भारतीय चंदन की खेती और प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज़ादी का अमृत महोत्सव‘ पहल के एक हिस्से के रूप में हाल ही में भारत सरकार ने भारतीय चंदन की खेती और प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य चंदन प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र स्थापित करना, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास में मूल्यवर्द्धन के साथ-साथ किसानों एवं युवा उद्यमियों के बीच खेती के नए तरीकों को पेश करना है।
  • परिचय:
    • ‘संतालम एल्बम’ (Santalum Album), जिसे प्रायः भारतीय चंदन के रूप में जाना जाता है, मूलतः चीन, भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में पाई जाने वाली एक शुष्क पर्णपाती वन प्रजाति है।
      • चंदन लंबे समय से भारतीय विरासत और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, क्योंकि भारत विश्व के चंदन व्यापार में 85% का योगदान देता है। हालाँकि बीते कुछ समय में इस आँकड़े में गिरावट आई है।
    • यह उष्णकटिबंधीय छोटा वृक्ष लाल लकड़ी और छाल के कई गहरे रंगों (गहरा भूराऔर लाल) के साथ 20 मीटर तक ऊँचा होता है।
      • ‘संतालम एल्बम’ यानी भारतीय चंदन की लड़की काफी मज़बूत एवं टिकाऊ होती है।
  • प्रयोग:
    • भारत में इसे ‘चंदन’ अथवा ‘श्रीगंधा’ के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय परंपरा में चंदन का एक विशेष स्थान है जहाँ जीवन की शुरुआत से लेकर मृत्यु तक इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता रहा है।
    • चंदन की लकड़ी का उपयोग फर्नीचर और नक्काशी के लिये भी किया जाता है। लकड़ी और जड़ों में ‘चंदन का तेल’ भी मौजूद होता है, जिसका उपयोग इत्र, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन और दवाओं में किया जाता है। चंदन के वृक्ष की ‘छाल’ में ‘टैनिन’ मौजूद होता है, जिसका उपयोग ‘डाई’ के लिये किया जाता है।
    • चंदन के तेल में एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीपस्मोडिक गुण मौजूद होते हैं।
      • इसका उपयोग ‘अरोमाथेरेपी’ में तनाव व उच्च रक्तचाप को कम करने और घावों को ठीक करने तथा त्वचा के दोषों का इलाज के लिये किया जाता है।
  • प्रमुख उत्पादक क्षेत्र: भारत में चंदन अधिकांशतः आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पाया जाता है।

चंदन बाज़ार

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