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 बिजली के पोल के सहारे लोग पार करते है नदी, बारिश में बच्चों का स्कूल जाना हो जाता है बंद - श्रीनारद मीडिया

 बिजली के पोल के सहारे लोग पार करते है नदी, बारिश में बच्चों का स्कूल जाना हो जाता है बंद

बिजली के पोल के सहारे लोग पार करते है नदी, बारिश में बच्चों का स्कूल जाना हो जाता है बंद

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दशकों से सांसद विधायक आज तक नहीं बनवा सके पुल

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क-

बिहार में सीतामढ़ी के एक गांव की तस्वीर सरकार की विकास योजनाओं की पोल खोलती है। जिले के सुदूरवर्ती एक गांव में भी पुल के अभाव में आज भी लोग एक बिजली के पोल के सहारे नदी क्रॉस करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां नदी दशकों से प्रवाहित है। इस दौरान सूबे में कितनी सरकारें आई -गई। क्षेत्र से कितने सांसद-विधायक हुए। फिर भी इस नदी पर एक अदद पुल नहीं बन सका है।

बथनाहा प्रखंड का है मामला
यह समस्या बथनाहा प्रखंड की बखरी पंचायत की है। इस पंचायत में पीतांबरपुर, बखरी, मधुबनी, नरहा और टेढिया गांव है। पंचायत होकर सोरम और लखनदेई नदी गुजरती है। इन नदियों के इस पार है पीतांबरपुर गांव, तो उस पार है शेष चार गांव। यानी यह नदियां ही एक गांव को पंचायत को अलग करती है। इस पांच गांवों की आबादी करीब 20 हजार है। दोनों नदियों पर एक पुल नहीं बनने के चलते ग्रामीणों को अनेकों परेशानी झेलनी पड़ती है। ग्रामीण बाढ़ के दौरान चचरी पुल, तो बाद में बिजली के पोल के सहारे इन नदियों को पार करते है। इस पोल से होकर सिर्फ पैदल ही जाया जाता है। बाईक से गुजरना संभव ही नहीं है, बल्कि खतरे से कम नही है। बाढ़ में चचरी पुल ध्वस्त हो जाता है या पानी में बह जाता है, तो लोगों का दो से तीन माह तक प्रखंड मुख्यालय समेत अन्य पंचायतों से संपर्क भंग हो जाता है

स्कूली बच्चे भी इसी पोल के सहारे जाते
पीतांबरपुर गांव निवासी विनय सिंह ने बताया कि इन पांच गांवों के लोगों की पीड़ा को पत्थर दिल भी आसानी से समझ सकता है, लेकिन अफसोस कि आजतक सरकार और जनप्रतिनिधि नही समझ सके है। लोगों की विवशता है बिजली पोल के सहारे नदी को पार करते है। बताया कि गांव में प्राइमरी स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को नदी पार कर दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता है। बरसात होने पर साल में 3 से 4 माह तक बच्चों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता है।

मुखिया चंद्रिका पासवान ने बताया कि दोनों नदियों पर पुल निर्माण को लेकर पंचायत समिति की बैठक में मामला उठाया था, लेकिन बात नहीं बनी। समस्या ज्यों कि त्यों अब भी बनी हुई है। पंचायत समिति सदस्य ममता देवी और सामाजिक कार्यकर्ता विजय साह ने बताया कि पुल नहीं होने से किसानों को भी दिक्कत है। सोरम नदी में कम पानी रहने पर लोग पार कर जाते है, पर लखनदेई को पार करना संभव नहीं होता है। किसानों को नदी पार कर खेतों तक जाना या अपने उत्पादों को बाजार तक ले जाना आसान नहीं होता है। काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यानी बाजार में अधिक उत्पाद लेकर जाने में किसानों को दूसरे रास्ते से करीब 10 किमी का चक्कर लगा जाना पड़ता है। इस तरह की एक नहीं, बल्कि कई समस्या है।

प्राथमिकता के आधार पर समाधान का भरोसा
आरडबल्यूडी के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार ने बताया कि यह समस्या संज्ञान में नहीं है। इसकी जानकारी प्राप्त कर प्राथमिकता के आधार पर समस्या का समाधान किया जायेगा। उन्हें नदी पार करके तो तक जाने या अपने कृषि उत्पादों को बाजार तक ले जाना आसान नहीं है ऐसा करने के लिए उन्हें 10 किलोमीटर दूर वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेना पड़ता है। बाहर के खरीदार तो वैसे ही गांव में नहीं पहुंचते हैं। बसंतपुर के लोगों को स्वास्थ्य सेवा का भी लाभ नहीं मिलता है। आपातकाल में नदी पार कर बकरी स्वास्थ्य कद्र ले जाना पड़ता है।

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