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भारत के लिये म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध का क्या अर्थ है? - श्रीनारद मीडिया

भारत के लिये म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध का क्या अर्थ है?

भारत के लिये म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध का क्या अर्थ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

म्याँमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण म्याँमार की सेना और मिज़ोरम से लगे पश्चिमी चिन राज्य में लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया के बीच तीव्र गोलीबारी के बाद म्याँमार के 1,500 नागरिकों ने मिज़ोरम के चम्फाई ज़िले में शरण ली।

गृहयुद्ध क्या है?

  • गृहयुद्ध एक ही देश या राष्ट्र के भीतर संगठित समूहों के बीच लंबे समय तक चलने वाला संघर्ष है।
  • इसमें अलग-अलग सामाजिक, राजनीतिक या वैचारिक मत वाले गुटों या समूहों के बीच सशस्त्र टकराव शामिल है, जो देश के शासन, क्षेत्र या संसाधनों पर नियंत्रण या प्रभुत्व के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।

म्याँमार में वर्तमान गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि क्या है?

  • 2020 का चुनाव और सैन्य तख्तापलट:
    • नवंबर 2020 के चुनाव में आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi’s) की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने चुनाव जीता। हालाँकि सैन्य जुंटा (Military Junta), जिसे टाटमाडॉ (Tatmadaw) के नाम से जाना जाता है, ने बिना पर्याप्त सबूत के चुनावी धोखाधड़ी का दावा करते हुए चुनाव परिणामों को खारिज़ कर दिया।
    • फरवरी 2021 में सेना ने तख्तापलट किया, आंग सान सू की और अन्य निर्वाचित नेताओं को हिरासत में ले लिया, आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई तथा सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
  • विरोध तथा प्रतिरोध:
    • तख्तापलट के बाद पूरे म्याँमार में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, नागरिकों ने लोकतंत्र की बहाली तथा हिरासत में लिये गए नेताओं की रिहाई की मांग की।
    • सिविल सेवक, कार्यकर्त्ता तथा विभिन्न समूह हड़ताल एवं प्रदर्शन करते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए।
  • प्रतिरोध हेतु बलों का गठन:
    • टाटमाडॉ (Tatmadaw) द्वारा असहमति पर अपनी कार्रवाई तेज़ करते ही एथनिक आर्म्ड ऑर्गेनाइज़ेशंस (EAO) तथा सशस्त्र नागरिकों सहित विपक्षी समूहों ने सैन्य जुंटा का विरोध करने के लिये पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज़ (PDF) का गठन किया।
    • इन समूहों ने सेना के अधिकार को चुनौती देने के उद्देश्य से अपदस्थ सांसदों द्वारा स्थापित नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) का समर्थन किया।
  • वर्तमान परिदृश्य:
    • देश के अन्य हिस्सों, जैसे- राखीन राज्य, कायिन राज्य, मणिपुर की सीमा से लगे सांगांग
    • क्षेत्र तथा मिज़ोरम की सीमा से लगे चिन राज्य में भी विभिन्न स्थानीय प्रतिरोध बलों के नेतृत्व में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई है।

म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध का भारत के लिये क्या अर्थ है?

  • संतुलित रुख:
    • भारत ने म्याँमार में लोकतंत्र के “व्यवधान” पर चिंता व्यक्त करने तथा उसके “महत्त्वपूर्ण हितों” की रक्षा के लिये जुंटा का सहयोग करने के बीच अब तक संतुलन स्थापित कर रखा है।
  • भारत के लिये तात्कालिक चिंताः
    • पूर्वोत्तर भारत के सीमावर्ती राज्यों में म्याँमार के नागरिकों का प्रवेश।
    • वह भी ऐसे समय में जब मणिपुर में स्थिति अस्थिर बनी हुई है।
  • विद्रोहियों द्वारा दो प्रमुख नगरों पर कब्ज़ा:
    • जुंटा विरोधी ताकतों ने म्याँमार और भारत के बीच केवल दो सीमा पार बिंदुओं के करीब दो महत्त्वपूर्ण शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है। ये हैं:
      • रिखावदार, मिज़ोरम में ज़ोखावथर के करीब और
      • मणिपुर में मोरेह से लगभग 60 किमी. दूर सांगांग क्षेत्र में खम्पट।
    • उत्तरार्द्ध (सांगांग क्षेत्र में खम्पट) में भी प्रस्तावित भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना का हिस्सा है।

शरणार्थियों से निपटने के लिये भारत में वर्तमान विधायी ढाँचा क्या है?

  • भारत सभी विदेशियों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, चाहे वे अवैध अप्रवासी हों, शरणार्थी या वीज़ा परमिट से अधिक समय तक रहने वाले हों।
    • 1946 का विदेशी अधिनियम: धारा 3 के तहत केंद्र सरकार को अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाने, हिरासत में लेने और निर्वासित करने का अधिकार है।
    • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920: धारा 5 के तहत अधिकारी भारत के संविधान के अनुच्छेद 258(1) के तहत किसी अवैध विदेशी को बलपूर्वक हटा सकते हैं।
    • विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939: इसके तहत एक अनिवार्य आवश्यकता है जिसके तहत दीर्घकालिक वीज़ा (180 दिनों से अधिक) पर भारत आने वाले सभी विदेशी नागरिकों (भारत के विदेशी नागरिकों को छोड़कर) को भारत पहुँचने के 14 दिनों के भीतर खुद को जीकरण अधिकारी के साथ पंजीकृत करना आवश्यक है।
    • नागरिकता अधिनियम, 1955: इसमें नागरिकता के त्याग, समाप्ति और वंचित करने के प्रावधान प्रदान किये गए।
      • इसके अलावा नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए हिंदू, ईसाई, जैन, पारसी, सिख तथा बौद्ध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है।
  • भारत ने शरणार्थी होने का दावा करने वाले विदेशी नागरिकों से निपटने के लिये सभी संबंधित एजेंसियों द्वारा पालन की जाने वाली एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है।

 

 

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