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पोषण एवं एनीमिया को लेकर स्कूली बच्चों के बीच चलाया गया जागरूकता अभियान - श्रीनारद मीडिया

पोषण एवं एनीमिया को लेकर स्कूली बच्चों के बीच चलाया गया जागरूकता अभियान

पोषण एवं एनीमिया को लेकर स्कूली बच्चों के बीच चलाया गया जागरूकता अभियान

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संतुलित एवं पौष्टिक आहार मिलने से किशोरों के सेहत में होता है सुधार: प्राचार्य
हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए भिंगोये हुआ चना के साथ काला गुड़ खाना ज़्यादा फायदेमंद: जिला प्रमुख
कृमि संक्रमण के कारण एनीमिया की शिकायत: वेदांत मिश्रा
भोजन के पूर्व हाथों को नियमित रूप से साफ़ करना चाहिए: जियाउद्दीन

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


बेहतर शिक्षा की परिकल्पना के लिए किशोरावस्था के दौरान पोषण की महत्ता काफ़ी महत्वपूर्ण है। जब तक बच्चों को संतुलित एवं पौष्टिक आहार नहीं मिलेगा तब तक किशोरों के सेहत में सुधार नहीं हो सकता है। उक्त बातें शहर स्थित जिला स्कूल के सभागार में प्राचार्य दिवाकांत झा ने पिरामल स्वास्थ्य के सहयोग से स्कूली बच्चों में एनीमिया, पोषण एवं हाथों की सफ़ाई को लेकर एक दिवसीय कार्यक्रम के दौरान कही। इस अवसर पर कार्यक्रम के नेतृत्वकर्ता वेदांत मिश्रा, पिरामल स्वास्थ्य के जिला लीड संजय झा, स्वास्थ्य एवं पोषण के जियाउद्दीन, गांधी फैलो शहजाद अंजुम, अमित श्रीवास्तव एवं सिमरन चौधरी, गोइंग टू स्कूल के विकास सिंह, बॉयजु के अश्विनी सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।

 

हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए भिंगोये हुआ चना के साथ काला गुड़ खाना ज़्यादा फायदेमंद: जिला प्रमुख
पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रमुख संजय झा ने कहा कि शरीर में खून की कमी होने के कारण एनीमिया जैसी बीमारी उत्पन्न होती है। इसके लिए हमलोगों को अपने खानपान के तरीके में बदलाव कर आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है। जैसे: चुकंदर, टमाटर, गाजर एवं हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन नियमित रूप से करते हैं, तो निश्चित ही आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। स्कूली बच्चों को सुबह उठकर पानी में भिंगोये हुए चना के साथ काला गुड़ खाना चाहिए। काला गुड़ खाने मात्र से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है। एनीमिया होने की जानकारी के लिए शारीरिक कमजोरी, थकान महसूस होना, दिल की धड़कन का असामान्य महसूस होना, सांस लेने में दिक्कत होना, सिरदर्द होना के साथ तेज चक्कर आना, त्वचा का पीला पड़ना, जीभ एवं नाखूनों के अंदर सफेदी होना मुख्य लक्षण हैं।

 

कृमि संक्रमण के कारण एनीमिया की शिकायत: वेदांत मिश्रा
वेदांत मिश्रा ने कहा कि पढ़ाई के दौरान युवाओं में अक्सर फल और सब्जियां खाने की आदत कम रहती है। जब आप दूषित पदार्थ का सेवन करते हैं, तो परजीवी आपकी आंत में चला जाता है। फिर वही आंत में प्रवेश कर प्रजनन करने लगता हैं। सबसे अहम बात यह है कि यदि परिवार में किसी एक बच्चे या बड़े को कृमि हो जायें तो इसके पूरे परिवार में फैलने की आशंका प्रबल हो जाती है। कृमि संक्रमण के लिए संभावित कारणों में दूषित पानी का सेवन, दूषित मिट्टी मे खेलना या खाना, दूषित मल के साथ संपर्क, सफाई की व्यवस्था ना होना, खराब स्वच्छता आदि है। राउंडवॉर्म आमतौर पर दूषित मिट्टी और मल के संपर्क के माध्यम से प्रेषित होते हैं। इसके अलावा आंतों के कृमि से संक्रमित होने का एक तरीका यह भी होता है कि संक्रमित जानवरों या मछली का कच्चा मांस खाने से कृमि की बीमारी उत्पन्न होती है। जिस कारण शरीर में खून की कमी की शिकायत होती है।

 

भोजन के पूर्व हाथों को नियमित रूप से साफ़ करना चाहिए: जियाउद्दीन
पिरामल की ओर से जियाउद्दीन ने स्कूली बच्चों से कहा कि हमारे हाथों में अनगिनत गंदगियां छिपी होती हैं, जो किसी भी प्रकार की वस्तुओं को छूने, उसका उपयोग करने एवं कई तरह के दैनिक कार्यों के कारण होती है। यह गंदगी, बगैर हाथ धोए खाद्य एवं पेय पदार्थों के सेवन करने मात्र से आपके शरीर में प्रवेश कर जाती हैं, जिस कारण सैकड़ों प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। सरकारी स्कूलों एवं कार्यालयों में हाथ धोने से होने वाले लाभ एवं नहीं धोने से होने वाले नुकसान को लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। हालांकि छोटे-छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से भोजन के पूर्व बच्चों को हाथ धोने के प्रति शिक्ष‍ित और जागरूक किया जाता है, ताकि‍ वे सभी अपनी आदतों में शुमार कर सकें।

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