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फाइलेरिया से बचे के बा त दवाई के सेवन सबके करे के पड़ी: सुगवंती देवी - श्रीनारद मीडिया

फाइलेरिया से बचे के बा त दवाई के सेवन सबके करे के पड़ी: सुगवंती देवी

फाइलेरिया से बचे के बा त दवाई के सेवन सबके करे के पड़ी: सुगवंती देवी

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गोरेयाकोठी में आशा कार्यकर्ताओं के साथ नेटवर्क मेंबर लोगों को कर रही है जागरूक:

जिले के सदर प्रखंड में सबसे अधिक 119184 लाभुकों को कराया जा चुका दवाओं का सेवन:

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


रउआ लाेगन के फाइलेरिया से बचावे खातिर स्वास्थ्य विभाग एमडीए (सर्वजन दवा सेवन) अभियान चला रहल बाटे। फाइलेरिया से बचे के बाद त सब केहू दवाई खायेला बाकिर हाथीपांव ना होखे ओकरा खातिर दवाई खिआवल जात बा। अगर रउआ लोगन इ दवाई ना खाएम त फाइलेरिया के चपेट में आवे के खतरा बढ़ सकेला। कुछ इसी प्रकार से अपने गंवई अंदाज में जिले के गोरेयाकोठी प्रखंड में आज्ञा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की 55 वर्षीय सक्रिय सदस्य सुगवंती देवी सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) के दौरान लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई हैं। स्थानीय होने के कारण लोग उनकी बातों को सुन और समझ भी रहे हैं। जिससे उनमें जानकारी और जागरूकता बढ़ रही है। अपने जागरूकता अभियान के दौरान सुगवंती देवी लोगों को बता रही है कि फाइलेरिया या हाथी पांव कुरूपता और अपंगता की बीमारी है। लेकिन इससे बचाव का सबसे सरल और आसान उपाय यह है कि साल में एक बार चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड के दौरान पांच साल तक लगातार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया जाए। जिले के विभिन्न प्रखंडों में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ की टीम जब किसी के घर जाए तो उसके सामने दवा का सेवन अवश्य करें।

दवाओं के सेवन से दो कारणों से ही लोग पड़ते हैं बीमार: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार भट्ट ने बताया कि
कई प्रकार की भ्रांतियों और अफवाहों के चक्कर में आने के कारण कई लोग दवाओं का सेवन नहीं करते हैं। लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता है कि दवाओं के सेवन से लोग बीमार बस दो कारणों से ही पड़ते हैं। एक एडवर्ड ड्रग रिएक्शन (एडीआर) और दूसरा फेवरेबल ड्रग रिएक्शन (एफडीआर)। आसान शब्दों में कहा जाए तो एडीआर की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब खाली पेट दवाओं का सेवन किया जाता है। लेकिन जब एफडीआर की स्थिति उत्पन्न हो तो लोगों को खुश होना चाहिए। क्योंकि यह परिस्थिति तब उत्पन्न होती है जब दवाओं का सेवन करने वाले लाभुकों में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद होते हैं। जिस कारण दवा सेवन से फाइलेरिया के परजीवी मरते हैं, जिससे मितली, उल्टी, चक्कर, सिर दर्द और पेट दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।

896673 लोगों को कराया जा चुका है फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन: डॉ एमआर रंजन
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मणिराज रंजन ने बताया कि सुक्रत्या ऐप के अनुसार रविवार के दोपहर तक जिले में कुल 8 लाख 96 हजार 673 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जा चुका है। जिसमें आंदर में 29216 लाभुकों को दवाओं का सेवन कराया गया है। इसी प्रकार बड़हरिया में 84085, बसंतपुर में 29690, भगवानपुर हाट में 46864, दरौली में 48724, धरौंध में 40227, गोरयाकोठी में 66679, गुठानी में 72605, हसनपुरा में 23695, हुसैनगंज में 85776, लकरी नबीगंज में 12219, महराजगंज में 18845, मैरवा में 37205, नौतन में 27972, पचरुखी में 52915, रघुनाथपुर में 62306, सिसवन में 9275, सिवान में 119184 तथा जीरदई में 32191 लोगों को दवाओं का सेवन कराया जा चुका है।

 

फाइलेरिया के कारण होने वाले केवल हाइड्रोसील की हो जाती है सर्जरी: पीरामल स्वास्थ्य
पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी में केवल हाइड्रोसील का ही सर्जरी किया जाता है, लेकिन हाथ, पैर, स्तन या शरीर के अन्य अंगों का सूजन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी मनुष्य के लसिका तंत्र में रहते हैं। लंबे समय तक यह बीमारी रहने पर हाथ, पैर, स्तन में सूजन, अंडकोष में सूजन हो जाता है। जिलेवासियों से अपील करते हुए जिला प्रतिनिधि ने कहा कि सामूहिक रूप से दवा सेवन कार्यक्रम के तहत साल में एक बार डीइसी और एलबेंडाजोल की गोली का सेवन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर अन्य सभी को दवा का सेवन करना चाहिए।

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