Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
सुखाड़ की स्थिति में किसान कम अवधि वाले तेलहन की खेती करें .. कृषि विज्ञान केन्द्र - श्रीनारद मीडिया

सुखाड़ की स्थिति में किसान कम अवधि वाले तेलहन की खेती करें .. कृषि विज्ञान केन्द्र

सुखाड़ की स्थिति में किसान कम अवधि वाले तेलहन की खेती करें .. कृषि विज्ञान केन्द्र

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

वर्षा नहीं होने की स्थिति में किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि किसान खरीफ मौसम में मुख्य रूप से धान की खेती करते हैं परंतु इस बार धान की खेती के लिए अपेक्षित बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है । जहां सिंचाई की सुविधा है वहां किसान धान की रोपाई कर लिए हैं जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा नहीं है वहां धान की नर्सरी खराब हो गई । रबी मौसम आने में अभी काफी समय है ।

खरीफ और रबी के बीच के अंतराल में खेत खाली रहने से किसान को और भी नुकसान होगा ।नुकसान से बचने के लिए किसान कैश क्रॉप की खेती कर सकते हैं । यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र की वरिष्ठ बैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ अनुराधा रंजन कुमारी ने कही । उन्होंने कहा कि कैश क्रॉप खेती खरीफ और रबी के बीच की जाने वाली खेती है । इसमें खेत और अपने उपलब्ध संसाधन का उपयोग करके किसान 60 से 65 दिनों में तैयार होने वाली तिलहनी फसल तोरिया की खेती कर सकते हैं ।

साथ ही साथ सब्जी, मटर ,मिर्च ,फूल गोभी टमाटर, बैंगन की खेती किसान कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि तोरिया की कटाई के बाद में रबी सीजन में गेहूं की फसल दलहन और तिलहन की खेती की जा सकती हैं । उन्होंने कहा कि किसान तकनीकी विधि से तोरिया की खेती करके 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज ले सकते हैं। एक हेक्टेयर के लिए 4 किलोग्राम बीज का लागत आता है।

उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि उन्नत बीज का ही प्रयोग करें । कम अवधि वाले तोरिया की खेती अगस्त के अंतिम तथा सितंबर के प्रथम सप्ताह में करने की सलाह दी । उन्होंने तोरिया बीज की प्रजाति भवानी पीटी- 303, पीटी-30 उत्तरा टाइप 9, तपेश्वरी और आजाद चेतना आदि को कम अवधि वाला बताया ।

यह भी पढ़ें

मुखिया व उपमुखिया का तीन दिवसीय गैर आवासीय प्राम्भिक प्रशिक्षण शुरू

पढ़ाई के साथ खेल में भी ढूंढ़े बच्चों का बेहतर भविष्य

रक्षाबन्धन महोत्सव की महत्ता सर्वव्यापी है– आचार्य रंगनाथ उपाध्याय

 बड़ी खबर:   झरही नदी में स्‍नान करने के दौरान  एक ही परिवार के पांच लोगों की डूबने से हुई मौत

बेमेल गठबंधन के उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है,कैसे?

देश के 14वें उप राष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़

हर घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना क्यों है?

Leave a Reply

error: Content is protected !!