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4 महीने में 799 केस दर्ज कर बचाए 8.51 करोड़ - श्रीनारद मीडिया

4 महीने में 799 केस दर्ज कर बचाए 8.51 करोड़

4 महीने में 799 केस दर्ज कर बचाए 8.51 करोड़

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हर दिन साइबर अपराधी बदल रहे ठगी का तरीका

टेलीग्राम पर काफी एक्टिव

जानकारी देते ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क-


साइबर क्राइम के जरिए ठगी के शिकार हुए लोगों के 8.51 करोड़ रुपए को बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने बचा लिया है। ये रुपए नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर 1930 के जरिए किए गए कंप्लेन के बाद बचाए गए। इस मामले में साइबर अपराधियों के खिलाफ कुल 799 FIR दर्ज किए गए हैं।

यह आंकड़ा पिछले 4 महीनों का है। सोमवार को ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि फरवरी महीने के अंत में नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर 1930 की शुरुआत हुई थी।

इसके तहत मार्च महीने में 176 FIR दर्ज कर साइबर क्राइम के शिकार हुए लोगों के 2.12 करोड़ रुपए बचाए गए। इसी तरह अप्रैल महीने में 264 FIR दर्ज कर 1.94 करोड़, मई महीने में 183 FIR दर्ज कर 2.18 करोड़ और जून महीने में 176 FIR दर्ज कर 2.25 करोड़ से अधिक रुपयों को साइबर अपराधियों के बैंक अकाउंट्स में जाने से बचाया गया।

ठगी को रोकने के लिए बंद किए गए लोन ऐप
लोगों से रुपए ठगने के नए तरीकों में ही लोन ऐप भी शामिल है। तारारूपी डेली लोन ऐप, लोन बंधु, आधार लोन ऐप, स्पीडी क्रेडिट लोन, वंडर लोन, हैंडर लोन, पे रूपी, फेथ प्रो, फैमली कैश, मैकसी लैप, क्लाउड लोन, पैसा जादू सहित ऐसे 100 से अधिक ऐप की पहचान EOU की टीम ने की। RBI से संबंध नहीं रखने वाले और लोगों से ठगी करने वाले सभी फर्जी लोन ऐप को राष्ट्रीय स्तर पर बंद किया गया है। इसके लिए IT एक्ट की धारा 69A कार्रवाई की गई।

सबसे पहले बिहार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग को लिखा गया। फिर इसके बाद केंद्र सरकार को लिखा जाएगा। लोन देने के बाद उसकी वसूली लोगों को डरा-धमका कर की जाती है। सवाल ये है कि इस तरह के लोन ऐप बने कहां? अब तक कितने लोगों से कितने रुपयों की ठगी हुई। इन सवालों का जवाब देते हुए ADG मुख्यालय ने बताया कि अब जांच की जा रही है कि ये लोन ऐप देश में बने हैं या नहीं। जहां तक कितने की ठगी हुई है? इसका पता तब चल पाएगा जब पीड़ित आएंगे। नहीं तो पता कैसे चलेगा?

ठगी के तरीकों को पढ़ हो जाएं सतर्क
मौके पर ADG मुख्यालय ने वैसे कुछ केसों का जिक्र किया, जिनकी सूचना मिलने के बाद साइबर अपराधियों के चंगुल में जाने से पहले रुपयों को बैंक अकाउंट में ही फ्रीज कराया गया। साथ ब् ही यह भी बताया कि टेलीग्राम ऐप के जरिए साइबर अपराधी बहुत ज्यादा एक्टिव हैं। हालांकि, ठगी के शिकार हुए लोगों की पहचान को उजागर नहीं किया गया है।

केस -1
पटना के एक व्यक्ति को साइबर अपराधियों ने पोस्ट लाइक करने के नाम पर ठगा था। झांसा दिया था कि इसके एवज में रुपए बनेंगे। शुरुआत में कुछ रुपए भेजे भी तब तक में उसके अकाउंट्स के डिटेल को साइबर अपराधियों ने खंगाल लिया और 9.63 लाख रुपए से अधिक की चपत लगा दी। हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना मिलने के बाद रुपयों को होल्ड करा दिया गया है।

केस – 2
शेखपुरा जिले के युवक को साइबर अपराधियों ने यूट्यूब का एक वीडियो शेयर किया था। उसे कहा था कि वीडियो को लाइक करो। इसके अलावा कुछ और काम दिया गया, इसके बाद उसे इनकम कराने का झांसा दे 32 लाख रुपए ठगे, इसमें 15.27 लाख रुपए बचा लिए गए।

केस – 3
औरंगाबाद जिले के नवी नगर के रहने वाले एक व्यक्ति से टेलीग्राम के जरिए पार्ट टाइम जॉब के नाम पर 4.70 लाख की ठगी कर ली गई। इसमें सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई करते हुए 1.50 लाख रुपए फ्रीज कर लिया गया। ADG ने बताया कि समय पर सूचना मिलती तो पूरे रुपए को बचाया जा सकता था।

केस – 4
नालंदा जिले के बिहार शरीफ के युवक से मनी इन्वेस्टमेंट के नाम पर 14 लाख 40 हजार 856 की ठगी की गई। इसमें 3.81 लाख रुपए बचा लिए गए।

केस – 5
पटना की रहने वाली एक महिला डॉक्टर ने पोलैंड में रहने वाली बहन को ‘ट्रांसफर वाइज ऐप’ के जरिए 4.8 लाख रुपए भेजे थे। पर वो रुपए पहुंचे ही नहीं। तब बहन ने पोलैंड से 1930 पर कॉल किया। तत्काल कार्रवाई करते हुए पूरे रुपए फ्रीज कराया गया।

केस – 6
पटना के ही रहने वाले एक व्यक्ति से साइबर अपराधी ने अमेरिका में रहने वाला दोस्त बनकर 9.25 लाख ठग लिए थे। सूचना समय पर मिली थी। इस कारण 9.19 लाख रुपए को होल्ड कराते हुए बचा लिया गया।

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