41 वर्ष बाद जाकर तिरंगे ले लिया अपना असली आकार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज हम और आप जिस तिरंगे को गर्व से देखते, फहराते और सलामी देते हैं, वह सिर्फ भावनात्मक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बहुत सटीक है। इसमें रंगों का चयन का आधार भले ही भावनाओं से प्रेरित बताया जाता है, लेकिन इसके पीछे विज्ञान भी है। हमारे राष्ट्रध्वज में प्रयोग किए गए रंग देखने वाले की आंखों पर विशिष्ट प्रभाव डालते हैं।

हमारा तिरंगा रंगों के विज्ञान का सटीक उदाहरण

जेएनयू के स्कूल आफ आट्र्स एंड एस्थेटिक्स में विजुअल स्टडीज के प्रोफेसर व आर्ट हिस्ट्री के विशेषज्ञ वाईएस अलोनी बताते हैैं कि चित्रकारी या किसी आर्ट फार्म की व्याख्या करते समय एक शब्द का उपयोग किया जाता है, ग्रे स्केल। रंगों का संयोजन आंखों के माध्यम से मस्तिष्क पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है। यदि रंगों का संयोजन सही नहीं है तो यह ग्रे स्केल में चला जाएगा। यानी मस्तिष्क उसे बहुत प्रभावी ढंग से नोटिस नहीं करेगा। हमारा तिरंगा रंगों के इस विज्ञान का इसका सटीक उदाहरण है। सोचिए, यदि सफेद रंग को ऊपर या सबसे नीचे कर दिया जाता तो क्या यह उतना प्रभावी होता? केसरिया और हरा दोनों ही रंग उभर नहीं पाते। बीच में सफेद रंग की पट्टी दोनों गहरे रंगों को थामती है और उनका प्रभाव बढ़ाती है।

तीनों अपने आप में संपूर्ण रंग

नए संसद भवन पर हाल ही लगे अशोक स्तंभ की कांस्य प्रतिमा स्थापित करने वाले शिल्पकार लक्ष्मण व्यास का कहना है केसरिया, सफेद और हरा रंग अपने आप में संपूर्ण रंग माने जाते हैं। किसी भी पेंटिंग में इन तीनों रंगों से अलग प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है। इसी कारण हमारा राष्ट्रध्वज एक अलग ही छटा बिखेरता दिखता है।

ध्वज के आकार में भी विज्ञान होता है। ध्वज का आकार इस प्रकार ही रखा जाता है कि वह हवा में खुलकर अच्छी तरह से लहरा सके। इस संबंध में प्रोफेसर अलोनी ने बताया कि जहां तक हमारे राष्ट्रीट झंडे के आयाताकार होने की बात है तो विश्व के अधिकांश झंडे इसी आकार के होते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक आधार है कि इस आकार के कारण हवा में झंडे ज्यादा अच्छे ढंगे से फहरा सकते हैं।

तीन अनुपात दो का आकार

राष्ट्रध्वज पर तीन अलग-अलग रंगों की समान चौड़ाई वाली तीन आयाताकार पट्टियां होती हैं। झंडे की लंबाई और चौड़ाई में 3, 2 का अनुपात होना चाहिए।

(नोट: झंडा संहिता 2022 के अनुसार)

यह हैं राष्ट्रध्वज से जुड़े प्रमुख नियम

अतिगणमान्य व्यक्तियों को ले जाने वाले हवाई जहाज में 450-300 मिमी, कारों में 225-150 मिमी और सरकारी कार्यालय की मेज पर 150-100 मिमी के आकार का तिरंगा लगाया जाता है।

 

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