विश्व कल्याणार्थ अम्बिका भवानी मंदिर मे वार्षिक पूजनोत्सव संपन्न.

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श्रीनारद मीडिया मनोज तिवारी,सारण बिहार

# विश्व कल्याण के लिए सिर्फ वार्षिक पूजा में ही बली का प्रावधान है।

भारत के इकलौते सिद्ध पीठ अम्बिका भवानी आमी मे वार्षिक पूजनोत्सव सम्पन्न हो गया।श्रावण पूर्णिमा को होने वाले विशेष पूजन मे सवा क्विंटल तीन जव और घी सो होम हुआ और सभीं देवी देवताओ को विशेष आहुति दी गई और हर प्रकार के संकट और महमारी से विश्व के कोने-कोने मे बसे अंम्बिका भवानी के भक्तो की रक्षा हेतु प्रार्थना की गई।पूजन की शुरूआत ब्राम्हण्ड के सभी देवी देवताओ के यज्ञ मंडप मे आह्वान से शुरू होकर माॅ अम्बिका के विशेष श्रृंगार व पूजन तथा महा आरती से संपन्न हुआ।इसके पूर्व पूरे आमी गाॅव मे कोविड प्रटोकाल के नियमो का पालन करते हुए नगर भ्रमन व गंगा तट तथा हनुमान मंदिर मे महाबीरजी का ध्वज रोपण भी हुआ।एक दर्जन आचार्यो व अम्बिका भवानी मंदिर के पूजेडीयों के वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरा क्षेत्र गूॅजयमान हो रहा था।

सभीं देवी मंदिरो मे पूजन की समाप्ति के बाद होता है सिद्धि दात्री माॅ अम्बिका का पूजन

माॅ अम्बिका मंदिर सिद्धि दात्री के नाम से विश्व विख्यात है।मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक यही राजा सूरथ और वैश्य ने गंगा तट पर माॅ अम्बिका का मिट्टी का पिण्डी बनाकर सिद्धि प्राप्त की।इनको कठोर साधना से माॅ अम्बिका को प्रकट होना परा था तभी से यह स्थान ब्रम्ह भाव को प्राप्त हुआ।सिद्ध पीठ होने के कारण यहाॅ श्रावण के पूर्णिमा को वार्षिक पूजनोत्सव समस्त ग्रामीणोव श्रद्धालु भक्तो व पूजेडियो के सहयोग से संपन्न होता है।

# सिर्फ वार्षिक पूजा मे ही बली का प्रावधान है।

वार्षिक पूजनोत्सव के अंत मे विश्व के कल्याणार्थ व माॅ अम्बिका को प्रसन्न करने के लिए एक बली भी माॅ को अर्पित किया जाता है।बाकी दिनो मे मंदिर के गर्भ गृह के बाहर ईसान कोणे मे नाडियल की बली अर्पित की जाती है।पूजा समिति के व्यवस्थापक राजू सिह,राजेश तिवारी उर्फ बिट्ठल बाबा,संतोष तिवारी,अजीत सिंह,मुन्ना सिंह,अतुल कुमार आदि ने बताया कि माॅ अम्बिका के दरबार मे सामाजिक वार्षिक पूजन को छोड कर अन्य दिनो नीरीह प्राणियो के बली पर पूर्णतः प्रतिवन्ध है।यहाॅ सीर्फ मन्नत पूर्णहोने पर ग्यारह मीटर के माॅ के अंग वस्त्र साडी,चुन्दरी चादर श्रृंगार समाग्री व पेडा का भोग अर्पित होता है।बली के लिए नाडियल चढाया जाता है।

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