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बिहार में दशहरा के अवसर पर लगता है भूतों का मेला - श्रीनारद मीडिया

बिहार में दशहरा के अवसर पर लगता है भूतों का मेला

बिहार में दशहरा के अवसर पर लगता है भूतों का मेला

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नवरात्र और दशहरे पर आपने कई तरह के मेले देखे होंगे. लेकिन, क्या आपने भूतों का मेला देखा है? बिहार के बगहा में लगने वाला एक मेला अपने आप में अनोखा माना जाता है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के जंगल के बीच स्थित गोबरहिया स्थान पर वर्ष 2001 से भूत-प्रेत से मुक्ति का खेल चलता आ रहा है. हर नवरात्र में यहां भूतों का मेला लगता है.

अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत है कि यहां सैकड़ों की संख्या में लोग भूत और प्रेत से आत्माओं की मुक्ति के लिए पहुंचते है. प्रेत और भूत भगाने के नाम पर पुरुष एवं महिलाओं के शरीर को यातनाएं भी दी जाती हैं.

यहां आने के बाद छूट जाती हैं बीमारियां

इस मेले में सिर्फ अनपढ़ ही नहीं बल्कि, पढ़ी लिखी महिलाएं भी आती हैं. जिनके दावे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. कुछ महिलाएं तो विगत दस वर्षों से गोबराहिया देवी स्थान आ रही हैं. 10 वर्ष पूर्व उन्होंने कई बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज कराया. लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. अंत में थक हार कर वे गोबरहिया देवी की शरण में आईं और आज काफी बेहतर हैं.

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पुजारियों ने कहा, यहां झाड़ फूंक नहीं होता

महिलाओं का कहना है कि यहां आने पर उन्हें सब दुखों से छुटकारा मिल गया है. अब वह बेहतर जीवन यापन कर रही हैं. उनका कहना है कि वे प्रत्येक साल इस मेले में देवी का दर्शन करने आती हैं. श्रद्धापूर्वक पूजा पाठ भी करती हैं. वही गोबरहिया देवी स्थान के पुजारियों का कहना है कि भूत प्रेत के नाम पर यहां कोई भी झाड़ फूंक नहीं किया जाता है. लोग यहां आते हैं और पूरी श्रद्धा से देवी की पूजन करते हैं. जिसके बाद उन्हें भूत पिचासों सहित अन्य रोगों से छुटकारा मिल जाता है.

बिहार और मेलों का रिश्ता बहुत पुराना है. यहां छोटे-बड़े त्योहारों पर मेला लगना आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी ‘भूतों का मेला’ सुना है? बिहार में नवरात्रि पर कई जगहों पर ‘भूतों का मेला’ लगता है. राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी प्रखंड की शाहाबाद पंचायत के छाता गांव में नवरात्रि के नवमी पर ‘भूतों का मेला’ लगता है.

लोगों की मान्यता है कि प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों को यहां आने से मुक्ति मिलती है. भूतों के इस मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. ब्रह्मस्थान की सेवादार सीमा कुमारी ने बताया कि पिछले 40 सालों से यहां पर लोगों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिल रही है. इस ब्रह्म स्थान मंदिर में बस एक लोटा जल चढ़ाकर, हर तरह की प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है.

इसी तरह से भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के इटहना गांव में नवरात्रि के समय और आम दिनों में भी ‘भूतों का मेला’ लगता है. मान्यता है कि यहां ब्रह्म बाबा और शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल पीने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. जानकारी के अनुसार, इटहना गांव में हर अमावस्या को मेला लगता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान हर दिन यहां 10,000 से अधिक लोग यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि सदियों से यहां भूतों का मेला लगता आ रहा है. इस मेले में गया, सीतामढ़ी, नवादा, रोहतास समेत बिहार के विभिन्न जिलों से लोग आते हैं. मान्यता के अनुसार, इटहना के बाबा ने इसी स्थान पर समाधि ली थी, और उनकी शक्ति से भूत-प्रेत की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. हालांकि, कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं.

बिहार के बगहा जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के जंगल के बीच में भी ‘भूतों का मेला’ लगता है. जानकारी के अनुसार, यहां स्थित गोबरहिया स्थान पर वर्ष 2001 से भूत-प्रेत से मुक्ति का खेल चलता आ रहा है. हर नवरात्र को भूतों का मेला लगता है. यूपी के सिसवा से आई खुशबू सहनी का कहना है कि वे विगत दस वर्षों से गोबराहिया देवी स्थान आ रही हैं. 10 वर्ष पूर्व उन्हें कई बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज भी कर चुकी थी. लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. अंत में थक हार कर वे गोबरहिया देवी की शरण में आई और आज भी काफी बेहतर है. प्रशासन और पुलिस भी तमाशबीन बनी रहती है.

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