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समाज में पृथ्वी और प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूकता का यह दिवस है - श्रीनारद मीडिया

समाज में पृथ्वी और प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूकता का यह दिवस है

समाज में पृथ्वी और प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूकता का यह दिवस है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

22 अप्रैल को दुनियाभर में हर साल विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। बता दें, कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर हवा-पानी देने के लिए ही नहीं, बल्कि खुद की सेहत के लिए भी पृथ्वी का ख्याल रखना काफी जरूरी है। लोगों को प्रकृति के महत्व को लेकर जागरूक करना ही इस दिन को मनाने का मकसद है। आइए इस मौके पर आपको इको-फ्रेंडली बर्तन (Eco Friendly Utensils) और आज के समय में इनकी जरूरत के बारे में बताते हैं।

समय की मांग हैं इको-फ्रेंडली बर्तन

दिन-ब-दिन बढ़ रही ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और ‘क्लाइमेट चेंज’ जैसी समस्याओं के चलते वैश्विक स्तर पर बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है, जो आगे चलकर धरती पर रहना भी दूभर कर सकती है। ऐसे में हमें लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करने काफी जरूरी हो जाते हैं। अब चूंकि खानपान ही नहीं, इसके लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक या थर्मोकोल आदि के बर्तन भी हमारे आस-पास के वातावरण को खराब करने का काम करते हैं, ऐसे में इको-फ्रेंडली बर्तनों का यूज वक्त बड़ी मांग बन गया है।

ईको फ्रेंडली बर्तनों को समझने लिए आपको सबसे पहले इस शब्द के मतलब को समझना होगा। ईको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के अनुकूल, ऐसे में पृथ्वी को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलती है और जल, वायु और भूमि प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है। यह हमारे आसपास के वातावरण को खराब नहीं करते हैं और शरीर के लिए भी विषैले साबित नहीं होते हैं।

क्या हैं इसके ऑप्शन्स?

इको-फ्रेंडली बर्तन के ऑप्शन्स की बात करें, तो इसमें उन्हीं चीजों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाता है, जो लिए प्रकृति से मिलें हों या इस्तेमाल के बाद इसमें मिल जाने में बाधा न बनते हों। जैसे- गन्ने, बांस या फिर अन्य पेड़-पौधों के पत्ते या उनकी लकड़ी से बनने वाले प्रोडक्ट। बता दें, कि इन्हें डिस्पोज करने में परेशानी नहीं होती है, ऐसे में भले ही ये थोड़े महंगे होते हों, लेकिन ये न सिर्फ पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान देते हैं, बल्कि आपको भी कैंसर जैसी बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं।

एलईडी लाइट्स चुनें

आज मार्केट में एलईडी लाइट्स के ढेरों विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में आप भी पूरे घर को इनकी मदद से रोशन कर सकते हैं और पुरानी ट्यूबलाइट या भारी-भरकम बल्ब हटवा सकते हैं। इससे न सिर्फ घर अट्रैक्टिव बनेगा, बल्कि बिजली की बचत होने से बिल भी कम आएगा। ऐसे में जाहिर तौर पर पर्यावरण पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है।

केमिकल्स से बनाएं दूरी

घर की साफ-सफाई से लेकर पर्सनल केयर के सामान तक में हार्मफुल केमिकल्स का यूज बंद कर दीजिए। इससे न सिर्फ आप अपनी त्वचा या बालों को हेल्दी रख सकेंगे, बल्कि घर के अन्य सदस्यों को भी कई बीमारियों से बचा सकेंगे। ऐसे में, बाथरूम या फर्श की सफाई के लिए घर पर बायो एंजाइम तैयार करना भी काफी आसान है और यह किफायती भी होते हैं।

सोच-समझकर चुनें फैब्रिक्स

घर की बेडशीट, सोफा कवर और पर्दे आदि चुनते समय इसके फैब्रिक का खास ख्याल रखें। यह तय करें, कि इसमें कही भी प्लास्टिक का यूज न हो। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन इस छोटी-सी शुरुआत से भी आप पर्यावरण को बेहतर करने में बड़ा रोल प्ले कर सकते हैं।

