ऑपरेशन सिंदूर से बालाकोट तक की शेरनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायु सेना (IAF) की अधिकारी विंग कमांडर निकिता पांडे को रिटायर किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। निकिता ने ऑपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर में अहम योगदान दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि अधिकारियों के सामने अपने दीर्घकालिक करियर की संभावनाओं को लेकर अनिश्चितता चिंताजनक है, इसलिए एक अपडेटेड नीति के जरिए अधिकारियों की चिंताओं को दर्ज किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि विंग कमांडर निकिता पांडे शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिए भारतीय वायु सेना में भर्ती हुईं थीं।
निकिता पांडे ने याचिका में क्या मांग की है?
विंग कमांडर निकिता पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में स्थायी कमीशन के लिए उनके आवेदन पर स्पेशल सेलक्शन बोर्ड की ओर से फैसला लिए जाने तक सेवा में बने रहने की अपील की है। बता दें निकिता पांडे को उनकी प्रारंभिक 10 साल के कार्यकाल पूरा किए जाने के बाद 19 जून 2025 तक सेवा विस्तार (Service Extension) दिया गया था।
याचिका में विंग कमांडर निकिता की ओर से कहा गया, “महिला अधिकारियों को भारतीय वायु सेना में 1992 से शामिल किया जा रहा है, जो अब 30 वर्ष से अधिक हो चुका है, फिर भी उन्हें शामिल करने के लिए अब भी इकलौता विकल्प SSC के माध्यम से ही है, जबकि उनके पुरुष समकक्षों के पास SSC और स्थायी कमीशन दोनों के रूप में कमीशन होने का विकल्प है।”
जब तकनीक और हालात इतने बदल चुके हैं, तो 30 साल पुरानी नीतियों के आधार पर महिलाओं को स्थायी कमीशन से वंचित करना गलत है। अगर वो हर तरह से योग्य हैं, तो सिर्फ जेंडर के आधार पर भेदभाव क्यों?, वह भी तब अगर वे वर्दी पहनने के साथ आने वाली भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को लेने के लिए योग्य हैं।
निकिता पांडे, विंग कमांडर, भारतीय वायु सेना
विंग कमांडर निकिता पांडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी और अधिवक्ता आस्था शर्मा ने दलील दी कि उन्हें उनके रणनीतिक कौशल और अनुभव के कारण ऑपरेशन सिंदूर के लिए चुना गया था।
शीर्ष अदालत ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, “अनिश्चितता की भावना सशस्त्र बलों के लिए अच्छी नहीं हो सकती। क्योंकि महिला SSC अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन का कोई सुनिश्चित मौका नहीं है, इसलिए 10 साल पूरे होने के बाद इन अधिकारियों के बीच आंतरिक प्रतिस्पर्धा होने लगता है।”
मान लीजिए, अगर आप 100 एसएससी अधिकारी लेते हैं, तो आप उन्हें स्थायी कमीशन के लिए विचार करते हैं। यह अलग बात है कि सभी योग्य नहीं हो सकते हैं। लेकिन हमें लगता है कि यह आपसी योग्यता और प्रतिस्पर्धा बहुत परेशानी का कारण बनती है
शॉर्ट कमीशन और स्थायी कमीशन में क्या अंतर होता है?
भारतीय सेना में दो तरीके से भर्तियां की जाती हैं। पहला शॉर्ट सर्विस कमीशन और दूसरा स्थायी कमीशन। शॉर्ट सर्विस के जरिए किसी भी कैंडिडेट को दस साल के लिए सेना में भर्ती किया जाता है। इसमें 14 साल तक के लिए एक्सटेंशन दिया जा सकता है।
- महिलाओं को सेना में शॉर्ट सर्विस के जरिए ही कमीशन किया जाता है।
- हालांकि कई बार महिलाओं को स्थायी कमीशन भी दिया जाता रहा है।
- स्थायी कमीशन में व्यक्ति रिटायरमेंट तक की उम्र में सेना में सेवाएं दे सकता है।
- सेना में पेंशन पाने का हकदार वहीं होता है जिसने 20 साल तक सेना को सेवा दी हो।
कौन हैं Wing Commander Niketa Pandey?
निकिता पांडे Indian Air Force में विंग कमांडर के तौर पर सेवा दे रहीं हैं। वह साल 2011 में एयरफोर्स में शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए भर्ती हुईं थीं। उन्होंने साढ़े 13 साल से अधिक समय तक वायु सेना में अपनी सेवाएं दी हैं।
अपनी सर्विस के दौरान निकिता ने जेट फ्लाइट कंट्रोलर के तौर पर अहम भूमिका निभाई हैं। विंग कमांडर निकिता ने ऑपरेशन सिंदूर और बालकोट जैसे मिशन में अहम योगदान दिया है। निकिता पांडे ने एयरफोर्स में स्थाई कमीशन के लिए दो मूल्यांकन में शामिल रहीं हैं और आखिरी मूल्यांकन यानी तीसरे चयन बोर्ड का इंतजार कर रहीं हैं। बता दें ऐसा पहली बार हुआ जब एयर फोर्स के किसी अधिकारी के रिटायमेंट पर अदालत ने रोक लगाई है।
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