अक्षय नवमी को आंवले के वृक्ष की होगी पूजा

अक्षय नवमी को आंवले के वृक्ष की होगी पूजा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अक्षय नवमी इस वर्ष 10 नवंबर को मनाई जाएगी। यह दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें आंवले के वृक्ष का पूजन, स्नान, व्रत और दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी से द्वापर युग का आरंभ माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है। पद्म पुराण के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने कुशमांड नामक दैत्य का वध कर धरती पर धर्म की स्थापना की थी और इसी दिन श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पूर्व वृंदावन की परिक्रमा की थी।

अक्षय नवमी के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद आंवले के वृक्ष के पास जाकर सफाई करें और हल्दी, चावल, कुमकुम या सिंदूर सेवृक्ष की पूजा करें। सायंकाल में घी का दीपक जलाकर आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करें। इसके बाद खीर, पूरी और मिष्ठान का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और वृक्ष के नीचे भोजन करना विशेष पुण्यदायक माना गया है।अक्षय नवमी के दिन पितरों के निमित्त अन्न, वस्त्र, और कंबल का दान करना चाहिए। यह भी मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत गुना मिलता है। आंवले के वृक्ष के पास पितरों का तर्पण भी किया जाता है।

आंवला ग्रहण करना भी शुभ

यूं तो आंवला भगवान विष्णु को काफी प्रिय है। संस्कृत में धात्तिफल कहलाने वाले आंवला वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। अगर आंवले का उपयोग हरे- बहेड़ा के साथ किया जाय तो समस्त उदर रोग से निजात मिलती है।

अक्षय नवमी पूजा नियम
अक्षय नवमी की पूजा के समय शुभ मुहूर्त में आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाते हैं. उसके बाद आंवले के पेड़ की जड़ में जल और कच्चा दूध चढ़ाएं. उसके बाद पेड़ पर अक्षत्, चंदन, फूल, फल आदि अर्पित करें. फिर रक्षा सूत्र या कच्चा सूत पेड़ में लपेटें. इसे कम से कम 8 बार और अधिक से अधिक 108 बार लपेटना है. पूजा खत्म होने के बाद परिवार के साथ आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाना चाहिए.

अक्षय नवमी का महत्व
धा​र्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, जो सेहत के लिए उत्तम मानी जाती हैं. इस वजह से लोग उस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठते हैं और पूजा करते हैं. भगवान विष्णु की पूजा करने से कष्ट दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी.

Leave a Reply

error: Content is protected !!