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फुदकती हुई गौरैया मेरे आंगन व छत पर आ जाओ. - श्रीनारद मीडिया

फुदकती हुई गौरैया मेरे आंगन व छत पर आ जाओ.

फुदकती हुई गौरैया मेरे आंगन व छत पर आ जाओ.

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अटरिया पर चहकने वाली चिड़िया रानी (गोरैया) न जाने कहां गायब हो गई.

बच्चे अब ‘चिड़िया रानी बड़ी सयानी’ गाना भूल गए हैं.

विश्व गौरैया दिवस पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मेरे कानों में गुँजी उसकी मीठी चीं चीं,सहसा आश्चर्य से मैंने देखा उसको और उत्सुकतावश पूछ पड़ कौन हो तुम नन्हीं परी।उसने विस्मय से देखा मुझे और मीठी चहचहाहट में आश्चर्य से बोली आप अब ना पहचानोगें मुझे,मैं हूँ आपके गलियारे में बसी नन्हीं सी गौरैया जो अपने घरौंदे से निकल पहली सूर्य किरणों को नवण प्रणाम करती हूं।रोज भीन्सहारे अपनी मीठी चहचहाहट से लोगों में मिठास भरती हूँ, कीट-पतंगों को चुन पर्यावरण को स्वच्छ बनाती हूँ।आज बिषैले प्रदूषण और पर्यावरण के दोहन से मेरे अस्तित्व पर खतरा बढ़ा है,हे मानव श्रेष्ठ जगो तुम और पेड़-पौधे लगा धरा को हरा-भरा बना मुझे बचाओं।क्योंकि है समय की भी माँग यहीं है।

20 मार्च को पूरी दुनिया में पक्षी गोरैया दिवस मनाया जाता है। इस पक्षी को संरक्षित करने के लिए समाज, सरकार व वन विभाग को संकल्प लेने की जरूरत है।

शहरों में वैसे भी गौरैया की संख्या में गिरावट आई है, जिसकी वजह घरों के डिजाइन में आए बदलाव एवं किचन व गार्डन जैसे जगहों की कमी है. जिस कारण गौरैया की चहचहाहट अब कानों में नहीं गूंजती है. ऐसे में हमें ‘गौरैया संरक्षण’ के लिए मुहिम चलाने की जरूरत है. अपने आसपास कंटीली झाड़ियां, छोटे पौधे और जंगली घास लगाने की जरूरत है. फ्लैटों में बोगन बेलिया की झाड़ियां लगाई जाएं ताकि वहां गौरैया का वास हो सके.

लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है कि हम सिर्फ एक दिन जब गौरैया दिवस आता है, तभी चेतते हैं और गौरैया की सुध लेते हैं. न ही हम पर्यावरण बचाने की दिशा में अग्रसर होते हैं और न ही ऐसे पक्षियों को, जिनका विकास मानव विकास के साथ ही माना जाता है. गौरैया पक्षी का विकास भी मानव विकास के साथ माना जाता है. यह पक्षी इंसानी आबादी के आसपास ही रहती है, लेकिन  बदलते परिवेश और शहरीकरण ने इस पक्षी को इंसानी आबादी से दूर कर दिया है. यही वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली में गौरैया राज्य पक्षी घोषित किया गया है, ताकि इसका संरक्षण हो सके और मनुष्य की इस प्राचीनतम साथी को बचाया जा सके.

पर्यावरण संतुलन में अहम किरदार निभाने वाली चिड़िया लगातार कम हो रही है। इनकी कई प्रजातियां लुप्त हो चुकी है।

ऐसे लगाएं अपने घरों के अंदर गौरैया के घोेंसले

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