ढूंढे नहीं मिल रहे सम्मान निधि हथियाने वाले किसान

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श्रीनारद मीडिया, लक्ष्‍मण सिंह, अंबेडकरनगर (यूपी):

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का फायदा उठाने के बाद अब लाभार्थी ई-केवाईसी कराने से बच रहे हैं। जिले के ऐसे 1.17 किसान कृषि विभाग की परेशानी बढ़ा रहे हैं। गांवों में सत्यापन के दौरान यह किसान ढूंढने पर भी नही मिल रहे हैं। ऐसे में लाभार्थियों का सत्यापन न हो पाने से पूरी योजना में बड़े फर्जीवाड़ा की आशंका भी जतायी जाने लगी है।शासन स्तर से ई-केवाईसी कराने के दिए गए कई मौकों के बाद भी इन लाभार्थियों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आ रही है। इसके चलते ही ऐसे लाभार्थियों की अब अगली किस्त राशि पर ब्रेक लगना तय माना जा रहा है।जिले में पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पाने के लिए 3.90 लाख किसान चिह्नित हुए थे। इनमें बड़ी संख्या में अपात्र लोगों के शामिल होने की शिकायत के बाद शासन ने सभी लाभार्थियों के ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया था। इसके लिए लाभार्थी किसानों को सुविधा दी गई थी कि वह स्वयं किसी जनसेवा केंद्र के माध्यम से अपना ई-केवाईसी कराना सुनिश्चित करें। ईकेवाईसी न कराए जाने पर अगली किस्त का लाभ रोक दिया जाएगा।
इसके साथ ही सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे किसानों के भूमि सत्यापन का कार्य भी शुरू कराया गया। यह कार्य लेखपाल व कृषि विभाग की संयुक्त टीमों द्वारा किया जा रहा है। अब तक जिले के 2.72 लाख किसानों ने ही अपना ई-केवाईसी कराया है जबकि 1.17 लाख लाभार्थी किसान लगातार मौका मिलने के बाद ई-केवाईसी कराने से बच रहे हैं।
इतनी बड़ी संख्या में किसानों के ई-केवाईसी न कराना कृषि विभाग के साथ ही राजस्व टीम के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। चौकाने वाली बात यह कि अधिकांश गांवों में सत्यापन को पहुंच रही टीम को खोजे से भी ऐसे लाभार्थी किसान ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।फिलहाल शासन इसमें शिथिलता बरतते हुए ई-केवाईसी कराने के लिए 25 अगस्त तक बढ़ायी गयी मियाद भी बीत चुकी है। ऐसे में ई-केवाईसी न कराने वाले लाभार्थी किसानों की अगली किस्त राशि पर रोक लगाना तय माना जा रहा है।
तेजी से चल रहा सत्यापन
योजना के आवेदन करने व लाभ उठाने वाले किसानों के सत्यापन का कार्य तेजी से पूरा कराया जा रहा है। इस दौरान काफी संख्या में ऐसे किसान चिह्नित हुए हैं जो अपात्र होने के बाद भी योजना का लाभ उठा रहे थे। ऐसे लोगों का नाम सूची से हटाने की कार्रवाई भी की जा रही है।
पीयूष राय, जिला कृषि अधिकारी

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