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नोटबंदी के छह साल बाद केंद्र को SC से राहत,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

नोटबंदी के छह साल बाद केंद्र को SC से राहत,कैसे?

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नोटबंदी को 4 जजों ने ठहराया सही तो एक ने जताई असहमति

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के नोटबंदी वाले फैसले को सही ठहराया है। बता दें कि 2016 में मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए थे। इस पर शीर्ष अदालत में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया। इस केस से जुड़े टाइमलाइन पर एक नजर डालते हैं।

8 नवंबर, 2016: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया और 500 व 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की।

9 नवंबर, 2016: सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई।

16 दिसंबर, 2016: तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच के पास भेजा।

11 अगस्त, 2017: आरबीआई ने बताया कि नोटबंदी के दौरान 1.7 लाख करोड़ रुपये की असामान्य राशि जमा हुई। साथ ही यह भी बताया गया कि नोटबंदी के कारण बैंकिंग प्रणाली में 2.8 से 4.3 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जमा होने का अनुमान है।

23 जुलाई, 2017: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयकर विभाग द्वारा पिछले तीन वर्षों में बड़े पैमाने पर तलाशी, जब्ती और सर्वेक्षण से अघोषित आय के 71,941 करोड़ रुपये का पता चला है।

25 अगस्त, 2017: आरबीआई ने 50 रुपये और 200 रुपये के नए नोट जारी किए।

28 सितंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने जज एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ का गठन किया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा कि क्या नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाएं एक अकादमिक कवायद हैं।

7 दिसंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। केंद्र और आरबीआई को अवलोकन के लिए संबंधित रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया।

2 जनवरी, 2023: जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया। बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता।

2 जनवरी, 2023: जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले पर असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को केवल अधिसूचना के जरिए नहीं, बल्कि कानून के माध्यम से समाप्त किया जाना चाहिए था।

नोटबंदी को 4 जजों ने ठहराया सही तो एक ने जताई असहमति

मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में देश में लागू की गई नोटबंदी के फैसले को आज सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। नोटबंदी को गलत और त्रुटिपुर्ण बताने वाली 3 दर्जन से ज्यादा याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं था। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ये फैसला RBI की सहमति और गहन चर्चा के बाद लिया गया है। इस बीच कोर्ट ने इस फैसले में कई बड़ी टिप्पणियां भी की।

  1. सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ये निर्णय एकदम सही था। कोर्ट ने इसी के साथ सभी याचिकाओं को खारिज भी कर दिया।
  2. कोर्ट ने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के केंद्र के फैसले पर कहा कि सरकार ने RBI से गहन चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया और केंद्रीय बैंक के पास नोटबंदी करने की कोई शक्ति नहीं है।
  3. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीति होने के कारण निर्णय को पलटा नहीं जा सकता है।
  4. इस बीच फैसले में मतभेद भी दिखा, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बी आर गवई के फैसले से अलग मत रखते हुए असहमति जताई।
  5. न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नोटबंदी को संसद से एक अधिनियम के माध्यम से लानी चाहिए थी, न कि सरकार द्वारा।
  6. कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि 8 नवंबर, 2016 को लाई गई नोटबंदी की अधिसूचना वैध थी और नोटों को बदलने के लिए दिया गया 52 दिनों का समय भी एकदम उचित था।
  7. कोर्ट ने 2022 में 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  8. बता दें कि नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने भी याचिका दायर की थी, याचिका में कहा गया था कि केंद्र का यह फैसला गलत और त्रुटिपुर्ण है।
  9. नोटबंदी  को सरकार ने ‘सुविचारित’ निर्णय और नकली धन, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा बताया था।
  10. सुनवाई के दौरान सरकार की बात रखते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा था कि नोटबंदी एक ऐसी आर्थिक नीति है, जो कई बुराइयों को दूर करने के लिए बनाई गई।

 

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