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अक्षरधाम मंदिर गुजरात से आए संतों ने ब्रह्मसरोवर की आरती में लिया भाग  - श्रीनारद मीडिया

अक्षरधाम मंदिर गुजरात से आए संतों ने ब्रह्मसरोवर की आरती में लिया भाग 

 

 

अक्षरधाम मंदिर गुजरात से आए संतों ने ब्रह्मसरोवर की आरती में लिया भाग

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरूक्षेत्र (हरियाणा):

कुरुक्षेत्र 13 मार्च : गत्त दिवस ब्रह्म सरोवर पर होने वाली संध्या आरती में अक्षरधाम मंदिर गुजरात से आए हुए दिव्य संतों ने आरती में भाग लिया। अक्षरधाम गुजरात के स्वामी भगवत प्रसाद दास ने ब्रह्मसरोवर आरती को देखकर मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उनके साथ स्वामी नारायण मंदिर कुरुक्षेत्र के स्वामी भक्त ज्ञान मंगल दास व अनेक संत महात्माओं ने आरती में भाग लिया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य अशोक रोशा व कैप्टन परमजीत सिंह ने उनका स्वागत किया।

गीता उपदेश स्थली कुरुक्षेत्र का सतयुग से ही के विशेष स्थान रहा है। यही वह धरती है जहां महाभारत में मोह ग्रस्त अर्जुन को गीता उपदेश दिया। हरिद्वार और बनारस की तर्ज पर विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर तट पर रोजाना संध्या महाआरती की जाती है। एशिया के सबसे बड़े ब्रह्मसरोवर के तट पर महाआरती से पहले विशेष धुन और मंत्रो का उच्चारण किया जाता है, जिसके बाद सारा वातावरण महाआरती के रंग में रंग जाता है।

कुरुक्षेत्र में होने वाली महाआरती में हनुमान चालीसा के बाद सभी देवी देवताओं, सभी नदियों व कुरुक्षेत्र तीर्थ की आरती होती है, क्योंकि कुरुक्षेत्र में सभी तीर्थो का वास है। ब्रह्मसरोवर को चारों युगों का तीर्थ माना गया है। भगवान ब्रह्मा ने पांच वेदियों में सबसे पहले वेदी उत्तरवेदी यहां पर स्थापित की थी।

 

ब्रह्मसरोवर को ब्रह्मा की उत्तरवेदी के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मा के नाम से ही ब्रह्मसरोवर नाम पड़ा है। ब्रह्मसरोवर स्थित मां कात्यानी पीठ के महंत एवं षडदर्शन साधुसमाज के प्रचार सचिव पंडित बलराम के अथक प्रयासों का परिणाम है की प्रतिदिन सैकड़ों देश विदेश से श्रद्धालु लोग संध्या आरती में शामिल होते है। पंडित बलराम लग्न ओर धर्म के प्रति समर्पण से संध्या आरती ब्रह्म सरोवर एक भव्य रूप में स्थापित हो चुकी है।

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