नौकरी के बदले जमीन घोटाले में CBI ने दाखिल की फाइनल चार्जशीट

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केस में लालू परिवार पर बड़ी कार्रवाई की तलवार

कोर्ट लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में 6 जुलाई को चार्जशीट पर विचार करेगी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े नौकरी के बदले जमीन घोटाले के सिलसिले में शुक्रवार को अपना अंतिम आरोप पत्र दाखिल कर दिया.

पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई ने विशेष अदालत में पेश की गई अंतिम रिपोर्ट में उन सभी रेलवे जोन को शामिल किया है, जहां कथित तौर पर लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने जमीन के बदले में भर्ती करवाई थी.

सीबीआई की तरफ से कहा गया कि अब विशेष अदालत 6 जुलाई को फाइनल रिपोर्ट पर विचार करेगी. जांच के दौरान, यह पाया गया है कि आरोपियों ने रेलवे अधिकारियों के साथ साजिश रची और जमीन के बदले में लोगों को ‘विकल्प’ के रूप में नियुक्त किया, या तो उनके नाम पर या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर.

सीबीआई के एक अधिकारी ने इस केस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह जमीन मौजूदा सर्किल रेट से कम और बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर हासिल की गई थी. इस मामले को लेकर लालू प्रसाद यादव लगातार विवादों में रहे हैं.

कोर्ट लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में 6 जुलाई को चार्जशीट पर विचार करेगी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. लोकसभा चुनाव में एनडीए के जीतने के बाद सीबीआई ने लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में कार्रवाई तेज कर दी. इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ फाइनल चार्जशीट दाखिल कर दी.

लालू यादव पर आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने कई लोगों को जमीन के बदले नौकरी दी थी. ये जमीन मार्केट रेट से बहुत कम दाम पर खरीदी गई थी. इसी मामले में लालू यादव पर चार्जशीट फाइल की गई है. इस दौरान सीबीआई ने फाइनल चार्जशीट में 38 उम्मीदवारों और अन्य व्यक्तियों सहित 78 आरोपियों शामिल किया है. वहीं, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी का इंतजार है. हालांकि, कोर्ट लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में 6 जुलाई को चार्जशीट पर विचार करेगी.

जमीन के बदले नौकरी का क्या है मामला?

दरअसल, जमीन के बदले नौकरी के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू यादव की पत्नी, बेटा और बेटी समेत कई सहयोगी आरोपी हैं. इस मामले में लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटा तेजस्वी यादव, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव भी आरोपी हैं. वहीं, इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी मिलकर कर रहे हैं.

जब लालू यादव यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे. उस दौरान भारतीय रेलवे में ग्रुप-डी के पदों पर नियुक्ति के लिए भ्रष्टाचार किया था. सीबीआई की एफआईआर और आरोप-पत्र के अनुसार, अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में ‘रिश्वत के रूप में भूमि हस्तांतरित करने’ के लिए कहा गया था.

एक तरफ केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है तो दूसरी ओर सीबीआई  ने लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों की बेचैनी बढ़ाने वाला काम कर दिया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों की कथित संलिप्तता वाले नौकरी के बदले जमीन घोटाले में अपना अंतिम आरोप पत्र शुक्रवार को दाखिल कर दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस केस में लालू यादव के अलावे उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती, हेमा यादव समेत लालू के कई करीबी आरोपी हैं।

अधिकारी ने बताया कि सीबीआई द्वारा विशेष अदालत को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में उन सभी रेलवे जोन को शामिल किया गया है, जहां लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर जमीन लिये जाने के एवज में नौकरी दी गई थी। अधिकारियों ने कहा कि विशेष अदालत छह जुलाई को इसपर विचार करेगी।

एक अधिकारी ने कहा, जांच के दौरान यह पाया गया कि आरोपियों ने रेलवे अधिकारियों के साथ साजिश रची और अपने या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम जमीन लेने के एवज में नौकरियां दी गईं। यह भूमि तत्कालीन सर्किल दर और बाजार दर से बहुत कम कीमत पर हासिल की गई थी।

यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि रेलमंत्री रहते लालू यादव ने कई करीबियों को रेलवे में गलत तरीके से नौकरी दी और बदले में उनके परिवारों से कीमती जमीनें अपने सगे संबंधियों के नाम पर लिखखवा ली। इस मामले में सीबीआई और ईडी जांच कर रही है। कई बार लालू यादव, तेजस्वी यादव, मीसा भारती समेत अभियुक्तों से जांच एजेंसियां पूछताछ कर चुकी हैं। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में यह केस चल रहा है।

 

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