ग्राम न्यायालयों पर पूरे देश में एक फार्मूला नहीं हो सकता-सुप्रीम कोर्ट

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना को लेकर पूरे देश के लिए एक समान फार्मूला नहीं हो सकता, क्योंकि स्थिति राज्य दर राज्य निर्भर करेगी।संसद ने वर्ष 2008 में एक कानून पारित किया था, जिसमें नागरिकों को उनके घर के समीप न्याय मुहैया कराने के लिए ग्राम न्यायालयों की स्थापाना का प्रविधान किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया था कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य परेशानियों के कारण किसी को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।

इस मामले पर पीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘आप पूरे देश के लिए एक समान फार्मूला अपना नहीं सकते।’ पीठ ने दिल्ली की सरकार की ओर से पेश वकील की उस दलील का संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ग्राम न्यायालय की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां कोई ग्राम पंचायत नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘स्थिति राज्य दर राज्य निर्भर करेगी। पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में वैकल्पिक पारंपरिक प्रणालियां हैं। इसलिए इनमें से कुछ राज्यों में काम कर रहे न्यायालयों के पास पर्याप्त काम नहीं है।’

चार हफ्ते के बाद होगी सुनवाई

पीठ ने राज्यों के मुख्य सचिवों को 12 सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर प्रश्नावली में पूछे गए प्रश्नों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ न्यायाधीशों को मिल रही पेंशन को दयनीय बताया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह दयनीय है कि हाई कोर्टों के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये पेंशन मिल रही है। शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि आप हर मामले में कानूनी ²ष्टिकोण नहीं अपना सकते। कभी-कभी आपको मानवीय ²ष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है।

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की अलग-अलग पेंशन के मुद्दे को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।दरअसल, जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हाई कोर्ट के न्यायाधीश नई पेंशन योजना के अंतर्गत आते हैं, जबकि बार से उच्च न्यायालय में पदोन्नत होने वाले न्यायाधीश पुरानी पेंशन योजना के लाभार्थी हैं। इसके कारण हाई कोर्ट के दो न्यायाधीशों को मिलने वाली पेंशन में अंतर हो जाता है।

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