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प्रत्येक वर्ष11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है - श्रीनारद मीडिया

प्रत्येक वर्ष11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है

प्रत्येक वर्ष11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानी की नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है। नेशनल टेक्नोलॉजी डे देश के वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को चिह्नित करने का काम करता है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस देश भर के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और इनोवेटर्स को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। जिन्होंने राष्ट्र के विकास में अहम योगदान दिया था।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इतिहास

भारत ने 11 मई 1998 को पोखरण में सफल परमाणु टेस्ट किया था। इस टेस्ट ने भारत को परमाणु सक्षम राष्ट्र बना दिया और इस कदम से देश की साइंस और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिला। इन टेस्ट के महत्व को चिह्नित करने के लिए भारत सरकार ने 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाए जाने का फैसला किया। इस दिन न्यूक्लियल टेस्ट का कोड नेम शक्ति- न्यूक्लियर मिसाइल था। जिसका लीड देश के तत्कालीन राष्ट्रपति और एरोस्पेस इंजीनियर डॉ कलाम ने किया था। इस दौरान भारत ने दो न्यूक्लियर हथियारों का टेस्ट किया था।

जानिए कैसे हुई शुरुआत

पश्चिमी देशों में खासतौर पर अमेरिका से भारत को सहयोग न मिलने पर साल 1962 में परमाणु ऊर्जा संयत्र के लिए और टेक्नोलॉजी का विकास करने के लिए डॉ भाभा से कहा गया। लेकिन डॉ भाभा की मृत्यु के बाद यह जिम्मेदारी राजा रमन्ना ने ली। साल 1967 और 1969 तक भारत ने प्लूटोनियम रिएक्टर पर काम काम करना शुरूकर दिया। इस दौरान करीब 75 साइंटिस्ट की सहायता से परमाणु टेस्ट की शुरूआत हुई। जिसमें राजा रमन्ना और विक्रम साराभाई जैसे कई बड़े साइंटिस्ट शामिल थे।

11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था और वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आदि की इन जबरदस्त उपलब्धियों के आधार पर, अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में घोषित किया। 1999 से, हर साल प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) इस दिन को विभिन्न तकनीकी नवाचारों के साथ मनाता है, जिन्होंने देश को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। साथ ही, हर साल TDB एक थीम चुनता है और उस आधार पर देश में कई कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। यह दिन हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को भी दर्शाता है।

न्यूक्लियर क्लब में भारत की एंट्री

बता दें कि भारत का पहला न्यूक्लियर टेस्ट पोखरण-I का हिस्सा था। जिसका पहला टेस्ट साल 1974 में किया गया था। इसको स्माइलिंग बुद्धा के नाम से जाना जाता है। पोखरण -II की सफलता के बाद पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने देश को न्यूक्लियर टेस्ट की घोषणा की थी। वह भारत का पहला देश था, जिसने न्यूक्लियर क्लब जॉइन किया।

महत्व

नेशनल टेक्नोलॉजी डे का दिन साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल प्रोग्रेस के महत्व को दर्शाता है। यह दिन युवाओं को साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है। वहीं यह दिन भारत के वैज्ञानिक उपलब्धियों को याद करने, जिसमें अग्नि मिसाइल लॉन्च करना, पोखरण परमाणु टेस्ट और मंगलयान मिशन की सफलता शामिल है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस: महत्व

– 11 मई 1998 को प्रथम स्वदेशी विमान “हंसा-3” का परीक्षण उड़ान बंगलौर में किया गया।

– भारत ने उसी दिन त्रिशूल मिसाइल का सफल परीक्षण किया ।

– उस समय बहुत कम देशों के पास परमाणु शक्ति थी और भारत उन विशिष्ट देशों में से एक बन गया था तथा परमाणु क्लब में शामिल होने वाला छठा देश बन गया था।

– 11 मई, 1998 को ऑपरेशन शक्ति (पोखरण-II) शुरू किया गया।

– हर साल इस दिन भारतीय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड स्वदेशी प्रौद्योगिकी में योगदान के लिए विभिन्न व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करता है।

इसलिए, हम कह सकते हैं कि यह दिन दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को गौरवान्वित करता है और हमें विज्ञान को करियर के क्षेत्र के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

ऑपरेशन शक्ति क्या है?

दूसरा परीक्षण पोखरण II था जो परमाणु बम विस्फोटों के पांच परीक्षणों की श्रृंखला थी, जिसे भारत ने मई 1998 में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में किया था।

पोखरण द्वितीय या ऑपरेशन शक्ति में पांच विस्फोट शामिल थे, जिनमें से पहला विस्फोट संलयन बम था, जबकि अन्य चार विखंडन बम थे।

संस्कृत में शक्ति शब्द का अर्थ है शक्ति। 11 मई, 1998 को दो विखंडन और एक संलयन बम के विस्फोट के साथ ऑपरेशन शक्ति या पोखरण II की शुरुआत हुई।

13 मई 1998 को दो अतिरिक्त विखंडन बमों का विस्फोट किया गया और उस समय भारत में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तत्कालीन प्रधानमंत्री ने शीघ्र ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर भारत को पूर्ण परमाणु संपन्न राज्य घोषित कर दिया।

ऑपरेशन का मूल नाम ‘ऑपरेशन शक्ति-98’ था और पांच परमाणु उपकरणों को शक्ति I से शक्ति V के रूप में वर्गीकृत किया गया था। और अब, पूरे ऑपरेशन को पोखरण II के रूप में जाना जाता है और पोखरण I 1974 में किया गया विस्फोट था ।

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