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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीस वर्ष की उपलब्धियों का प्रतिवेदन जारी किया - श्रीनारद मीडिया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीस वर्ष की उपलब्धियों का प्रतिवेदन जारी किया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीस वर्ष की उपलब्धियों का प्रतिवेदन जारी किया

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

याद है न पहले क्या स्थिति थी? 2005 से पहले के बिहार और इसके बाद आये बदलावों को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 20 साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। इसमें बताया गया है कि 2005 के पहले राज्य के अधिकांश गावों और घरों में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। आलम यह था कि राजधानी पटना में भी सात-आठ घंटे ही बिजली रहती थी।

बिजली के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, कृषि आदि क्षेत्रों का भी हाल दयनीय था। विधि-व्यवस्था की हालत इतनी खराब थी कि लोग शाम पांच बजे के बाद घर से नहीं निकलते थे। 24 नवंबर, 2005 को नयी सरकार बनी थी, तब से राज्य में कानून का राज है। राज्य सरकार लगातार विकास के काम में लगी है, जिससे हर क्षेत्र में स्थिति काफी सुधरी है। इस रिपोर्ट कार्ड को एनडीए के चुनाव प्लान के तौर पर भी देखा जा रहा है।

20 साल विकास के, बदलते बिहार के’ रिपोर्ट का लोकार्पण एक अणे मार्ग स्थिति संकल्प में किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005 के बाद राज्य में बिजली के सुधार के लिए अनेक काम हुए। 15 अगस्त 2012 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पटना के गांधी मैदान में ऐलान किया था कि हम बिजली के क्षेत्र में सुधार लाएंगे, सुधार नहीं ला पाएंगे तो लोगों के बीच वोट मांगने नहीं जाएंगे। अक्टूबर, 2012 में राज्य विद्युत बोर्ड को समाप्त कर पांच विद्युत कंपनियां बनायी गईं।

वर्ष 2015 में हर घर बिजली की शुरुआत हुई और अक्टूबर, 2018 तक सभी इच्छुक लोगों के घरों में बिजली का कनेक्शन दे दिया गया। अब शहरों-गांवों में 24 घंटे बिजली की सुविधा सुनिश्चित की गई है। अब खेती के लिए अलग से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है। किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से कृषि रोड मैप लागू कर राज्य में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है। रिपोर्ट जारी करने के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी उपस्थित थे।

20 सालों में सड़कों की लंबाई तीन गुना से अधिक बढ़ी

रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक वर्ष 2005 में राज्य में राष्ट्रीय उच्च पथ 3629, राज्य उच्च पथ 2382 और वृहत जिला पथों की लंबाई 8858 थी, अर्थात कुल 14,468 किमी लंबी सड़कें थीं। वहीं, 2005 के बाद इसमें निरंतर वृद्धि हुई, जिसका नतीजा हुआ कि अब राज्य में कुल 26 हजार 81 किमी लंबी सड़कें हैं। इनमें 6147 किमी राष्ट्रीय उच्च पथ, 3638 राज्य उच्च पथ और 16,296 वृहत जिला पथ शामिल हैं। वर्ष 2005 के बाद गंगा नदी पर चार पुल बने। वर्ष 2017 में भोजपुर-सारण में वीर कुंवर सिंह सेतु और पटना-सारण में जेपी सेतु, 2022 में मुंगेर में श्रीकृष्ण सिंह सेतु और 2023 में बक्सर में वीर कुंवर सिंह पुल। इसके अलावा गंगा नदी पर दस पुलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 20 सालों में कोशी नदी पर भी तीन नये पुल बने और तीन निर्माणाधीन हैं।

सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज दो से बढ़कर 38 हुए

वर्ष 2005 में राज्य में दो ही सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 38 हो गई है। वहीं, पॉलिटेक्निक कॉलेजों की संख्या 13 से बढ़कर 46 और आईटीआई की संख्या 23 से बढ़कर 152 हो गई है। इसी प्रकार प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में 20 सालों में बड़े बदलाव हुए हैं। 2005 में राज्य के 12.5 प्रतिशत बच्चे विद्यालयों से वंचित थे, जिनकी संख्या अब एक प्रतिशत से भी कम हो गई है। 2005 में राज्य में सवा दो लाख शिक्षक थे, जिनमें मुख्यत: शिक्षा मित्र ही थे। वहीं, अब शिक्षकों की संख्या बढ़कर पांच लाख 97 हजार 742 हो गई है।

स्वास्थ्य सुविधाओं का था घोर अभाव

2005-06 में राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव था। तब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रोजाना एक या दो ही मरीज इलाज के लिए आते थे। 1990 से 2005 के बीच एक भी नया चिकित्सा महाविद्यालय नहीं बनाया गया है। अब राज्य में सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय की संख्या छह से बढ़कर 12 हो गई है। 2005 के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए विशेष अभियान चलाया गया। 2006 में अस्पतालों में नि:शुल्क दवा वितरण और जांच की व्यवस्था शुरू हुई। 2005 के पहले एंबुलेंस की सुविधा नगण्य थी। आज सरकार के द्वारा 1536 एंबुलेस चलाये जा रहे हैं।

पुलिस थाने 817 से बढ़कर 1380 हुए

वर्ष 2005 के बाद विधि-व्यवस्था के संधारण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कानून का राज स्थापित किया गया। अपराध और भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई। अब किसी प्रकार के डर और भय का वातावरण नहीं है। 2005 में राज्य में पुलिस थानों की संख्या 817 थी, जो बढ़कर 1380 हो गई है। तब, बिहार पुलिस में मात्र 42 हजार 481 कर्मी थे, जो संख्या अब एक लाख दस हजार है। वहीं, दो लाख 29 हजार से अधिक पदों का सृजन कर तेजी से पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की जा रही है।

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