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क्या दिल्ली के जल प्रलय की स्थिति को टाला जा सकता है? - श्रीनारद मीडिया

क्या दिल्ली के जल प्रलय की स्थिति को टाला जा सकता है?

क्या दिल्ली के जल प्रलय की स्थिति को टाला जा सकता है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिल्ली में आई ताजा बाढ़ ने एक बार फिर से इस शहर की पोल खोलकर रख दी है। जहां पिछले 40 सालों की सबसे भयंकर बाढ़ आई। जिन रास्तों से होकर लोग ऑफिस जाते थे। उनमें पानी जमा नजर आया। आईटीओ से लेकर सिविल लाइंस तक और बस अड्डे से लेकर लाल किले तक सब में पानी में पानी है। यमुना किनारे झुग्गियों में रहने वालों का सारा सामान डूब गया।

हमारी चेतनाओं में बारिश को बहुत ही रोमांटिसाइज किया लेकिन हमारे नीति-नियंताओं ने उसे वैसे ही बनाए रखने के लिए  बहुत मेहनत नहीं की। दिल्ली पर लिखी जिस यमुना का जिक्र है वो लोगों के घरों में घुस चुकी है। पानी ने केवल आम लोगों को ही अपनी चपेट में नहीं लिया बल्कि प्रोटोकॉल तोड़कर वीवीआईपी लोगों के घरों में भी घुस गया। आज आपको यमुना के कहर की कहानी बताएंगे। युमना में कहां कहां से पानी आता है और ये नदी कहां से शुरू होती है। हथिनी बैराज से इतनी जल्दी पानी क्यों आने लगा है। क्या हरियाणा की पानी की वजह से दिल्ली में पैदा हो गई बाढ़ की नौबत?

शनिवार सात जुलाई को जो बारिश शुरू हुई उसका नतीजा ये हुआ कि लगभग पूरा उत्तर पश्चिम भारत बाढ़ की जद में आ गया। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ इलाकों में भारी से अत्याधिक भारी बारिश दर्ज की गई। नदियां-नाले ओवरफ्लो करने लगे। इंफ्रास्ट्रक्टर को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और जरूरी सेवाएं बाधित हो गई। दिल्ली समुंद्र तल से 240 मीटर की ऊंचाई पर है। हर जगह पर खतरे के निशान अलग अलग हैं।

हरियाणा की वजह से दिल्ली में आती है बाढ़?

हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने को राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक माना जा रहा है। हथिनीकुंड बैराज हरियाणा में यमुनानगर जिले और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के बीच की सीमा पर स्थित है। बैराज का प्रबंधन हरियाणा सरकार द्वारा किया जाता है। हिमाचल प्रदेश से भारी मात्रा में पानी आने के बाद बैराज पूरी क्षमता से भर गया, जहां हाल ही में भारी बारिश हुई थी। आमतौर पर यह प्रति घंटे 352 क्यूसेक पानी छोड़ता है। हालाँकि, जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा होने पर छोड़े गए पानी की मात्रा बढ़ जाती है।

हाल की बारिश के बाद यमुना नदी में जल स्तर बढ़ गया, जिससे बैराज से पानी का बहाव बढ़ गया। 9 जुलाई को शाम 4 बजे बैराज से 111060 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इसे “बाढ़ की स्थिति” माना जाता है, क्योंकि 1 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जाना बाढ़ माना जाता है।  11 जुलाई को सुबह करीब 11 बजे बैराज से 3,59,769 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके कारण बाढ़ का पानी दिल्ली के कई हिस्सों में प्रवेश कर गया, जिससे पूरे इलाके जलमग्न हो गए और दिल्ली में आप सरकार और हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।

1978 में दिल्ली में बाढ़ क्यों आई थी

सितंबर 1978 के पहले सप्ताह में भारी बारिश हो रही थी। यमुना नदी का जलस्तर 207.49 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया था। दिल्ली से 227 किलोमीटर दूर हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथिनीकुंड बैराज ओवर फ्लो होने के लेवल तक पहुंच गया था। इसके बाद 6 सितंबर की सुबह 9 बजे हथिनीकुंड बैराज से 7 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया। देखते ही देखते यमुना खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई।

दिल्ली सरकार ने यमुना से सटे इलाकों में बाढ़ को लेकर अलर्ट जारी किया। दिल्ली की बुराड़ी, मोहमदपुर, हिरणकी, फतेहपुर, सुंगरपुर, पल्ला, तिगीपुर, भख्तावरपुर, माजरा, हिरंकी जैसे 30 गावों में बाढ़ का पानी घुस गया था। दिल्ली की 40000 वर्ग किलोमीटर कृषि योग्य जमीन 2 मीटर तक पानी में डूब गई थी। बाढ़ में 18 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली सरकार ने तब इस बाढ़ की वजह से 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के नुकसान की बात कही थी।

कहां-कहां से गुजरती है यमुना?

यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं। करीब 5.7 करोड़ लोग यमुना के पानी पर निर्भर हैं। करीब 10000 क्यूसिक मीटर का सालाना प्रवाह होता है। 4400 सीयूएम का उपयोग होता है।

यमुना नदी पर बंधे 10 बांध कौन-कौन से हैं

पल्ला

वजीराबाद बैराज

लेफ्ट फॉरवर्ड पुस्ता

एसएम बांध

जगतपुर बांध

यमुना बाजार बांध

मुगल बांध

पावर हाउस बांध

लेफ्ट मार्जिनल बांध

मदनपुर खादर बांध

यमुना पर दिल्ली की निर्भरता

यमुना नदी का दिल्ली खंड वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज (शर्मा और कंसल) तक लगभग 22 किमी है। नदियों के प्रदूषण के 76 प्रतिशत के लिए अकेले यही खंड जिम्मेदार है, लेकिन यह खंड राजधानी के लिए कच्चे पानी का मुख्य स्रोत भी है। यह मोटे तौर पर दिल्ली की पानी की आपूर्ति का 70% हिस्सा है, जो लगभग 57 मिलियन लोगों का है।

क्या ऐसी स्थिति को टाला जा सकता है?

विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना नदी में बाढ़ सरकारी प्रबंधन की विफलता है। जलवायु परिस्थितियों ने हालांकि स्थिति को जटिल बनाया है, लेकिन यह समस्या काफी हद तक मानव निर्मित है। यमुना में भारी मात्रा में मौजूद गाद, जलभराव के रास्ते में अवैध निर्माण और जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर बार नदी के आसपास रहने वाले लोगों को अपना घर-बार छोड़ने के लिए विवश होना पड़ता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए, जो विभिन्न स्लुइस गेटों के बीच समन्वय सुनिश्चित करे। दुर्भाग्य से बहुत कम बारिश में यमुना का जल स्तर बढ़ जाता है। जल विशेषज्ञों का कहना है दिल्ली में जल निकास का उचित प्रबंध किया जाए, अवैध निर्माण हटाया जाए और हथिनी कुंड बैराज पर पानी छोड़ने का वैकल्पिक इंतजाम किया जाए तो यमुना में अनावश्यक बाढ़ का खतरा टाला जा सकता है।

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