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क्या भारत में चुनावों को प्रभावित करता है फेसबुक? - श्रीनारद मीडिया

क्या भारत में चुनावों को प्रभावित करता है फेसबुक?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

फेसबुक पर हर दिन नए आरोप लग रहे हैं। कभी कोई व्हिसलब्लोअर कोई खुलासा करता है, तो कभी कोई जानकारी कहीं और से लीक होती है। ताजा खुलासा न्यूज कंपनियों के इंटरनेशनल ग्रुप ने किया है। फेसबुक पेपर्स नाम से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक भारत में ‘फेकबुक’ बनता जा रहा है।

इससे पहले फेसबुक पर भाजपा नेताओं के भड़काऊ पोस्ट पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगे थे। साथ ही भाजपा से जुड़े फेक अकाउंट्स पर कार्रवाई नहीं करने का भी फेसबुक पर आरोप है। इन फेक अकाउंट्स से हिंदू अतिवादी पोस्ट किए गए थे।

फेसबुक पर ताजा खुलासा क्या हुआ है?

‘फेसबुक पेपर्स’ के मुताबिक भारत में फर्जी अकाउंट्स से झूठी खबरों के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जाता है। इसकी पूरी जानकारी फेसबुक को है, लेकिन उसने इतने संसाधन ही नहीं बनाए कि वह इस गड़बड़ी को रोक सके। इस तरह की सामग्री को रोकने के लिए कंपनी ने जितना बजट तय किया है, उसका 87% सिर्फ अमेरिका में खर्च होता है।

खुलासा किसने किया है?

ये खुलासा फेसबुक के कर्मचारियों और शोधार्थियों ने एक दर्जन अंदरूनी रिपोर्ट्स की स्टडी के आधार पर किया है। समाचार संस्थानों के एक इंटरनेशल ग्रुप ने ‘फेसबुक पेपर्स’ के नाम से इसे पब्लिक किया है। इस ग्रुप में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ भी शामिल है।

फेसबुक की पूर्व प्रोडक्ट मैनेजर फ्रांसिस होगेन ने इन रिपोर्ट्स के डॉक्युमेंट जुटाए हैं। इनके आधार पर वे लगातार फेसबुक की कार्य-संस्कृति, अंदरूनी खामियों आदि से जुड़े खुलासे कर रही हैं।

इस विवाद की पूरी कहानी क्या है?

पिछले एक महीने से फेसबुक लगातार आरोप लग रहे हैं। इस दौरान कंपनी के कई इंटरनल डॉक्युमेंट लीक हुए हैं। ये डॉक्युमेंट फेसबुक की पूर्व कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस होगेन ने लीक किए हैं। होगेन ने अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) और अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल को ये डॉक्युमेंट लीक किए।

खुलासों में कहा गया है कि कंपनी को अपने प्रोडक्ट के निगेटिव इंपैक्ट के बारे में पता था। इसके बाद भी कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया।

सूचनाएं लीक करने वाली फ्रांसिस होगेन ने 3 अक्टूबर को अपनी पहचान उजागर की। होगेन फेसबुक की सिविक मिसइन्फॉर्मेशन टीम की लीड प्रोडक्ट मैनेजर थीं। फेसबुक में लोकतंत्र और भ्रामक सूचनाओं पर काम करती थीं, बाद में उन्होंने काउंटर जासूसी से जुड़े मुद्दे पर काम किया। इसी साल मई में उन्होंने कंपनी छोड़ दी।

इस पूरे विवाद का असर फेसबुक पर भी पड़ा है। विवाद के बाद ही फेसबुक ने अपने नए प्रोडक्ट इंस्टाग्राम किड्स का डेवलपमेंट रोक दिया है। कंपनी की PR टीम लगातार इन आरोपों पर आक्रामकता से जवाब दे रही है।

सूचनाएं लीक करने वाली फ्रांसिस होगेन ने 3 अक्टूबर को अपनी पहचान उजागर की।
सूचनाएं लीक करने वाली फ्रांसिस होगेन ने 3 अक्टूबर को अपनी पहचान उजागर की।

होगेन फेसबुक पर और क्या आरोप लगाए हैं?

