- ‘नेशनल स्ट्रेटजी फॉर एआई’। हाल में भारत सरकार के संबंधित मंत्री ने कहा भी है कि यह मुद्दा केंद्र सरकार और उनकी प्राथमिकता में है। दुनिया की सभी विधायिकाओं व दलों-विचारों को इस पर एकमत होकर काम करने की जरूरत है। यह मुद्दा संसार समेत भारत का भविष्य तय करेगा।

नया स्मार्ट संसद भवन (सर्वश्रेष्ठ गैजेट, ई-लाइब्रेरी, ऑडियो-विजुअल कम्युनिकेशन सिस्टम, शेड्यूल भाषाओं में तुरंत अनुवाद यानी आधुनिक तकनीक से संपन्न) टेक्नोलॉजी से जुड़ी ऐसी बहसों को समृद्ध करेगा। स्तब्ध न हों। एआई ही ‘वरदान या अभिशाप’ के रूप में आज सामने नहीं है। भौतिक विज्ञान के बड़े विद्वान प्रोफेसर मिशियो काकू ने नई किताब (‘क्वांटम सुप्रीमेसी : हाऊ द क्वांटम कंप्यूटर रिवोल्यूशन विल चेंज एवरीथिंग’) में कहा है, विश्व विज्ञान में दो बम विस्फोट (2019-20) हुए। दो समूहों ने दावा किया कि वे क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल कर चुके हैं। सिलिकॉन वैली अपने आविष्कारों से दशकों से संसार का रहनुमा है। इन आविष्कारों से वह भी हिला है कि भविष्य में बादशाहत उसकी रहेगी?

गूगल के अनुसार साइकामोर क्वांटम कंप्यूटर उस गणितीय समस्या को दो सौ सेकंड में हल करेगा, जो अब तक संसार का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर शायद दस हजार वर्षों में कर पाता। चीन की ‘क्वांटम इनोवेशन इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज’ का तो दावा है कि उनका क्वांटम कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर से सौ ट्रिलियन गुणा तेज है। यह शोध संसार की अर्थव्यवस्था, समाज, जीवन पर गहरा असर डालेगा। लेकिन दुनिया के ये बड़े सवाल आज भारत की राजनीति में कहां हैं, यह समय का शिलालेख पूछेगा? क्या देश के सभी राज्यों की राजनीति इससे वाकिफ या चिंतित है भी?

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