छपरा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध: सिविल सर्जन

छपरा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध: सिविल सर्जन
• ब्लड बैंक में रक्त की पूर्ति के लिए नियमित तौर लगाया जाता है रक्तदान शिविर
• हर व्यक्ति को थैलेसीमिया की जांच करना आवश्यक
• थैलेसीमिया वाहक माता-पिता अपने प्रत्येक गर्भ का थैलेसीमिया जांच आवश्य कराएं
• समाजसेवी संस्थाओं के मदद से लगाया जाता है रक्तदान शिविर

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श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर/छपरा (बिहार):

 

छपरा। जिले में थैलेसीमिया के मरीजों को अब नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है। उक्त बातें सारण के सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने रविवार को सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए कही। लांयस क्लब, छपरा की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 25 से अधिक लोगों ने रक्तदान किया।

मौके पर सीएस डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि ब्लड बैंक में थैलेसीमिया के मरीजों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। पहले मरीज के घर परिवार के सदस्य या रिश्तेदारों को ब्लड देना पड़ता था उसके बदले में ब्लड बैंक से ब्लड दिया जाता था, लेकिन अब बिनी किसी एक्सचेंज के थैलेसीमिया के मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है।

 

सिविल सर्जन बताया कि जिले में करीब 10 से 12 ऐसे थैलेसीमिया के मरीज है जिनको डेलीबेस पर नि:शुल्क बल्ड दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतीक कुमार यादव नामक थैलेसीमिया मरीज को भी ब्लड बैंक के माध्यम से रक्त प्रदान किया गया, और इस नेक कार्य के लिए लायंस क्लब ऑफ़ छपरा की प्रशंसा की। बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल थैलेसीमिया योजना जिले के बच्चों को थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से न सिर्फ बचाने, बल्कि उनके बेहतर इलाज की भी व्यवस्था कर रही है। सरकार की इस योजना का उद्देश्य जागरूकता, समय पर जांच और समुचित इलाज से थैलेसीमिया की रोकथाम और नियंत्रण सुनिश्चित करना है। राज्य में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में थैलेसीमिया के इलाज के लिए डे-केयर सेंटर की स्थापना की गई है।

लायंस क्लब छपरा के सदस्यों ने किया रक्तदान:
सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में स्वंयसेवी संस्था लायंस क्लब, छपरा के तरफ से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा के द्वारा किया गया। इस दौरान करीब 25 सदस्यों ने रक्तदान किया। लायंस क्लब ऑफ़ छपरा के अध्यक्ष डॉ. विकाश कुमार सिंह ने बताया कि यह शिविर केंद्र सरकार द्वारा जारी उस परामर्श के परिप्रेक्ष्य में आयोजित किया गया है, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न तनाव और युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए रक्त संग्रहण की आवश्यकता जताई गई है।

 

शिविर का संचालन ब्लड बैंक की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. किरण ओझा, कस्टोडियन धर्मवीर कुमार, लैब टेक्नीशियन गुड्डू कुमार, काउंसलर पूनम कुमारी एवं अविनाश कुमार के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। रक्तदाताओं में प्रभात कुमार तिवारी, हितेन्द्र ठाकुर, अमित कुमार, आशुतोष कुमार, अनूप कुमार, शाकिब राजा, रवि शंकर सिंह, सद्दाम अली, राहुल राज सहित अन्य कई सेवा-भावना से ओतप्रोत युवा शामिल हुए। इन सभी ने “रक्तदान – जीवनदान” के संकल्प को जीवंत किया। लायंस क्लब के चार्टर्ड अध्यक्ष लायन सुशील कुमार वर्मा, सचिव लायन राकेश मिश्रा, एवं शिविर अध्यक्ष लायन हितेन्द्र ठाकुर की सक्रिय भागीदारी रही।

क्या है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण असामान्य होता है। यह रोग बच्चों में जन्म से ही हो सकता है, खासकर तब जब माता-पिता दोनों इसके वाहक (Carrier) हों।
पहचान और लक्षण:
छोटे बच्चों में थकावट, खून की कमी, वजन न बढ़ना जैसे लक्षण थैलेसीमिया की पहली पहचान हो सकते हैं।

थैलेसीमिया मेजर के गंभीर लक्षणों में:
• पीलापन
• शरीर की वृद्धि रुकना
• शरीर का फूलना
• कंकाल से जुड़ी विकृतियां शामिल हैं
थैलेसीमिया माइनर और इसका असर:
थैलेसीमिया माइनर वाले व्यक्तियों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते। वे केवल वाहक होते हैं लेकिन जब दो वाहक शादी करते हैं, तो संतान में थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में सामान्य जीवन जी रहे व्यक्ति को भी समय रहते जांच करवानी चाहिए।
रोकथाम के उपाय:
• हर व्यक्ति को थैलेसीमिया वाहक होने की जांच करानी चाहिए।
• यदि कोई थैलेसीमिया वाहक है, तो उसे दूसरे वाहक से विवाह नहीं करना चाहिए।
• गर्भवती महिलाएं थैलेसीमिया जांच अवश्य कराएं।
• थैलेसीमिया बच्चों के रिश्तेदारों को भी अपनी जांच करानी चाहिए।
ऑनलाइन पंजीकरण:
थैलेसीमिया एवं हीमॉफीलिया रोगी वेबसाइट thalassemiaregistry.bihar.gov.in पर जाकर अपना निःशुल्क पंजीकरण कर सकते हैं।

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