सोलर एनर्जी का इस्तेमाल

घर चाहे छोटा हो या बड़ा, आजकल सोलर पैनल लगवाने के कई विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में आप मार्केट में कंसल्ट जरूर करें और धीरे-धीरे पूरे घर की बिजली को इसी से चलाने की कोशिश करें। बता दें, इस तरह की बिजली में पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है और यह आपकी जेब को भी काफी फायदा पहुंचाती है।

घरेलू कचरे से बनाएं खाद

हर किचन से रोजाना सब्जियों के छिलके और बचे हुए भोजन आदि का कचरा घर से बाहर फेंका जाता है। ऐसे में अगर आप इससे खाद बनाना शुरू कर दें, तो यह एक बढ़िया कदम साबित होगा, जो आपके गार्डन के पेड़-पौधों को तो हरा-भरा बनाएगा ही, साथ ही व्यापक स्तर पर कई तरह की बीमारियों को फैलने से रोकेगा।

री-यूज़ेबल बैग्ज़ का इस्तेमाल करें

प्लास्टिक के ग्रोसरी बैग्ज़ भी एक बार उपयोग के बाद फेक दिए जाते हैं, जो पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाते हैं। खाने की तलाश कर रहे जानवर प्लास्टिक को खाना समझकर खा लेते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। साथ ही प्लास्टिक को डीकॉम्पोज़ होने में काफी समय लगता है। आप जब भी शॉपिंग करने जाएं, तो हमेशा अपने साथ री-यूज़ेबल बैग साथ ले जाएं।

प्रिंट तभी करें जब ज़रूरी हो

हमें चीज़ों का प्रिंटआउट निकालना पसंद है, जो कुछ देर काम आता है और फिर बेकार हो जाता है। इससे कागज की काफी बर्बादी होती है। पेपर बर्बाद करने से बेहतर है कि तभी प्रिंट आउट निकालें जब बेहद ज़रूरी हो।

दोबारा इस्तेमाल होने वाले कंटेनर का उपयोग करें

ऐसी बोतल या कंटेनर का इस्तेमाल करें जिसे कई बार धो कर इस्तेमाल किया जा सकता हो। जैसे बाज़ार में मिलने वाली प्लास्टिक की बोतल की जगह अपनी बोतल कैरी करें और उसमें बार-बार पानी भर लें।

बिजली को बचाएं

आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले बल्बों की जगह ऊर्जा-कुशल प्रकाश बल्बों का प्रयोग करें। यह ज़्यादा लंबे समय तक चलते हैं। जब आप टीवी, लाइट या फिर दूसरी इलेक्ट्रोनिक चीज़ो का इस्तेमाल न कर रहे हों, तो उसका स्विच ऑफ कर दें।

पानी बचाएं

पानी की बर्बादी भी हम खूब करते हैं। जब आप दांतों को ब्रश कर रहे हों, तो पानी के नल को बंद कर दें। शॉवर तब तक न चलाएं, जब तक आप नहाने के लिए तैयार न हो जाएं। बर्तन धोते वक्त पानी की बर्बादी न करें।

कार का इस्तेमाल कम से कम करें

गाड़ियां पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। सार्वजनिक परिवहन लेना, पैदल चलना, या साइकल से सफर करना बेहतर विकल्प हैं, जो पर्यावरण के साथ-साथ आपके बजट में भी मदद करते हैं। साथ ही इससे आपका वर्कआउट भी हो जाता है। इसके अलावा आप कार पूल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, इससे पेट्रोल बचेगा और पैसे भी कम लगेंगे।

वीगन आहार लें और री-यूज़ेबल मास्क का उपयोग करें

अपनी डाइट से मीट, फिश या फिर डेयरी प्रोडक्ट्स को निकाल दें। ऐसा करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अगर आप री-यूज़ेबल मास्क का उपयोग कर सकते हैं। डिस्पोज़ेबल मास्क की काफी बर्बादी होती है; क्योंकि उन्हें एक बार पहनकर फेंकना पड़ता है। इसके अलावा यह वन्यजीवों को भी प्रभावित कर रहा है।

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