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भारत के लिये संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व - श्रीनारद मीडिया

भारत के लिये संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व

भारत के लिये संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

फ्रांस के दो दिवसीय दौरे के बाद  पीएम मोदी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचे। अबू धाबी हवाई अड्डे पर क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

इसके बाद पीएम मोदी और यूएई के राष्ट्रपति यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच वार्ता द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए। दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट किया। पीएम मोदी ने लिखा,”विश्व को बेहतर बनाने के लिए दोनों देश कई क्षेत्रों में काफी मेहनत कर रहे हैं। यूएई में गर्मजोशी से मेरी स्वागत के लिए मैं महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद देता हूं।”

बैठक को लेकर विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

विदेश मंत्रालय ने दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक को लेकर जानकारी साझा की है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक,दोनों नेताओं के बीच व्यापार और निवेश, फिनटेक, ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु कार्रवाई, उच्च शिक्षा सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। बैठक के दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

अबू धाबी में खुलेगा आईआईटी दिल्ली का परिसर

शिक्षा क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता भी हुआ। आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) का परिसर अब अबू धाबी में भी खोला जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और अबूधाबी के शिक्षा विभाग ने शनिवार को अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली परिसर की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। आईआईटी दिल्ली के पूर्व डीन शिक्षाविद को आईआईटी अबू धाबी का समन्वयक बनाया गया है।

  • UAE की गैर-टैरिफ बैरियर का अनुपालन: UAE की टैरिफ संरचना GCC (औसत टैरिफ दर 5% लागू) के साथ जुड़ी हुई है, इसलिये गैर-टैरिफ बैरियर (Non-Tariff Barriers- NTBs) को संबोधित करने का दायरा अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • NTBs का प्रभाव गैर-टैरिफ उपायों (Non-Tariff Measures- NTMs) के माध्यम से देखा जा सकता है जो अधिकांशतः ‘सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी’ (SPS) और ‘टेक्निकल बैरियर्स टू ट्रेड’ (TBT) द्वारा कवर किया जाता है।
      • SPS अधिसूचनाएँ मुख्य रूप से जीवित कुक्कुट, मांँस और प्रसंस्कृत भोजन से संबंधित हैं, जबकि TBT अधिसूचनाओं का संबंध मछली, खाद्य योजक, मांँस, रबर, विद्युत मशीनरी आदि से है।
      • ये अनुपालन भारतीय निर्यातकों के लिये चुनौती पेश करते हैं।
    • FTA समझौते को NTBs के उपयोग में अधिक पारदर्शिता और पूर्वानुमेयता लाने का प्रयास करना चाहिये ताकि उनका अनुपालन कम बोझपूर्ण बने।
    • भारत-UAE व्यापार समझौते के लाभों को बढ़ाना: निर्यात में भारत की नई शक्ति के साथ UAE जैसे महत्त्वपूर्ण देश के साथ एक व्यापार समझौते का होना विकास की गति को बनाए रखने में मदद करेगा।
      • चूँकि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव घटित हो रहा है, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और अन्य इंजीनियरिंग उत्पादों के लिये संयुक्त अरब अमीरात एक आकर्षक निर्यात बाज़ार की स्थिति रखता है।
      • चूँकि संयुक्त अरब अमीरात और भारत दोनों ही कई महत्त्वपूर्ण देशों के साथ FTAs को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं, न केवल इन दोनों देशों की कंपनियाँ बल्कि अन्य भौगोलिक क्षेत्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी संयुक्त अरब अमीरात और भारत को निवेश के लिये एक आकर्षक बाज़ार के रूप में देख सकेंगी।
    • UAE का आर्थिक महत्त्व 

      • संयुक्त अरब अमीरात न केवल मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया के संदर्भ में बल्कि विश्व स्तर पर भी एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक केंद्र के रूप में उभरा है।
        • UAE की रणनीतिक स्थिति के कारण इसका उभार एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक केंद्र के रूप में हुआ है।
      • हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात ने अपने ‘विज़न 2021’ के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास किया है।
        • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के एक दस्तावेज के अनुसार वर्ष 2012 से UAE की अर्थव्यवस्था के विकास का नेतृत्व गैर-हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों ने किया है जो देश की अर्थव्यवस्था के सफल विविधीकरण को रेखांकित करता है।
      • यद्यपि संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाया है, लेकिन हाइड्रोकार्बन क्षेत्र अभी भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण बना हुआ है, जिसके बाद सेवा और विनिर्माण क्षेत्र अपना योगदान दे रहे हैं।

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