अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चौथी वर्षगाँठ और जम्मू-कश्मीर में स्थिरता!

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चौथी वर्षगाँठ और जम्मू-कश्मीर में स्थिरता!

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370—जिसने पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य (अब केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तथा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में विभाजित) को अस्थायी रूप से विशेष दर्जा प्रदान किया था, को निरस्त किये जाने की चौथी वर्षगाँठ पर केंद्रीय गृह मंत्री ने एक बार फिर ज़ोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 ने केवल भ्रष्टाचार और अलगाववाद को बढ़ावा दिया था तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने के लिये इसे निरस्त करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण था।

भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 क्या है?

  • परिचय: 17 अक्तूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को एक ‘अस्थायी उपबंध’ (temporary provision) के रूप में भारतीय संविधान में जोड़ा गया था, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष छूट प्रदान की थी, इसे अपने स्वयं के संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति प्राप्त हुई थी और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को नियंत्रित रखा गया था।
    • इसे एन. गोपालस्वामी अयंगर द्वारा संविधान के मसौदे में अनुच्छेद 306A के रूप में पेश किया गया था।
    • अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य की संविधान सभा को यह अनुशंसा करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान के कौन-से अनुच्छेद राज्य पर लागू होंगे।
    • राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा भारत के राष्ट्रपति को इसके उपबंधों और दायरे में संशोधन कर सकने की शक्ति प्रदान की गई थी।
  • अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से व्युत्पन्न हुआ था जिसे इसे जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुशंसा पर वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश (Presidential Order) के माध्यम से पेश किया गया था।
    • अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों (special rights and privileges) को परिभाषित करने का अधिकार देता था।
  • 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019’ जारी किया। इसके माध्यम से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 में संशोधन किया (उल्लेखनीय है कि इसे रद्द नहीं किया)।

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा की वर्तमान स्थिति

  • पथराव की घटनाओं और उग्रवाद में कमी:
    • सुरक्षा बलों की उपस्थिति में वृद्धि और NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से पथराव की घटनाओं (stone pelting) में कमी आई।
    • पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी: जनवरी-जुलाई 2021 में पथराव की 76 घटनाएँ दर्ज हुईं, जबकि इसी अवधि में वर्ष 2020 में 222 और 2019 में 618 घटनाएँ दर्ज हुई थीं।
    • सुरक्षा बलों को लगी चोटों में गिरावट आई और यह 64 (2019) से घटकर 10 (2021) रह गया।
    • पेलेट गन और लाठीचार्ज से नागरिकों को लगी चोटों की घटना 339 (2019) से घटकर 25 (2021) रह गई।
    • जम्मू-कश्मीर में बेहतर कानून-व्यवस्था स्थपित हुई जहाँ वर्ष 2022 में विधि-व्यवस्था भंग होने की केवल 20 घटनाएँ दर्ज हुईं।

  • उग्रवादियों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की गिरफ़्तारियाँ:
    • उग्रवादी समूहों के OGWs की गिरफ्तारियाँ 82 (2019) से बढ़कर 178 (2021) हो गईं।
    • आतंकवादी कृत्यों में गिरावट: अगस्त 2019 से जून 2022 के बीच इसके पिछले 10 माह की तुलना में आतंकवादी कृत्यों में 32% की गिरावट दर्ज की गई।

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विकास:

  • विकास परियोजनाएँ:
    • भारत सरकार ने सड़क एवं रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा अवसंरचना, पर्यटन एवं विरासत को प्रोत्साहन, खेल एवं युवा सशक्तीकरण आदि से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है।
      • सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिये प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) के तहत 54 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
    • सरकार ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं—जैसे आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि को भी लागू किया है।
      • आयुष्मान भारत योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 21 लाख से अधिक लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है और 1.5 लाख से अधिक लाभार्थियों ने निशुल्क चिकित्सा का लाभ उठाया है।
    • पर्यटन और निवेश के लिये एक गंतव्य के रूप में जम्मू-कश्मीर की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिये सरकार ने श्रीनगर में G20 पर्यटन कार्यसमूह की बैठक आयोजित की।
      • यह जम्मू-कश्मीर में इस क्षेत्र को देश और दुनिया के शेष भागों के साथ एकीकृत करने वाला पहला महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आयोजन था।
    • सरकार ने निवेश आकर्षित करने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिये जम्मू-कश्मीर में अन्य व्यावसायिक बैठकों की भी मेजबानी की है।
      • जून 2022 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एक वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन (Global Investors Summit) का भी आयोजन किया, जिसमें 200 से अधिक घरेलू और विदेशी कंपनियों की भागीदारी देखी गई।
      • इस शिखर सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिये कृषि, बागवानी, हस्तशिल्प, पर्यटन, आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा आदि विभिन्न क्षेत्रों एवं अवसरों को चिह्नित किया गया।
    • इन घटनाक्रमों ने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था और आजीविका को बढ़ावा देने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इन्होंने जम्मू-कश्मीर के एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र होने की वैश्विक धारणा को बदलने और एक शांतिपूर्ण एवं समृद्ध गंतव्य के रूप में इसकी क्षमता को उजागर करने में भी मदद की है।
  • राजनीतिक सुधार:
    • ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र की बहाली: सरकार ने दिसंबर 2020 में जम्मू-कश्मीर में पहली बार ज़िला विकास परिषद (DDC) के चुनाव कराए, जिसमें 51.42% का उच्च मतदान स्तर दर्ज किया गया।
    • सरकार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 में भी संशोधन किया है जहाँ पंचायतों में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिये सीटों को आरक्षित किया गया।
    • सरकार ने नवीनतम जनगणना आँकड़ों के आधार पर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने के लिये परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू की है।
  • सुरक्षा उपाय:
    • सुरक्षा बलों ने पिछले चार वर्षों में 800 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है और आतंकवादी संगठनों के 5,000 से अधिक ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ़्तार किया है।

जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:

  • चुनौतियाँ और चिंताएँ:
    • लक्षित हत्याओं, विशेष रूप से कश्मीरी हिंदुओं और गैर-कश्मीरियों (प्रवासी मज़दूरों) की हत्याओं में वृद्धि देखी गई।
      • 5 अगस्त, 2019 के बाद से हुई नागरिक हत्याओं के आधे से अधिक पिछले आठ माह में दर्ज किये गए।
    • सीमा पार से सस्ते किस्म के ड्रोन द्वारा गिराये गए छोटे हथियारों का इस्तेमाल इन हत्याओं में किया गया।
    • महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि देखी गई है।
  • नज़रबंदी और अभिव्यक्ति का दमन:
    • 5 अगस्त और 9 अगस्त, 2019 की निरस्तीकरण की कार्रवाई के विरुद्ध उभरे विरोध प्रदर्शन के दमन के लिये 5,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था।
    • असहमत राय व्यक्त करने के लिये पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया।
  • उग्रवाद का पुनरुत्थान:
    • पीर पंजाल क्षेत्र में उग्रवाद का फिर से उभार हुआ जहाँ पिछले 15 वर्षों में इसमें गिरावट देखी गई थी।
    • CRPF जवानों के हताहत होने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
  • राजनीतिक अभिव्यक्तियों का दमन:
    • शांति और सुरक्षा के नाम पर कई वर्षों से जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नज़रबंदी की कार्रवाई जारी रही है।
      • राजनीतिक नेताओं को शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति नहीं दी गई और उनके कार्यालय सील कर दिये गए।
    • भूमि हस्तांतरण, सीमा-पार व्यापार की समाप्ति और स्थानीय व्यवसायों में गिरावट निरंतर बनी रही समस्याएँ हैं।
    • विधानसभा चुनाव पाँच वर्ष के लिये स्थगित कर दिये गए (अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से)।
  • बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार:
    • बेरोज़गारी चिंताजनक रूप से 23.1% के स्तर पर है, जो राष्ट्रीय औसत से काफ़ी ऊपर है। हालाँकि सरकारी नौकरियों में नियुक्तियाँ हुई हैं, फिर भी बड़ी संख्या में रिक्तियाँ बनी हुई हैं।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में धारा 370 की समाप्ति के बाद के परिदृश्य में कुशलता से आगे बढ़ना आवश्यक है। इसलिये लिये निम्नलिखित उपाय करने होंगे-

  • सामान्य स्थिति और विश्वास बहाल करना:
    • विश्वास-निर्माण के लिये सामान्य स्थिति बहाल की जाए।
    • राजनीतिक बंदियों को रिहा करें, बातचीत को बढ़ावा दें, स्थानीय नेताओं को संलग्न करें।
  • समावेशी शासन और भागीदारी:
    • विविध आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये समावेशी शासन को बढ़ावा दिया जाए।
    • स्थानीय चुनावों का शीघ्र आयोजन हो, राजनीतिक मंचों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाया जाए।
  • आर्थिक विकास और निवेश:
    • अवसंरचना, पर्यटन, प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक विकास पर ध्यान दिया जाए।
    • विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs), प्रोत्साहन (incentives), SME का समर्थन।
  • सुरक्षा और शांति को सुदृढ़ करना:
    • विकास के लिये सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जाए।
    • उग्रवाद का मुक़ाबला करें, स्थानीय कानून प्रवर्तन को सशक्त करें।
  • सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करना:
    • सांस्कृतिक भिन्नताओं को स्वीकार करें और उनका सम्मान करें।
    • संस्कृति का संरक्षण करें, क्षेत्रीय हितों को संतुलित करें।
  • अवसंरचना और कनेक्टिविटी:
    • व्यापार, पर्यटन आदि के विकास लिये कनेक्टिविटी बढ़ाएँ।
    • डिजिटल अवसंरचना, शिक्षा, व्यवसाय को बढ़ावा दें।
  • अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति:
    • स्पष्ट रुख के साथ बाह्य धारणाओं का प्रबंधन किया जाए।
    • सीमा विवादों को सुलझाएँ, पड़ोसी देशों के साथ संलग्नता बढ़ाई जाए।

सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें आर्थिक विकास, समावेशी शासन, सुरक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और प्रभावी कूटनीति का संयोजन हो, ताकि क्षेत्र की अखंडता को बनाए रखते हुए इसके नागरिकों के लिये एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

Leave a Reply

error: Content is protected !!