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माघ की महिमा, ठंड का मौसम, सुबह का समय और हमारा गणतंत्र - श्रीनारद मीडिया

माघ की महिमा, ठंड का मौसम, सुबह का समय और हमारा गणतंत्र

माघ की महिमा, ठंड का मौसम, सुबह का समय और हमारा गणतंत्र

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भारतीय गणतंत्र के 76 वर्ष और हमारा संविधान

✍️  राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हम भारत के लोग…… गणराज्य बनाने के लिए……. इस संविधान को अंगीकृत, आत्मार्पित करते है।

-हमारा संविधान 2 वर्ष 11 महीना 18 दिन में बनकर तैयार हुआ

– संविधान हमारा विश्वास है हमारी आस्था है

-संविधान हमारे संस्कृति एवं परंपरा का द्योतक है
– संविधान का मतलब है हमारी पहचान
– संविधान का आशय है हमारा अवसर
– संविधान समता, बंधुता व स्वतंत्रता की गारंटी है
– संविधान प्रत्येक से एवं प्रत्येक के लिए न्याय प्रदान करता है
– संविधान का मतलब है अस्पृश्यता से मुक्ति
– संविधान हम सभी के लिए आरक्षण है जिसके कारण करोड़ों नागरिकों का भला हुआ है
– संविधान ने व्यावहारिक लोकतंत्र को स्थापित किया है
– संविधान सामाजिक न्याय का दस्तावेज है
– संविधान ने जीवन की गरिमा प्रदान की है.
गणतंत्र का मतलब है कि हमारा राष्ट्रीय अध्यक्ष जनता द्वारा चुना जाएगा। हमारे राष्ट्र की सारी शक्तियां उसमें निहित होगी, वह हेड ऑफ द स्टेट होगा जबकि उसके द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री हेड ऑफिस गवर्नमेंट होंगे।

गणतंत्र दो शब्दों के मेल से बना है गण और तंत्र यानी जनता के लिए व्यवस्था। ऐसा तंत्र जो गण के प्रति उत्तरदाई हो।तंत्र को गण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, यही गणतंत्र का मर्म है। गणतंत्र यह बताता है कि हमने अपने संविधान को कितना अंगीकार किया है।


सीवान जिले को इस बात का गर्व है कि उसके लाल डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहली बार गणतंत्र का झंडा 26 जनवरी 1950 को फहराया था। पहले गणतंत्र दिवस पर इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश देने की परंपरा भी आरंभ की थी। पहले ही गणतंत्र दिवस पर अतिथि बुलाने की परंपरा आरंभ हुई। इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुर्काणो मुख्य अतिथि बनकर भारत आए। यह सुखद सहयोग है कि 76वें गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियातो हमारे मुख्य अतिथि है।

भारत को गणतांत्रिक देश के रूप में उदय होने में दो दशक 1930 से 1950 तक का समय लगा, जब 31 दिसंबर 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में भारत में गणतंत्र राष्ट्र घोषित करने का आवाहन किया गया, साथ ही पूर्ण स्वराज संकल्प दिवस के रूप में 26 जनवरी को यह दिन मनाते हुए पहली बार रावी नदी के तट पर भारत का ध्वज फहराया गया था।
26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया। कैबिनेट मिशन 1946 ने संविधान बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। उसने पाकिस्तान जैसे देश की मांग को नामंजूर करते हुए सांप्रदायिकता को भी नकार दिया। अंततः 9 दिसंबर 1946 को पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई और 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से संविधान को अपना लिया तब तक देश 1935 के अधिनियम से संचालित होता रहा।

देश की राजधानी के कर्तव्य पथ पर प्रस्तुत होने वाली झांकियां हमारे भविष्य एवं अतीत का गुणगान करती है तो सैनिकों की कदमताल, विमान का गर्जन र्जन देश को विश्वास दिलाती हैं कि आपका राष्ट्र सुरक्षित हाथों में है, आप एक समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभर रहे है।

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