क्या कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ ले गए थे पंडित नेहरू?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 कश्मीर की जिस ‘समस्या’ की चर्चा होती है वैसे तो वह कश्मीर में हुई घुसपैठ और उसके बाद की सैनिक गतिविधियों का परिणाम है। लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्वरूप तब मिला जब पंडित नेहरू इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ गए। हालांकि अब तक यह सवाल अनुत्तरित ही था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दिमाग में इसे संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने का विचार कैसे आया। लेकिन अब इससे पर्दा हट गया है।

नेहरू और माउंटबेटन की बातचीत बनी आधार

जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के इतिहास पर नई शोध और तथ्यपरक पुस्तक जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने खुलासा किया है कि कश्मीर की समस्या को माउंटबेटन के दबाव में पंडित नेहरू संयुक्त राष्ट्र संघ में लेकर गए थे। परिषद ने इसे लेकर माउंटबेटन और नेहरू के बीच हुई बातचीत को आधार बनाया है।

एनबीटी ने प्रकाशित की पुस्तक

पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) ने किया है। पुस्तक में संदेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और करण सिंह ने लिखा है। इस पुस्तक में बताया गया है कि कश्मीर की यह समस्या जब पैदा हुई तभी 21 दिसंबर 1947 को देर रात नई दिल्ली गवर्नमेंट हाउस ( मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकल अली से नेहरु ने मुलाकात की। हालांकि इस बैठक से पहले नेहरू ने लार्ड माउंटबेटन से भी मुलाकात की थी।

माउंटबेटन ने दिया दी थी ये सलाह
पुस्तक में तथ्यों के आधार पर कहा गया है कि वैसे तो नेहरू व लार्ड माउंटबेटन के बीच बैठक कुछ ही मिनटों की प्रस्तावित थी, लेकिन यह करीब घंटे भर चली। इस दौरान नेहरू ने माउंटबेटन के साथ बैठक में हुई चर्चा के मिनट भी नोट किए थे। जिसमें माउंटबेटन कहा था कि ‘ यदि हम समझौता कर पाए तो पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि होगी। और हमें शीघ्र ही उन विभिन्न आंतरिक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
निसंदेह समझौता उसी तर्ज पर होना चाहिए जैसा कि हमने बार-बार कहा है। अर्थात युद्ध रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ से संपर्क किया जाए और जब ऐसा हो जो अर्थात शांति व्यवस्था बहाल हो जाए तो संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में जनमत संग्रह कराए जाए।’

अनुच्छेद 370 को लेकर भी खुलासा

इस दौरान पंडित नेहरू के 26 दिसंबर 1947 के पत्र का भी हवाला दिया गया है, जो उन्होंने माउंटबेटन को संयुक्त राष्ट्र संघ में जाने को लेकर लिखा था। जम्मू-कश्मीर में लगाया अनुच्छेद 370 भले ही अब इतिहास की बात हो गई है, लेकिन इसे लगाने का फैसला कब और कैसे लिया गया है। इस पुस्तक में इसे लेकर भी बड़ा खुलासा किया गया है। बताया गया है कि सरदार पटेल ने किस तरह अपनी इच्छा और व्यक्तिगत राय के विरुद्ध जाकर इस फैसले को लेकर सहमत हुए थे।

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