रंगों से सराबोर करता होली का त्यौहार
✍️ राजेश पाण्डेय
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारतीय जनमानस में पर्व-तीज-त्यौहार सदैव से ऊर्जा का संचरण करते रहे है। यह हमारे दैनंदिनी जीवन में उत्प्रेरक का कार्य करते है। त्योहार हमारे जीवन की एकरसता तोड़ते हुए हमें नई ऊर्जा और प्रेरणा से लबरेज़ कर देते है। भेद को मिटाना त्यौहारों का मूल उद्देश्य है। मनुष्य ने जितने भेद उत्पन्न किए हैं उसका उन्मूलन पर्व व त्यौहार समय-समय पर करते है। होली हमारी चेतना की उल्लास एवं उसकी चरम स्थिति है। नारद पुराण एवं भविष्य पुराण में होली की परंपरा मिलती है। इसके स्वरूप में समय के साथ परिवर्तन हुआ है।
भक्त पहलाद एवं दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप की कथा हमें पढ़ने और सुनने को मिलता है। होलिका दहन हमारे संस्कृति में सत्य निष्ठा एवं विश्वास के विजयी होने का प्रतीक है। इस अग्नि में सारी बुराइयां एवं उनके कुलष जलकर भस्म हो जाते है।
सूर्य अपनी तेज प्रकाश से प्रकृति का अभिनंदन करता है। नई फसले अब आनी प्रारंभ हो जाती है। सनातन संस्कृति में वर्ष प्रारंभ होने का यह समय है। चैत महीना से हमारा वर्ष भी प्रारंभ हो जाता है। प्रकृति ने रस, मंजरी, पुष्प एवं नव कोमल पत्तियों से अपना रूप-स्वरूप बदल लिया है।
ऐसे में हम सभी गा उठते है–
“राम के हाथ ढोलक भल सोहे लछिमन हाथ मंजीरा
ए केकरे हाथ कनक पिचकारी
ए केकरे हाथे अबीरा
अवध में होली खेले रघुवीरा।”
कृष्ण की नगरी ब्रजमंडल में होली का प्रारंभ वसंत पंचमी से प्रारंभ होकर 45 दिनों तक चलता है। ब्रजमंडल में सबसे अधिक धूम बरसाने की होली की होती है। कृष्ण द्वारा पूतना का वध किया गया था,जिसकी खुशी में गांव वालों ने रंगोत्सव मनाया गया था। रंग भेद को मिटाती है यही कारण है कि यशोदा मैया के कहने पर श्रीकृष्ण ने राधा को रंग लगाकर अपने जैसा बनाया था।
रंग से हमारे भावनाएं एवं विचार प्रभावित होते है। यह हमारे इंद्रियों को आकर्षित करते है। इसके संपर्क में आने से व्यक्ति को आनंद मिलता है। उसे अपने आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने का मौका मिलता है। रंग हमारी शांति, ऊर्जा, प्रेरणा, उत्साह एवं स्थिरता की प्रतीक होती है। जनमानस में लाल रंग प्रेम, शक्ति, ऊर्जा का प्रतीक है। हरा रंग स्फूर्ति,आशा एवं नवोन्मेष का सूचक है तो पीला रंग पवित्रता एवं सृजनशीलता का प्रतीक है। नीला रंग उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है तो नारंगी रंग भूख बढ़ाता है और पाचन तंत्र सुदृढ़ करता है और अंतत सफेद रंग सादगी, स्वच्छता व निर्मलता का प्रतीक है।
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