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हेलमेट पहनकर चलने से दूर होगा गंजापन,एम्‍स और आइआइटी के प्‍लान पर शुरू हो चुका है काम - श्रीनारद मीडिया

हेलमेट पहनकर चलने से दूर होगा गंजापन,एम्‍स और आइआइटी के प्‍लान पर शुरू हो चुका है काम

हेलमेट पहनकर चलने से दूर होगा गंजापन,एम्‍स और आइआइटी के प्‍लान पर शुरू हो चुका है काम

श्रीनारद मीडिया,रोहित मिश्रा,स्टेट डेस्क

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पुरुष हो या महिला, युवावस्था में गंजापन उनके आत्मविश्वास को डगमगा देता है। युवतियों में तो गंजेपन को सामाजिक अभिशाप जैसा माना जाता है। शादियां होना मुश्किल हो जाता है। पैसे वाले तो महंगी दवाओं और प्रत्यारोपण कराकर इससे निजात पा जाते हैं लेकिन गरीब व मध्यम वर्गीय इसी हीनभावना के साथ पूरा जीवन बिताने को विवश हैं। आमजन के इसी दंश से निजात दिलाने के लिए एम्स पटना के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सह फिजियोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. योगेश कुमार अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने पाया कि यदि एक निश्चित तीव्रता की गामा किरणें तीन से चार माह तक बालों की जड़ों में दी जाएं तो बालों को दोबारा उगाया जा सकता है।

गंजापन की समस्‍या दूर करने के लिए प्रो. योगेश कुमार आइआइटी पटना के इंक्यूबेशन सेंटर की मदद से एक हेलमेट बना रहे हैं। इसे तीन से चार माह तक पहनने से बाल उगाए जा सकेंगे। हालांकि, अभी यह अध्ययन प्रारंभिक अवस्था में है। हेलमेट बनने और उसके पेटेंट के बाद पूरी जानकारी साझा की जाएगी। इसी के बाद कहा जा सकेगा कि यह आमजन को कब तक इसका लाभ मिल सकेगा।

डा. योगेश कुमार ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली के कारण गंजापन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। एक युवती को गंजेपन के कारण होने वालीं समस्याओं पर तो फिल्म तक बन चुकी है। इससे निजात के लिए पूरी दुनिया में शोध हो रहे हैं। नई-नई दवाएं बाजार में आ रही हैं लेकिन कोई भी अभी पूरी तरह सफल नहीं साबित हुई है। अबतक हेयर ट्रांसप्लांट को ही इसका एकमात्र इलाज माना जाता है जो कि बहुत महंगा है। दूसरी ओर इससे पीडि़त लोग तनाव व इन दवाओं के दुष्प्रभाव से कई अन्य रोगों की चपेट में आ रहे हैं।

समस्या की गंभीरता को देखते हुए हमने मेडिकल साइंस में अबतक हुए सभी शोध के डेटा का अध्ययन किया और पाया कि हमारे बाल झड़ने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है। पहले चरण को एनाजन फेज कहते हैं, इसमें बाल झड़ते हैं लेकिन उससे ज्यादा गति से नए बाल आते हैं। सामान्यत: यह चरण सबसे लंबा होता है। दूसरे चरण को कैटेजन कहते हैं, इसमें जिस गति से बाल झड़ते हैं उस गति से उगते नहीं हैं और धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती जाती है। तीसरे चरण को टिलोजन कहते हैं, इसमें बाल झड़ते तो हैं लेकिन दोबारा उगते नहीं हैं। इससे गंजापन होता है। हमारी परिकल्पना है कि यदि किसी प्रकार टिलोजन फेज को एनाजन में बदल दें तो गंजापन दूर किया जा सकता है और दोबारा नए बाल उगाए जा सकते हैं।

डा. योगेश कुमार ने बताया कि गंजे लोगों में बाल उगने के लिए सबसे बेहतर चरण एनाजन की अवधि बहुत कम हो जाती है। यदि इसकी अवधि बढ़ा दी जाए तो गंजेपन को दूर किया जा सकता है। इसमें हमने एक निश्चित फ्रिक्वेंसी की गामा किरणों को उपयोगी पाया है, हालांकि इसकी गति काफी कम है। हालांकि, बाल उगाने की दवाओं की तरह इसके दुष्प्रभाव नहीं हैं। डाक्टरों की परिकल्पना के अनुसार उपकरण विकसित करने के लिए एम्स पटना ने आइआइटी पटना के इंक्युबेशन सेंटर से समझौता किया हुआ है। आइआइटी के इंजीनियर्स एक ऐसा हेलमेट बना रहे हैं, जो कि निश्चित फ्रिक्वेंसी की गामा किरणें बालों की जड़ों को देता रहेगा। इसकी सफलता और पेटेंट होने के बाद इसकी पूरी जानकारी साझा की जाएगी।

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