पहचान उजागर करने के बाद होगेन की अमेरिकी सीनेट में गवाही हुई। लगभग तीन घंटे तक चली गवाही में उन्होंने कहा कि फेसबुक बच्चों को जानबूझकर अपने ऐप की लत लगाने की कोशिशों में रहती है। होगेन ने कहा है कि फेसबुक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, लोकतंत्र और समाज के लिए बड़ा खतरा है। ये भेदभाव पैदा करता है। चुने गए जनप्रतिनिधियों को इस पर काबू करना चाहिए। फेसबुक कंपनी जानती है कि उसके इंस्टाग्राम जैसे एप सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनी सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं करती है। फेसबुक की ‘प्रॉफिट-ओवर-सेफ्टी’ (सुरक्षा पर लाभ को तरजीह देने) की रणनीति सबसे अधिक जिम्मेदार है।

होगेन ने फेसबुक पर और क्या आरोप लगाए हैं?

होगेन के मुताबिक म्यांमार और इथोपिया में गृहयुद्ध के दौरान झूठी सूचनाएं चलीं। फेसबुक नफरत फैलाने वाले पोस्ट पर रोक नहीं लग पाई। चीन- ईरान मामले में भी ऐसा ही हुआ। सरकारों ने फेसबुक का पक्ष में इस्तेमाल किया। फेसबुक ने आतंक रोधी अपने सेल में सोची समझी रणनीति के तहत स्टाफ को कम किया।

क्या किसी और व्हिसलब्लोअर ने भी फेसबुक को लेकर कोई खुलासा किया है?

फेसबुक की ही एक और पूर्व कर्मचारी ने भी सोशल नेटवर्किंग साइट को लेकर कुछ खुलासे किए हैं। उनका दावा है कि कंपनी ने पिछले साल दिल्ली चुनावों में फर्जी अकाउंट्स के खिलाफ सिलेक्टिव कार्रवाई की। खुलासा करने वाली इस कर्मचारी का नाम सोफी झांग है। वो कंपनी में बतौर डेटा साइंटिस्ट काम कर चुकी हैं। सोफी ने 3 साल फेसबुक के साथ काम किया था। 2020 में उन्हें खराब काम का हवाला देकर कंपनी से निकाल दिया गया था।

दरअसल, 2018 में फेसबुक ने अपने न्यूज फीड एल्गोरिद्म में बड़ा बदलाव किया। इसमें कंपनी ने कहा कि वो पोस्ट को पर्सनलाइज कर रही हैं। इससे यूजर को पब्लिक पोस्ट कम दिखेंगे। ऐसे पोस्ट ज्यादा दिखेंगे जिनसे वो इंटरैक्ट करता है। हालांकि, फेसबुक की इंटरनल रिसर्च में सामने आया कि इन बदलावों का उसे नुकसान हो रहा है। रिसर्च में कंपनी ने पाया कि हेटफुल, विभाजनकारी और सांप्रदायिक कंटेंट में सबसे ज्यादा एंगेजमेंट होता है। ये दावा व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस होगेन ने एक इंटरव्यू में किया।

वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक फेसबुक के डेटा साइंटिस्ट्स ने इस तरह के कंटेंट को कम करने की कोशिश की, लेकिन मार्क जुकरबर्ग ने इनमें से कुछ बदलाव का विरोध किया, क्योंकि इन बदलावों से एंगेजमेंट कम हो सकता था।

इन सभी आरोपों पर फेसबुक का क्या कहना है?

फेसबुक के CEO मार्क जकरबर्ग ने कहा है कि इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है कि सोशल मीडिया का एक ऐप बच्चों को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा फेसबुक कभी फायदे को सुरक्षा के मुकाबले में तवज्जो नहीं देती है। फेसबुक कर्मचारियों को लिखे ब्लॉग में उन्होंने कहा है, हम जानबूझकर ऐसे कंटेंट को आगे नहीं बढ़ाते जो लोगों को नुकसान पहुंचाएं।

फेसबुक पर भारत से जुड़े कैसे-कैसे आरोप लग चुके हैं?

अगस्त 2020 में वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद से फेसबुक को भारत में जांच का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी की सीनियर एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने BJP से जुड़े लोगों और पेजों पर -कंपनी के हेट-स्पीच नियम लागू करने का विरोध किया था। भारत 32.8 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के साथ फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है। इसके बाद अंखी दास को इस्तीफा देना पड़ा था।

फेसबुक पर भाजपा नेताओं के भड़काऊ पोस्ट पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगे थे। वहीं भाजपा ने फेसबुक पर राष्ट्रवादी कंटेंट को सेंसर करने का आरोप लगाया था। भारत में फेसबुक की ही कंपनी वॉट्सऐप की जांच हो रही है। CCI वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी की जांच कर रहा है। अप्रैल में दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक और वॉट्सऐप की एक याचिका खारिज कर दी थी। इस याचिका में CCI के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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