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क्या वनों की आग अब एक समस्या बन चुकी है? - श्रीनारद मीडिया

क्या वनों की आग अब एक समस्या बन चुकी है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जंगलों में आग लगना असामान्य नहीं है लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि अब जंगलों में आग लगने की घटनाएं तब हो रही हैं, जब पहले नहीं हुआ करती थीं। सोचने बैठें तो समझ आएगा कि इसका सीधा नाता बदलते मौसम यानी जलवायु परिवर्तन से है।

कनाडा के अधिकांश हिस्से को कवर करने वाले देवदार, स्प्रूस और लार्च वन के विशाल क्षेत्र पीढ़ियों से बेशकीमती रहे हैं। वे न केवल सैकड़ों प्रजातियों को घर प्रदान करते हैं- जिनमें सबसे अधिक खतरे में पड़ी कुछ प्रजातियां भी शामिल हैं- बल्कि वे ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं। लेकिन इस साल की गर्मी कनाडा के जंगलों के लिए असाधारण रूप से विनाशकारी रही है।

आग की 6400 से अधिक घटनाओं ने लगभग 18 मिलियन हेक्टेयर वनक्षेत्र को झुलसा दिया है, जो ऐतिहासिक मानदंडों से कहीं अधिक है। कनाडा के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की राजधानी से सटे जंगलों में लगी भीषण आग की वजह से 20,000 से अधिक लोगों को वहां से अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

एक महीने से भी अधिक समय पहले आकाशीय बिजली गिरने से लगी आग ने लगभग 175,774 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को झुलसा दिया है- जो कनाडा के कुल वनक्षेत्र का पांच प्रतिशत है। यह आग जल्दी बुझने वाली नहीं है। जंगलों की आग के सीजन भी धरती के गर्म होने की वजह से लंबे खिंचने लगे हैं।

सरलीकरण करके सोचें तो अहसास होता है कि गर्मियां बढ़ रही हैं इसलिए पेड़-पौधे ज्यादा सूख रहे हैं और वे आग की चपेट में तेजी से आने का सबब बनते हैं। कनाडा में भी इस सब का असर दिख रहा है। तेज गर्मी के चलते वहां पहाड़ों पर उगने वाले झाड़-झंखाड़ के सूख जाने से शुष्क ईंधन की उपलब्धता बढ़ गई है और उसके आसानी से ज्वलनशील होने की संभावना है।

इस गर्मी में आग की लपटों ने दुनिया के जंगलों के सबसे बड़े हिस्सों में से एक को निगल लिया है और बदले में 2 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ दिया है। ज्ञात हो कि कनाडा के अधिकांश हिस्सों में जो भीषण आग भड़की है, वह कुछ हद तक खराब वन-प्रबंधन की विरासत के भी कारण है।

लकड़ी काटने और बेचने के उद्योग ने लंबे समय से चले आ रहे मूल्यवान शंकुधारी (कोनिफर) पेड़ों की जगह इन जंगलों के परिदृश्य को धीरे-धीरे जल्दी बढ़ने वाले आकर्षक लेकिन अत्यधिक दहनशील पेड़ों के साथ नया आकार दिया है।

दशकों से दावानल पर काबू पाने के लिए स्थानीय समुदायों द्वारा सूखी लकड़ी, पत्ते आदि बीनकर जलाए जाने की प्रथा से दूर जाने के कारण जंगल का अधिकांश भाग ज्वलनशील सूखी लकड़ी, टहनियों और पत्तियों से अटा पड़ा है। यहां मानवीय भूमिका नकारी नहीं जा सकती। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कनाडा की रिकॉर्डतोड़ जंगल की आग से उत्सर्जन उसके सालाना कार्बन फुटप्रिंट का तीन गुना हो गया है और जलवायु प्रणाली टिपिंग पॉइंट पर पहुंच गई है।

यह आंकड़ा हर साल कनाडा की अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी उत्सर्जन से कहीं अधिक है। वह कुल 670 मिलियन टन उत्सर्जित करता है। यहां तक कि प्रतिबंधित जंगलों में आग लगने से होने वाला उत्सर्जन, जो भीतरी इलाकों के किसी भी हिस्से को संदर्भित करता है और पार्क प्रणाली के माध्यम से स्टीवर्ड किया जाता है, कनाडा की अर्थव्यवस्था के कुल उत्सर्जन से अधिक हो गया है। जहां एक तरफ दुनिया उत्सर्जन कम करने में लगी है, वहीं कनाडा के जंगलों की आग आज एक ग्लोबल समस्या बन चुकी है।

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