Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
स्वतंत्रता संग्राम में भोजपुरिया समाज के योगदान पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन' - श्रीनारद मीडिया

स्वतंत्रता संग्राम में भोजपुरिया समाज के योगदान पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन’

‘स्वतंत्रता संग्राम में भोजपुरिया समाज के योगदान पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन’

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं सोशल एंड कल्चरल स्टडी इंस्टिट्यूट, भारत के सहयोग से संस्कार भारती, बिहार द्वारा एम एस कॉलेज, मोतिहारी के सभागार में भव्य संगोष्ठी और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अयोजित यह कार्यक्रम आजादी की लड़ाई में भोजपुरीभाषी समाज के योगदान पर केंद्रित था।

उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि प्रसिद्ध लोक गायिका एवं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य डॉ. नीतू कुमार नूतन थी। अध्यक्षता एम. एस. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने की। मुख्य वक्ता डॉ. जयकांत सिंह ‘जय’, सामाजिक कार्यकर्ता राणा प्रताप जी, शिक्षक श्याम सुंदर एवं डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी का विशिष्ट वक्ता के रूप में संबोधन हुआ। अतिथियों का स्वागत संगोष्ठी संरक्षक डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दिवाकर राय ने प्रस्तुत किया। संचालन वरीय साहित्यकार डॉ. विनय कुमार सिंह ने किया।

मुख्य अतिथि डॉ. नीतू कुमार नूतन ने कहा कि भोजपुर क्षेत्र के लोगों की आत्मा भोजपुरी भाषा है। भोजपुरी भाषा में लोक संगीत की मिठास अद्भुत है। उन्होंने अपनी स्वरचित गीत के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका को रेखांकित किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार ने कहा कि सामाजिक ताने बाने को बनाने में भोजपुरी भाषा समृद्ध है। इस भाषा में मिठास है। उन्होंने कहा कि यहां तो मनोरंजन, विचार विमर्श और घर गृहस्थी के सभी कार्यों से स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृति को जोड़कर देखा गया। चंपारण में नील आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि भोजपुर क्षेत्र के स्वतंत्रता संघर्ष की सुगंध को महात्मा गांधी जी समझ चुके थे। भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिश्र आदि के योगदान को भी रेखंकित किए।

सामाजिक कार्यकर्ता श्री राणा प्रताप जी ने कहा कि स्वतंत्रता दिलाने में भोजपुरी क्षेत्र के लोगों ने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से अद्भुत कार्य किया है। उन्होंने कहा कि भोजपुर के लोगों में अद्भुत जिजीविषा पहले भी थी और आज भी है। इसी जिजीविषा के बल पर अंग्रेजों को यहां लगातार घुटने टेकने पड़े। स्व की तंत्र को मजबूत करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व गुरु के रूप स्थापना के लिए आवश्यक है कि हम स्व के तंत्र को मजबूत बनाएं।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. जयकांत सिंह ‘जय’ ने स्वतंत्रता संग्राम में भोजपुरी समाज के अद्भुत योगदान का स्मरण दिलाया। उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्रता का बिगुल बजाने में भोजपुर से प्रमुख नाम 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक वीर कुँवर सिंह का योगदान आज के युवा पीढ़ी को बताने की जरूरत है। स्वतंत्रता आंदोलन में चंपारण सत्याग्रह और पंडित राजकुमार शुक्ल के योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्रता आन्दोलन की सफलता का प्रथम स्वाद भोजपुर की मिट्टी ने ही दिलाया।

उप-मेयर डॉ. लाल बाबू प्रसाद ने कहा कि भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए। भोजपुरी को उसका असली दर्जा नहीं मिला। इस भाषा की मिठास को संविधान में स्थापित करने की जरूरत है। इसमें आई अश्लीलता को दूर करने के लिए जागरूकता जरूरी है।

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र

‘स्वतंत्रता आंदोलन में भोजपुरी साहित्य की भूमिका’ विषय पर केंद्रित था। जिसमें प्रमुख वक्ता डॉ. ब्रज भूषण मिश्र ने कहा कि लोगों का कहना हैं कि राष्ट्रवाद की अवधारणा फ्रांस की क्रांति से हुई। लेकिन भारतीय अवधारणा उससे पृथक है। यहां राष्ट्र की अवधारणा देश की परिधि के अंतर्गत जिसमें प्रकृति, मानव, पशु-पक्षी और सामाजिक मूल्य, संस्कृति, भाषा आदि की रक्षा करना है। राष्ट्रवादी साहित्य की इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य इस मामले में अत्यंत समृद्ध है।

वरीय पत्रकार चंद्र भूषण पाण्डेय ने कहा कि यह आयोजन ऐतिहासिक अवसर है जिसे शहर से लेकर गाँव तक ले जाने की आवश्यकता है। क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को भोजपुरिया समाज का योगदान के बिना पूर्ण नहीं हो सकता है। द्वितीय सत्र में वरीय पत्रकार संजय पाण्डेय, भोजपुरी कवियित्री आशा सिंह, शोधार्थी राजेश पाण्डेय, कामेश्वर प्रसाद आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने अनेक ज्ञात और अज्ञात योद्धा के योगदान को स्मरण किया और उनके योगदान की चर्चा की।

कार्यक्रम के अंत में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। संचालन नवीन कुमार पाण्डेय ने किया। जिसमें सत्येंद्र गोविंद, प्रशांत सौरभ, पाण्डेय धर्मेंद्र शर्मा, गुलरेज शहजाद, डॉ. मधुबाला सिन्हा, धनुषधारी कुशवाहा, कलीमुल्लाह कलीम, नकुल कुमार, आशा सिंह, विभाकन्धर मिश्र, श्याम श्रवण आदि ने स्वतंत्रता आंदोलन में भोजपुरिया समाज के योगदान पर केंद्रित कविता पाठ एवं गीत की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जितेंद्र त्रिपाठी, आनंद प्रकाश, मनु शेखर, नीरज कुमार, आलोक चन्द्र (एडवोकेट), सत्यम कार्तिकेय वत्स, मानस कुमार, प्रशांत कुमार, अखिलेश्वर मिश्र गुलरेज शहजाद, अभिमन्यु कुमार, नकुल कुमार, रवि शंकर मिश्र सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। संगोष्ठी में अनिकेत राज और अमीषा द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा हुई। संगोष्ठी में शामिल शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

Leave a Reply

error: Content is protected !!