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पीएम मोदी को जेलेंस्की ने एक आधुनिक मोबाइल अस्पताल यूनिट उपहार में दिया - श्रीनारद मीडिया

पीएम मोदी को जेलेंस्की ने एक आधुनिक मोबाइल अस्पताल यूनिट उपहार में दिया

पीएम मोदी को जेलेंस्की ने एक आधुनिक मोबाइल अस्पताल यूनिट उपहार में दिया

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह पहली बार था जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की मुलाकात बेहद भावनात्मक रही। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाकर यह संदेश दिया कि भारत यूक्रेन की पीड़ा को समझता है और उसके संघर्ष में उसके साथ खड़ा है।

कीव में पीएम मोदी और जेलेंस्की ने ‘मार्टीरोलॉजिस्ट एक्जपोसीशन’ का दौरा किया, जहां पीएम मोदी ने युद्ध की विभीषिका को नजदीक से देखा। जिस दौरान जेलेंस्की पीएम मोदी को युद्ध की त्रासदी के बारे में समझा रहे थे इस दौरान पीएम मोदी का हाथ जेलेंस्की के कंधे पर मजबूती से टिका हुआ था। पीएम मोदी की यात्रा से पहले भारत सरकार ने आपातकालीन चिकित्सा सहायता के तहत यूक्रेन को चार ‘BHISHM क्यूब्स’ सौंपने का निर्णय लिया था। BHISHM क्यूब क्या है, आइए इसके महत्व के बारे में जानते हैं।

BHISHM क्यूब की विशेषताएं

BHISHM क्यूब एक आधुनिक मोबाइल अस्पताल यूनिट है, जिसे ‘प्रोजेक्ट BHISHM’ के तहत विकसित किया गया है। यह यूनिट तत्काल में मरीजों की देखभाल के लिए डिजाइन किया गया है और इसमें कई इक्यूपमेंट्स हैं जो मरीजों के इलाज के लिए जरूरी हैं।

कम समय में हो जाता है तैयार: क्यूब को केवल 12 मिनट में संचालन योग्य बनाया जा सकता है जो आपातकालीन स्थितियों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आधुनिक चिकित्सा उपकरण हैं शामिल: इसमें ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे मशीनें, वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं।

आधुनिक तकनीक से है लैस: क्यूब में AI और डेटा विश्लेषण की तकनीक शामिल है, जो रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम पर आधारित है।

कहीं भी ले जाने में सहायक: BHISHM क्यूब को 1,500 फीट की ऊंचाई से एयर-ड्रॉप किया जा सकता है और इसे अत्यंत दुर्गम स्थानों पर भी तैयार किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा और बैटरी पर निर्भर: प्रत्येक क्यूब में सौर ऊर्जा और बैटरी शामिल हैं, जिससे यह बाहरी बिजली स्रोतों पर निर्भर किए बिना कार्य कर सकता है।

BHISHM क्यूब की लागत लगभग 1.50 करोड़ रुपये है और यह भारत के ‘आरोग्य मैत्री’ पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करना है। हाल ही में, इस क्यूब का उपयोग अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के दौरान भी किया गया, जिससे इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण मिला। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा और भारत की सहायता ने यूक्रेन के संकट के समय में एक नई आशा का संकेत दिया है और दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत किया है।

इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़ा दांव चला है। अमेरिकी के जो बाइडेन प्रशासन ने रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को 125 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। गुरुवार को बाइडेन प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने एक रिपोर्ट में बताया है कि 125 मिलियन डॉलर के नए सैन्य सहायता पैकेज में एयक डिफेंस मिसाइल, हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) के लिए गोला-बारूद, एंटी-आर्मर मिसाइल, काउंटर-ड्रोन तकनीक और जैवलिन समेत कई रक्षा उपकरणों की एक श्रृंखला शामिल होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल अमेरिकी सरकार ने इस आर्थिक मदद का सार्वजनिक तौर पर ऐलान नहीं किया है लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसकी अनुमति दे दी है और माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा समाप्त होने के बाद शुक्रवार की शाम तक इसका ऐलान कर दिया जाएगा। एपी के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन के सैन्य सहायता प्राधिकरण का उपयोग यूक्रेन को सैन्य मदद देने के लिए किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह प्राधिकरण अमेरिकी सरकार को पेंटागन से लिए गए हथियारों के भंडार का उपयोग करने की भी अनुमति देता है।

अमेरिका ने ऐसे समय में यह पैकेज देने का फैसला किया है, जब पीएम मोदी यूक्रेनी राष्ट्रपति से रूस संग युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। दूसरी तरफ दोनों देश रक्षा सौदों पर भी प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत करेंगे। भारत भी हाल के दिनों में रक्षा उत्पादों का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है और भारतीय मिसाइलों की दुनियाभर के देशों में मांग बढ़ी है। भारत और यूक्रेन के बीच भी रक्षा तकनीक को लेकर सौदे होते रहे हैं लेकिन पिछले करीब ढाई साल से यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से दोनों देशों के बीच रक्षा सौदे बेपटरी हो चुके हैं।

मौजूदा वक्त में यूक्रेन भारत को रक्षा टेक्नोलॉजी देना चाहता है, इसके लिए यूक्रेन ज्वाइंट वेंचर बनाना चाहता है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2022 में जंग छिड़ने के बाद भारत की तीनों सेनाओं को सप्लाई संकट से जूझना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि इस परेशानी को खत्म करने के लिए सेना ने अपने स्तर पर काफी कोशिश की और यूक्रेन के कई पड़ोसी मुल्कों पोलैंड, एस्टोनिया, बुल्गारिया, चेक गणराज्य से संपर्क किया और सप्लाई हासिल करने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद स्थिति पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट सकी है।

प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन दौरे से पहले रूस का भी दौरा कर चुके हैं। भारत और रूस के बीच भी प्रगाढ़ रक्षा संबंध रहे हैं। हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थ नहीं बनना चाहता बल्कि इस बात का पक्षधर है कि दोनों देश आपसी बातचीत से युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान निकाले। इस बीच यूक्रेन रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लगातार घुसपैठ करता जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क ओब्लास्ट में एक आक्रामक अभियान की शुरुआत की थी, जिसके तहत 1000 किलोमीटर तक यूक्रेनी सेना घुस चुकी है।

कुर्स्क और आस-पास के क्षेत्रों से हजारों रूसियों को निकाला गया है। यूक्रेन की इस रणनीति से दक्षिण-पश्चिमी रूस में सशस्त्र झड़पें तेज़ हो गई हैं। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने बुधवार को साफ किया है कि यूक्रेन की आक्रमण ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यानी दोनों देशों के बीच युद्ध अभी और लंबा चल सकता है, जिसमें यूक्रेन को भारी मात्रा में रक्षा सामग्री की जरूरत होगी। अमेरिका ने इसी परिस्थिति को देखते हुए यूक्रेन को नई मदद मुहैया कराने का फैसला किया है।

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