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कालाजार रोगी खोज अभियान के लिए 13 प्रखंडों के 132 गांवों का किया गया चयन  - श्रीनारद मीडिया

कालाजार रोगी खोज अभियान के लिए 13 प्रखंडों के 132 गांवों का किया गया चयन 

कालाजार रोगी खोज अभियान के लिए 13 प्रखंडों के 132 गांवों का किया गया चयन

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कालाजार प्रभावित गांवों में 20 जून से डोर टू डोर भ्रमण कर कालाजार मरीज़ों की होगी खोज: डॉ आरपी मंडल

कालाजार मरीज़ों को जड़ से ख़त्म करने में ग्रामीण चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका: डीवीबीसीओ

15 दिनों से अधिक बुखार का होना कालाजार के लक्षण: सोनिया मंडल

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):*

पूर्णिया जिले में सात दिवसीय कालाजार मरीज़ों की खोज अभियान का शुभारंभ आगामी 20 जून से शुरू होने वाला है। इस अभियान में विशेष रूप से आशा कार्यकर्ता डोर टू डोर भ्रमण कर कालाजार के संभावित मरीजों की खोज करेंगी। क्षेत्र भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता 15 दिन या इससे अधिक समय से बुखार पीड़ित वैसे मरीज जिनका बुखार मलेरिया व एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के बावजूद ठीक नहीं हुआ हो। वैसे लोगों को कालाजार बीमारी से संबंधित जांच के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी। जिला वेक्टर बॉर्न पदाधिकारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने बताया ने बताया कि कालाजार रोगी खोज अभियान के लिए जिले के 13 प्रखंडों के 132 गांवों का चयन किया गया है। जहां हाल के वर्षों में कालाजार के नए मामले या संभावित मरीज़ सामने आया है। कालाजार खोज अभियान के तहत 178232 जनसंख्या वाले 34991 चिह्नित घरों का सर्वे किया जाना है। इसके लिए 146 आशा कार्यकर्ता एवं 82 आशा फैसिलिटेटर को लगाया जाएगा।

 

कालाजार प्रभावित गांवों में 20 जून से डोर टू डोर भ्रमण कर कालाजार मरीज़ों की होगी खोज: डॉ आरपी मंडल
जिला वेक्टर बॉर्न पदाधिकारी (डीवीबीओ) डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने बताया कि राज्य मुख्यालय स्थित कार्यालय में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह एसपीओ डॉ अशोक कुमार ने पत्र जारी कर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। कालाजार प्रभावित गांवों में आगामी 20 जून से डोर टू डोर भ्रमण कर मरीज़ों की खोज होनी है। जिसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से लेकर अभियान के सफल संचालन तक का गाइड लाइन जारी किया गया है। जिसमें प्रचार प्रसार के लिए माइकिंग, बैनर पोस्टर के अलावा फ्लैक्स के संबंध में दिशा निर्देश दिया गया है। कालाजार लक्षण वाले मरीजों की सरकारी अस्पतालों में आरके-39 किट के द्वारा जांच की जाएगी। वहीं जिन लोगों का पूर्व में कालाजार का इलाज हो चुका हो या उनमें बुखार के साथ कालाजार के लक्षण दिखाई पड़े तो उनकी बोन मैरो व स्पीलिन एसपिरेशन जांच के लिए सदर अस्पताल में रेफर किया जाएगा।

कालाजार को जड़ से ख़त्म करने में ग्रामीण चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका: डीवीबीसीओ
जिला वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीसीओ) रवि नंदन सिंह ने बताया कि कालाजार रोग को पूर्णतः खत्म करने को लेकर विभागीय स्तर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा संभावित मरीजों को जांच के लिए सरकारी अस्पताल भेजे जाने एवं व्यक्ति में रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में 500 रुपये देने का प्रावधान है। क्योंकि कालाजार उन्मूलन में ग्रामीण इलाकों में कार्य करने वाले ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। आगे उन्होंने यह भी बताया कि कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है।

15 दिनों से अधिक बुखार का होना कालाजार के लक्षण: सोनिया मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण (डीवीबीडीसी)
सलाहकार सोनिया मंडल ने बताया कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार का लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही भूख की कमी एवं पेट का आकार बड़ा होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग या गांठ बनना पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों को भी अनिवार्य रूप से जांच करानी चाहिए। समय रहते जांच नहीं करायी गयी तो भविष्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के प्रभाव से बचाने में मरीज़ों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को सजग रहने की आवश्यकता होती हैं।

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