अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई.

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जन्म जयंती पर शिवाजी के विचारों और वीर गाथाओं को याद किया जाता है। 

शिवाजी महाराज अपनी अद्भुत रणनीति, उत्कृष्ट नेतृत्व गुण के कारण जाने जाते थे।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के द्वारा  छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती पर मोतिहारी नगर के आर्य समाज चौक स्थित प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परिषद् की विश्वविद्यालय इकाई एवं जिला नगर इकाई के दायित्वाधारी एवं कार्यकर्ता ने कार्यक्रम का आयोजन किया ।

समारोह में मोतिहारी जिला संयोजक सोनू कुमार ने कहा की  छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में शिवनेरी (महाराष्ट्र) में हुआ  था। शिवाजी के पिता शाहजी और माता जीजाबाई थी। वे एक भारतीय शासक थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है।

शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में न पता हो। वीर सपूतों में से एक माने जाने वाले शिवाजी महाराज भारतीय गणराज्य के महानायक माने जाता थे। मराठा गौरव ने ही साल 1674 में भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। वह एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे।

वहीं नगर सह मंत्री मृदुल जी ने बताया की छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के सबसे बहादुर और बुद्धिमान सम्राटों में से एक थे। इतिहास इस बात का गवाह है कि छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र न तो दिल्ली की गद्दी के आगे झुका और न ही अंग्रेजों के सामने। अपने राष्ट्र को मुगलों के चंगुल से बचाने और इसे मजबूत बनाने के लिए शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

उनकी इस वीरता के कारण ही उन्हें एक आदर्श एवं महान राष्ट्रपुरुष के रूप में स्वीकारा जाता है। इसी के चलते छत्रपति शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 ई. में तीन सप्ताह की बीमारी के बाद रायगढ़ में स्वर्गवास हो गया।

जबकी इस मौके पर जय कुमार, उपाध्यक्ष, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय इकाई,कृष्णा कुमार, शोध सह संयोजक,विश्वविद्यालय इकाई,लकी कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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