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बिहार संभलता नहीं, देश संभालने चले है, गुजराल-देवगौड़ा बनना चाहते हैं नीतीश-रविशंकर - श्रीनारद मीडिया

बिहार संभलता नहीं, देश संभालने चले है, गुजराल-देवगौड़ा बनना चाहते हैं नीतीश-रविशंकर

बिहार संभलता नहीं, देश संभालने चले है, गुजराल-देवगौड़ा बनना चाहते हैं नीतीश-रविशंकर

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पटना भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है और वे देश संभालने की बात कर रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने यह बात नीतीश के उस बयान के जवाब में कही, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा के 100 सीटों पर सिमटने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि नीतीश का PM बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा क्योंकि देश की जनता PM मोदी और उनकी लीडरशिप पर यकीन करती है।

रविशंकर ने कहा कि नीतीश कई बार प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने की इच्छा जता चुके हैं, जबकि उनसे अपना राज्य ही नहीं संभल रहा है। नीतीश कुमार हों या कोई और, उन्हें यह पता होना चाहिए कि PM मोदी की लीडरशिप में देश ने बहुत तरक्की की है, जबकि नीतीश तो अभी तक अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता भी नहीं बना पाए हैं।

कांग्रेस भाव नहीं दे रही, लालू के चक्कर में फंसे
रविशंकर प्रसाद ने न्यूज एजेंसी से कहा- बिहार के CM नीतीश कुमार को क्या हो गया है? वे बिहार को संभालने में सक्षम नहीं हैं। राज्य संकट में है। उनकी पार्टी में अराजकता है। कांग्रेस उन्हें भाव नहीं दे रही है, इसके बाद भी वे लालूजी के चक्कर में फंस गए हैं और रात में सपने देखने लगे है। नीतीश बाबू देवगौड़ा या इंद्र कुमार गुजराल बनना चाहते हैं। वे यह नहीं देख रहे हैं कि PM मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है।

गिरिराज सिंह ने भी नीतीश को घेरा था
इससे पहले 18 जनवरी को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला था और कहा था कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के लिए बेताब हैं। गिरिराज सिंह ने कहा था नीतीश कुमार के दिमाग में प्रधानमंत्री बनने के लड्डू फूट रहे हैं। नीतीश कुमार 17 साल तक बिहार में विकास नहीं कर पाए। उनकी ‘समाधान यात्रा’ इस बात का सबूत है कि विकास नहीं हो सका।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा था कि जब केसीआर बिहार गए तो केसीआर के दिमाग में था कि नीतीश कुमार उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएंगे जबकि नीतीश ने सोचा था कि केसीआर उन्हें (नीतीश कुमार) उम्मीदवार बनाएं। लालू जी के साथ नीतीश कुमार कांग्रेस से मिले थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

अब जानिए नीतीश कुमार ने क्या कहा था?

पटना में शनिवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-ML) के अधिवेशन में नीतीश ने कहा था- अब कांग्रेस को निर्णय लेना होगा कि 2024 में क्या रणनीति होनी चाहिए और विपक्षी एकता को किस तरह से मजबूत करना चाहिए। यदि कांग्रेस इस बात पर तैयार हो जाए तो 2024 में भाजपा 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह जाएगी।

नीतीश की सलाह पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा- नीतीश कुमार जी जो आप सोचते हैं, वो कांग्रेस भी सोचती है। बस बात इतनी सी है कि पहले आई लव यू कौन कहेगा।

विपक्षी एकता का मैसेज दे रहे हैं नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विपक्षी एकता को एकजुट करने की कवायद शुरू की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के बिना भाजपा को हराया नहीं जा सकता है। इसके लिए कांग्रेस को विपक्षी एकता में शामिल करना ही होगा। कुछ लोगों ने सहमति जताई तो कुछ लोगों ने असहमति जताई थी।

पिछले साल लालू यादव के साथ नीतीश कुमार कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली गए थे, लेकिन मुलाकात नहीं हुई थी। तब ये कयास लगाई जाने लगी कि नीतीश कुमार के फॉर्मूले से कांग्रेस सहमत नहीं है।

नीतीश कुमार का क्या है फॉर्मूला?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फॉर्मूला यह है कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए। किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल बस इस उद्देश्य से चुनाव लड़ें कि भाजपा को हराना है और जब भाजपा हार जाएगी और विपक्षी एकता जीत जाएगी तो मिल बैठकर प्रधानमंत्री के चेहरे का फैसला कर लिया जाएगा।

अब ऐसे में कांग्रेस ने इस बात को लेकर अपनी सहमति नहीं दी थी। नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस को फैसला लेना है और यदि कांग्रेस फैसला ले ले तो आगे की राह आसान हो जाएगी।

महाधिवेशन में भाग लेने लेखिका अरुंधति रॉय भी पटना आईं

माले का 11वां राष्ट्रीय महाधिवेशन पटना के एसकेएम हॉल में चल रहा है। 16 फरवरी से यह महाधिवेशन जारी है। 15 फरवरी को माले की ओर से पटना के गांधी मैदान मे बड़ी रैली की गई थी। महाधिवेशन में भाग लेने चर्चित लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय भी पटना आईं। महाधिवेशन में दुनिया के 11 देशों से नेता पहुंचे। देश-दुनिया की वर्तमान समस्याओं के समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट पर भी मंथन हुआ।

 

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