अभिनेता पंकज त्रिपाठी के पिता को अश्विनी चौबे और चिराग पासवान ने दी श्रद्धांजलि!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी के पिता के श्राद्धकर्म में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और लोजपा रामविलास सुप्रीमो सह सांसद चिराग पासवान जिले के बरौली प्रखंड के बेलसंड गांव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अभिनेता पंकज त्रिपाठी के पिता दिवंगत पंडित बनारस तिवारी के तैल्यचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

साथ ही पंकज त्रिपाठी से मिल उन्हें सांत्वना देते हुए कहा की इस दुःख की घड़ी में शोकाकुल परिवार के साथ है। 21 अगस्त को बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी के पिता पंडित बनारस तिवारी का देहांत हो गया था।

अंतिम विदाई में पहुंचे अश्विनी चौबे और चिराग पासवान

पिता के निधन की खबर सुन पंकज त्रिपाठी मुंबई से घर पहुंचे और अपने पिता की अंतिम विदाई दी। जिसके बाद शुक्रवार को उनका श्राद्ध बेलसंड में हुआ। इस दौरान पंकज के पिता के श्राद्ध कर्म में दूर-दूर से लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है।

भाजपा के केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और लोजपा रामविलास के सुप्रीमो सह जमुई सांसद चिराग पासवान भी श्राद्ध कर्म में शामिल हुए। इस दौरान चिराग पासवान ने कहा की उनके भावनाओं को मैं समझ सकता हूं। जैसे पूरे घर परिवार की तमाम जिम्मेदारियां उनकी भावनाओं को मैं समझ सकता हूं।

चिराग ने कहा- पिता के जाने के बाद आती हैं जिम्मेदारी

बेटा कितना भी बड़ा क्यों ना हो जब पिता के जाते ही सही मायने में जिम्मेदारी आती है। पिता को जाने के बाद पता चलता है की कैसे पूरा परिवार चलाया जाता है। उनकी भावनाओं को मैं समझ सकता हूं बेटा कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए जब पिता जाते हैं तो सही मायने में जिम्मेदारी कंधों पर आ जाती है।

पिता जब तक होते हैं तब तक लड़कपन होता है और इस बात को मैंने भी अनुभव किया है। जब तक मेरे पिता थे और उनके जाने के बाद कैसे पूरे घर परिवार की तमाम जिम्मेदारियां आपके ऊपर आती है। ऐसे में मै इस परिवार के साथ मैं खड़े होने आया हूं। साथ ही चिराग पासवान ने उनकी मां से मुलाकात करने आया उनका आशीर्वाद लिया।

पंडित बनारस तिवारी ने बिहार के गोपालगंज जिला अंतर्गत बरौली स्थित पैतृक गांव बेलसंड में आखिरी सांस ली थी।’पिता की अचानक मृत्यु पर पंकज त्रिपाठी काफी उदास दिखे. उन्होने कहा कि मृत्यु तो अटल सत्य है, हम सबको इस फानी दुनिया से जाना ही है, लेकिन अपनों के जाने से तकलीफ होती ही है. मेरे पिता मेरे आदर्श थे. आज मैं अपने आप को अधूरा महसूस कर रहा हूं.

हालांकि अब उनके दर्शन तो केवल तस्वीरों में ही हो सकेंगे, लेकिन मेरे पिता मेरे लिए स्वर्ग से भी आशीर्वाद देते रहेंगे और मेरी माताजी का आर्शीवाद तो मेरे सिर पर भगवान की कृपा से है ही. वो पहले की तरह ही अपने गांव, घर, अपनी गंवई मिट्टी, अपने बचपन के साथियों से मिलने आते रहेंगे और सबसे बड़ी बात ये है कि उनकी जननी के भाग्यशाली चरण अभी धरा पर हैं, उनके दर्शन और आर्शीवाद लेने हर फिल्म के फ्लोर पर आने के साथ आते रहेंगे.’

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