फाइलेरिया उन्मूलन अभियान- पीड़ितों को राहत और जीवनस्तर में सुधार करना एमएमडीपी किट देने का मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान- पीड़ितों को राहत और जीवनस्तर में सुधार करना एमएमडीपी किट देने का मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन

रोगियों को घर पर ही समुचित देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराना हमारी उपलब्धि: डॉ ओपी लाल

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श्रीनारद मीडिया, सीवान  (बिहार):

 

फाइलेरिया (हाथीपांव/हाइड्रोसिल) जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगियों की देखभाल को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग पहले से कहीं ज़्यादा सजग हो गई है। जिसको लेकर जिले में चिन्हित फाइलेरिया मरीजों को शत- प्रतिशत
रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट उपलब्ध कराई जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (फाइलेरिया) डॉ श्यामा राय द्वारा राज्य के सभी वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किया गया हैं। क्योंकि बिहार के सभी 38 जिले फाइलेरिया प्रभावित घोषित हैं, जहां वर्तमान में 1, 58, 644 हाथीपांव के मरीज चिन्हित किया गया हैं। ताकि उक्त सभी मरीजों को वर्ष में एक बार एमएमडीपी किट निः शुल्क मुहैया कराई जाए, जिससे वे लोग अपने प्रभावित अंगों की नियमित रूप से देखभाल कर सकें और जीवन की गुणवत्ता बेहतर करने में अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर सकें।

सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि फाइलेरिया (हाथीपांव) एक संक्रामक रोग है, जो मच्छर के माध्यम से फैलता है, जो कई वर्षों तक हमलोगों के शरीर में रहने के बाद अपना असली रूप यानी लक्षण दिखाना शुरू करता है। हालांकि यह मुख्य रूप से पैर, हाथ या शरीर के अन्य अंगों की सूजन का कारण बनता है, जिससे रोगी को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया पीड़ितों को रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट प्रदान की जाती है, जिसका उद्देश्य रोगियों को घर पर ही समुचित देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराना है।फाइलेरिया मरीजों को दी जाने वाली एमएमडीपी किट में साफ- सफाई से संबंधित आवश्यक सामान जैसे- साबुन, ऐंटिसेप्टिक, तौलिया, मरहम, पट्टी, और आवश्यक दवाएं होती हैं। इसके माध्यम से मरीज अपने प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई कर संक्रमण से अपने आपको बचा सकते हैं। साथ ही इससे अंगों की सूजन कम करने में भी मदद मिलती है।

एमएमडीपी किट केवल एक उपचार सामग्री नहीं, बल्कि यह सरकार की संवेदनशीलता का प्रतीक: डॉ ओपी लाल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीडीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल के अनुसार
जिले के सभी सूचीबद्ध फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट ससमय देने के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आम) के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है कि शत प्रतिशत किट का वितरण सुनिश्चित किया जाए। क्योंकि इस अभियान की सतत निगरानी विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है। किट वितरण के साथ- साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों सहित पीरामल स्वास्थ्य के पीओसीडी द्वारा रोगियों को सही तरीके से उपयोग करने के लिए विस्तार पूर्वक जानकारी भी दी जाती है, ताकि नियमित रूप से प्रभावित अंगों की देखभाल किया जा सके।हालांकि एमएमडीपी किट केवल एक उपचार सामग्री नहीं, बल्कि यह सरकार की उस संवेदनशीलता का प्रतीक है, जो वह गरीब और असहाय रोगियों के प्रति दिखाती है।

जिले में फाइलेरिया के 6008 मरीजों को किया गया सूचीबद्ध: नोडल अधिकारी
फाइलेरिया के नोडल अधिकारी सह वीडीसीओ प्रीति आनंद ने बताया कि सिवान जिले में फाइलेरिया के 6008 मरीजों को सूचीबद्ध किया गया है। जिसमें हाथीपांव के 5417 जबकि हाइड्रोसिल के 591 रोगी शामिल हैं। वहीं विभागीय स्तर पर जिले में फ़िलहाल 980 रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) उपलब्ध कराया गया है। जिसमें बड़हरिया 125, बसंतपुर 50, भगवानपुर हाट 55, दरौली 70, दारौंदा 140, गोरेयाकोठी 30, गुठनी 75, हसनपुरा 15, हुसैनगंज 35, लकड़ी नबीगंज 20, महाराजगंज 55, मैरवा 60, नौतन 15, पचरुखी 100, रघुनाथपुर 60, सिसवन 25, सदर प्रखंड 35 और जिरादेई को 15 किट दिया गया है। ताकि उसका ससमय सदुपयोग करने के लिए मरीजों को दिया जाए। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पीरामल स्वास्थ्य के द्वारा संयुक्त रूप से फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी से संबंधित प्रशिक्षित किया जाता है। ताकि हाथीपांव को आसानी से सफाई की जा सकें।

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