Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन का क्या महत्त्व है? - श्रीनारद मीडिया

अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन का क्या महत्त्व है?

अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन का क्या महत्त्व है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

20 सितंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु महत्त्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन (CAS) का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के 28वें पार्टियों के सम्मेलन (COP28) की प्रस्तावना के रूप में जलवायु कार्रवाई में तेज़ी लाना है। )

  • हालाँकि चीन, अमेरिका और भारत, सामूहिक रूप से वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 42% हिस्सा उत्सर्जित करते हैं तथा ये देश उस क्रम में शीर्ष तीन उत्सर्जक हैं, सभी CAS में अनुपस्थित थे।

जलवायु महत्त्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन (CAS):

  • परिचय:
    • CAS एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के गंभीर मुद्दे को संबोधित करना है।
    • CAS को सरकार, व्यवसाय, वित्त, स्थानीय अधिकारियों एवं नागरिक समाज के “प्रथम प्रस्तावक और क्रियाशील” नेतृत्वकर्ताओं को प्रदर्शित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो न कि केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था के डी-कार्बोनाइज़ेशन में तेज़ी लाने एवं जलवायु न्याय प्रदान करने का वादा करते हैं बल्कि विश्वसनीय कार्यों, नीतियों और योजनाओं के साथ भी आए हैं।
    • CAS का केंद्रीय उद्देश्य पेरिस समझौते की 1.5°C तापमान वृद्धि सीमा को बनाए रखना है, जो पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5°C ऊपर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करके गंभीर जलवायु परिणामों को रोकने का प्रयास करता है।
  • शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देश:
    • कुल 34 राज्यों और 7 संस्थानों में वार्ता के स्लॉट थे, जिनमें भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका एवं ब्राज़ील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ भी शामिल थीं।
    • यूरोपीय संघ, जर्मनी, फ्राँस और कनाडा जैसे प्रमुख राष्ट्रों ने भी सम्मलेन में भाग लेकर दर्शकों को संबोधित किया।
  • भागीदारी के लिये मानदंड:
    • पहले देशों को वर्ष 2030 तक अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), शुद्ध-शून्य लक्ष्य और ऊर्जा संक्रमण योजनाएँ प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी।
    • देशों से नई कोयला, तेल और गैस परियोजनाओं, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से कम करने की योजनाओं एवं महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता अपेक्षित नहीं थी।
    • सम्मलेन में देशों से हरित जलवायु कोष की प्रतिज्ञा करने और अनुकूलन तथा लचीलेपन के लिये अर्थव्यवस्था-व्यापी योजनाएँ प्रदान करने का आग्रह किया गया।
  • शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
    • अद्यतन जलवायु लक्ष्य:
      • ब्राज़ील ने अधिक महत्त्वाकांक्षी उपायों और जीवाश्म ईंधन से इतर अन्य ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करने की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने ‘2015 जलवायु लक्ष्यों’ को बहाल करने का वादा किया।
      • नेपाल ने वर्ष 2050 के बदले वर्ष 2045 तक, जबकि थाईलैंड ने वर्ष 2050 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा और पुर्तगाल ने वर्ष 2045 के लिये कार्बन-तटस्थ लक्ष्य निर्धारित किया।
      • सभी G20 राष्ट्रों को वर्ष 2025 तक पूर्ण उत्सर्जन में कटौती की विशेषता वाले अधिक महत्त्वाकांक्षी  NDC पेश करने हेतु प्रतिबद्ध होने के लिये कहा गया था।
      • शिखर सम्मेलन में जलवायु न्याय प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, विशेष रूप से उन समुदायों को जो जलवायु संकट की अग्रिम पंक्ति में हैं और गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
    • अन्य घोषणाएँ:
      • कनाडा, जो वर्ष 2022 में जीवाश्म ईंधन के सबसे बड़े विस्तारकों में से एक था, ने तेल और गैस क्षेत्र के लिये उत्सर्जन कैप ढाँचे के विकास की घोषणा की।
      • यूरोपीय संघ और कनाडा कम से कम 60% उत्सर्जन को कवर करने के लिये वैश्विक कार्बन मूल्य निर्धारण का आह्वान करते हैं।
      • वर्तमान कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र केवल 23% उत्सर्जन को कवर करता है, जिससे 95 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उत्पादन होता है।
      • एक अन्य विकास लक्ष्य में जर्मनी ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु क्लब के शुभारंभ की घोषणा की, जिसकी वह चिली के साथ सह-अध्यक्षता करेगा, जिसका लक्ष्य औद्योगिक क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज़ करना और हरित विकास में वृद्धि करना है।
      • CAS ने संपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में अनुकूलन और लचीलेपन को संबोधित करने वाली व्यापक योजनाओं के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

पेरिस जलवायु समझौता:

  • वैधानिक स्थिति: यह जलवायु परिवर्तन पर वैधानिक रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • अंगीकरण: इसे दिसंबर 2015 में पेरिस में राष्ट्रों के सम्मेलन COP 21 में 196 देशों द्वारा अपनाया गया था।
  • लक्ष्य: ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में इसे अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना
  • उद्देश्य: तापमान को सीमित करने के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये पक्षकार देशों का लक्ष्य सदी के मध्य तक जलवायु-तटस्थता प्राप्त करने के लिये जितनी जल्दी हो सके वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के चरम (Peaking emissions globally) पर पहुँचना है।
  • वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के चरम (Peaking emissions globally) पर पहुँचना: इसका तात्पर्य चीन और अन्य देशों की उत्सर्जन वृद्धि पर अंकुश लगाना है, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन तथा जर्मनी में वैश्विक उत्सर्जन औसत की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से गिरावट हो रही है।
  • भारत पेरिस समझौते का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है। भारत ने अगस्त 2022 में UNFCCC को एक अद्यतन NDC प्रस्तुत करते हुए इस समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। NDC ने वर्ष 2021-2030 तक भारत के जलवायु लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार की है।

भारत की जलवायु प्रतिबद्धताएँ:

  • वर्ष 2022 में भारत ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% तक कम करने के लिये अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं में बदलाव किया। यह भारत की पिछली वर्ष 2016 की प्रतिज्ञा से 10% अधिक है। अद्यतन प्रतिज्ञा भारत के NDC का हिस्सा है।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन के माध्यम से उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन COसमतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने का लक्ष्य रखा है।
  • यह भी पढ़े…………...
  • कब सेक्स के लिए पागल रहती है महिलाएं
  • भारत के समुद्री व्यापार का इतिहास और वर्तमान स्थिति क्या है?

Leave a Reply

error: Content is protected !!