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बुखार जैसे लक्षणों के प्रति जागरूक होकर समय पर चिकित्सीय सलाह लेना होता हैं जरूरी - श्रीनारद मीडिया

बुखार जैसे लक्षणों के प्रति जागरूक होकर समय पर चिकित्सीय सलाह लेना होता हैं जरूरी

बुखार जैसे लक्षणों के प्रति जागरूक होकर समय पर चिकित्सीय सलाह लेना होता हैं जरूरी

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-बुखार आने पर लापरवाही नहीं बरतें : सीएस
-पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता हैं विकास: डॉ शरद

श्रीनारद मीडिया‚ पूर्णिया,  (बिहार)


बदलते मौसम के साथ ही बच्चों में भी मियादी बुखार की समस्या उत्त्पन्न होने की संभावना है। टाइफाइड या मियादी बुखार इकठ्ठे हुए दूषित जल और उससे पनपे साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु से फैलता है। मियादी बुखार किसी भी उम्र के व्यक्तियों में हो सकता है, लेकिन छोटे-छोटे बच्चों और उम्रदराज व्यक्तियों के लिए इस तरह की बीमारी हानिकारक साबित हो सकती है। क्योंकि उनलोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुक़ाबले कम होती है। किसी भी तरह की बीमारियों के लक्षणों के प्रति सजग होते हुए समय से उस बीमारी की पहचान कर तत्काल उपचार करा कर बचा जा सकता है।

-मियादी बुखार होने के मुख्य लक्षण: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कोरोना संक्रमण के जैसा ही एक संक्रामक बीमारी है जिसको हमलोग मियादी बुखार के नाम से जानते हैं। जो गंदे खाने पीने की वस्तुओं के उपयोग से फैलता है। अगर किसी को लगातार तेज बुखार (103-04 डिग्री) आना, कमजोरी महसूस होना, पेट या सिर में दर्द, भूख नहीं लगना या कम लगना, त्वचा पर चकते या गुलाबी धब्बे बनना जैसे लक्षण दिखे तो यह मियादी बुखार हो सकती है। अगर इस तरह के लक्षण हैं तो बुखार एक सप्ताह या इससे अधिक समय के लिए रह सकता है। सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत इस बात की हैं कि मियादी बुखार से ग्रसित मरीज़ कभी-कभी बेहोश भी हो सकता है। इस बुखार में जरा सी भी लापरवाही हुई तो भयंकर रूप हो सकता है। बच्चों के लिए यह ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए किसी भी तरह के रोग को गंभीरता के साथ लेने की जरूरत होती हैं। बगैर समय बर्बाद किए चिकित्सकीय परामर्श और समुचित उपचार जरूर कराएं।

-बुखार आने पर लापरवाही नहीं बरतें : सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया बच्चों या बुजुर्गो में मियादी बुखार आने का सबसे ज्यादा जिम्मेदार साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु हैं। दूषित जल या उसके उपयोग से बने हुए भोज्य पदार्थ या खुलेआम तौर पर खाने या पीने जैसी वस्तुओं से ही पनपती है तथा इससे संक्रमित व्यक्ति के द्वारा उपयोग में आए वस्तुओं का किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति द्वारा उपयोग करने पर उसे भी संक्रमित कर देता है। इसलिए इस संक्रमण से बचने के लिए अपने आस-पास की सफाई का खास ख्याल रखें। दूषित जल का जमाव नहीं होने दें। खाने पीने का सामान हमेशा ढक कर रखें। बिना ढका या दूषित भोजन ना करें और मियादी बुखार से संक्रमित होने से अपने बच्चों को बचाएं।

-पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता हैं विकास: डॉ शरद
पूर्णिया पूर्व पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने बताया कोरोना संक्रमण के बाद यह बात स्पष्ट हो गया है कि हर किसी का शरीर निरोग और स्वस्थ रहे। इसके लिए सबसे जरूरी आहार की गुणवत्ता का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। आहार की विविधता उसमें पोषक तत्वों और एंटी-आक्सीडेंट की मात्रा को बढ़ाता है। साथ ही रोग से लड़ने की क्षमता भी देता है। इसलिए अपने नौनिहालों के भोजन में हरी सब्जियाँ, मौसमी फल, दूध और दूध से बने डेयरी, अंडा, मांस, मछ्ली, अंकुरित अनाज को प्रमुखता के साथ शामिल करें। मियादी बुखार में शरीर में पानी की मात्रा में कमी हो जाती है जो जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल और दूसरे प्राकृतिक पेय पदार्थों जैसे: नारियल पानी, नींबू पानी के सेवन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-सी युक्त खट्टे फल नींबू व संतरा का सेवन अनिवार्य रूप से करें।

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