युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का माध्यम है धरोहरः प्रो. सोमनाथ सचदेवा 

युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का माध्यम है धरोहरः प्रो. सोमनाथ सचदेवा

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक,  कुरुक्षेत्र  :

कुवि के धरोहर हरियाणा संग्रहालय की स्थापना दिवस के अवसर पर हवन यज्ञ आयोजित, सैल्फी कॉर्नर का हुआ उद्घाटन।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित धरोहर हरियाणा संग्रहालय के स्थापना दिवस के अवसर पर रविवार को हवन यज्ञ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा तथा विशिष्ट अतिथि कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा उपस्थित हुए। धरोहर म्यूजिम के स्थापना दिवस के अवसर पर सैल्फी कॉर्नर का उद्घाटन भी कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा द्वारा किया गया।

इस मौके पर कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि धरोहर हरियाणा संग्रहालय हरियाणा ही नहीं अपितु पूरे भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है जिसके माध्यम से हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया गया है। यह युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय हैै जिसने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए धरोहर जैसे संग्रहालय को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि धरोहर कल्चर, इतिहास व विश्वविद्यालय की दूरदृष्टि का परिणाम है।

यह एक ऐसा अद्भुत म्यूजिय़म है जिसमें पूरे हरियाणा की संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि धरोहर संग्रहालय में हरियाणा के ग्रामीण परिवेश को जिस तरीके से प्रस्तुत किया गया है वह हमारे सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हमेशा मिल-जुलकर रहने की रही है। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि समाज में जिस तरह से आज विकृतियां बढ़ रही हैं, ऐसे में जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए ऐसे संस्थानों की स्थापना करना जरूरी है।

कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का धरोहर हरियाणा संग्रहालय हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम कर रहा है। 28 अप्रैल 2006 को जिस पौधे को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने लगाया था आज वह हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनते हुए नई पीढ़ी को अपनी गौरवशाली संस्कृति के बारे में बता रहा है। धरोहर को स्थापित करने के सुखद परिणाम निकले हैं। आज कुरुक्षेत्र की पहचान का एक प्रतीक धरोहर संग्रहालय बन चुका है। कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने धरोहर म्यूजियम के सही रखरखाव के लिए क्यूरेटर डॉ. विवेक चावला व पूरी टीम की सराहना भी की।इस अवसर पर कुलपति ने धरोहर संग्रहालय की सराहना करते हुए इस के विस्तार योजना का भी आश्वासन दिया और जल्दी ही संग्रहालय के नए द्वार तथा दक्षिण भाग में नई संग्रहालय दीर्घा के निर्माण योजना पर सहमति जताई।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि धरोहर एक ऐसा संस्थान है जिसमें एक ही छत्त के नीचे सम्पूर्ण हरियाणा की संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं। धरोहर को जिस तरह से दर्शकों, कला-प्रेमियों व संग्रहालय से जुड़े विशेषज्ञों से सराहना मिल रही है वह काबिल-ए-तारीफ है। हरियाणा की संस्कृति के संरक्षण का काम पहली बार किसी विश्वविद्यालय ने किया है। आने वाली पीढिय़ों के लिए यह संग्रहालय निश्चित रूप से एक अमूल्य धरोहर साबित होगा।

इस अवसर पर संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. विवेक चावला ने कहा कि धरोहर हरियाणा संग्रहालय को पिछले वर्षाे में देश-विदेश के लाखों पर्यटकों ने देखा है इसके अतिरिक्त 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हरियाणा की इस सांस्कृतिक विरासत का अवलोकन किया है। धरोहर हरियाणा की संस्कृति की दुनिया में ब्रांडिंग करने में सफल रहा है। अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जिसे धरोहर में रखा जा सकता है। संस्कृति के संरक्षण के लिए उसे धरोहर में रखने की जरूरत है

इस अवसर पर धरोहर संग्रहालय के क्यूरेटर प्रो. विवेक चावला ने सभी मेहमानों व अतिथियों का विशेष आभार प्रकट किया। इस मौके पर डॉ. ममता सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा व उनकी धर्मपत्नी सुमिता शर्मा, संग्रहालय की संचालन समिति की अध्यक्षा प्रो. नीलम ढांडा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ए आर चौधरी, प्रोक्टर प्रो. सुनील ढींगरा, डीन प्रो. अरविंद मलिक, चीफ वार्डन (छात्र) प्रो. जसबीर ढांडा, चीफ़ वार्डन (छात्रा) प्रो. कुसुम लता , कंट्रोलर ऑफ़ एग्जाम्स डा. अंकेश्वर प्रकाश , डीन लॉ प्रो. अमित लुदरी, प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. एस के चहल , प्रो. संजीव अरोड़ा, आई आई एच एस की प्राचार्या प्रो. रीटा, निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग प्रो. महासिंह पुनिया, प्रो. अजय सुनेजा, प्रो. सुभाष कुमार, प्रो. राम विरंजन, डा. आनंद कुमार ( कुटा अध्यक्ष) , प्रो. पवन दीवान, प्रो. सलोनी दीवान, डा. रामचंद्र, डा. ज्ञान चहल, डा. रमेश ढांडा ( सेवानिवृत) प्राचार्य, डा. वीरेंद्र कुमार, वरिष्ठ पत्रकार विजय सभरवाल विशेष रूप से उपस्थित थे।

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