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होलिका दहन 2023:  जाने कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त - श्रीनारद मीडिया

होलिका दहन 2023:  जाने कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन 2023:  जाने कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

श्रीनारद मीडिया, सुनील मिश्रा, वाराणसी (यूपी):

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तिथियों के फेर से अबकी काशी में होली सात मार्च और काशी से अन्यत्र आठ मार्च को मनाई जाएगी। हालांकि होलिका दहन सभी स्थानों पर फागुन पूर्णिमा तिथि में छह–सात मार्च की मध्य रात्रि 12.23 से 1.35 के बीच किया जाएगा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार पूर्णिमा तिथि छह मार्च की शाम 3.56 बजे लग जा रही है, जो सात मार्च की शाम 5.39 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा छह को मिल रही है और सात को सूर्यास्त के पूर्व ही पूर्णिमा की समाप्ति हो जा रही है। इसलिए छह मार्च की शाम प्रदोष काल से संपर्क होने के कारण इसी रात होलिका दहन किया जाएगा।

इस तिथि में होगा होलिका दहन

पूर्णिमा तिथि आरंभ होने के साथ भद्रा भी आरंभ हो जाता है। इस बार छह मार्च की शाम 3.56 से लग रहा भद्रा सात की भोर 4.48 बजे तक रहेगा। इस स्थिति में छह-सात मार्च की मध्य रात्रि में 12.23 से 1.35 के बीच होलिका दहन श्रेयस्कर होगा।

देशभर में मनाई जाएगी 8 मार्च को होली

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार पूर्णिमा का मान सात मार्च की शाम तक प्राप्त हो रहा है। प्रतिपदा आठ मार्च को उदय व्यापिनी प्राप्त हो रही है। इसलिए धर्म शास्त्रीय अनुसार देशभर में (काशी से अन्यत्र) आठ मार्च को होली मनाई जाएगी।

ढोल-मजीरा के साथ होली

काशी में होली विशिष्ट परंपरा अनुसार किया जाता है। कारण कि होलिका जलने के अग्रिम दिन सायंकाल सहयोगिनी की यात्रा होती है, जिससे पूर्व काशीवासी अबीर-गुलाल के साथ उत्सव मनाते हुए ढोल-मजीरा के साथ चतु:षष्ठी योगिनी की यात्रा पूर्ण करते हैं और होली मनाते हैं।

काशी में सात मार्च को परंपरा अनुसार मनाई जाएगी होली

काशी में परंपरा, अन्यत्र शास्त्री विधान ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार काशी में होली परंपरा में प्रतिपदा तिथि की अपेक्षा नहीं रहती। यहां प्रतिपदा न मिलने पर भी जिस रात होलिका जलाई जाती है, उसके अगले दिन होली खेली जाता है। यह स्थिति 10–15 वर्षों में उत्पन्न होती है। इस कारण सिर्फ काशी क्षेत्र में होली सात मार्च को अपनी परंपरा अनुसार मनाई जाएगी। धर्मशास्त्रीय विधान अनुसार देश के अन्य भागों में आठ मार्च को होली मनाना उचित है।

काशी की विशिष्ट परंपरा

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार होली के पूर्व होलिका दहन का विधान फागुन पूर्णिमा को है। नियमानुसार फागुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा जिस दिन प्रदोष काल में प्राप्त हो उस रात्रि में भद्रा दोष से रहित काल में होलिका दहन का विधान है। भद्रा का मान पूर्ण रात्रि पर्यंत हो तो भद्रा के पुच्छ काल में होलिका जलाई जाती है। उसके बाद उदय काल में प्रतिपदा तिथि मिलने पर होली उत्सव का आयोजन होता है, लेकिन काशी में होली मनाने की विशिष्ट परंपरा है। अतः यहां सात मार्च को ही होली मनाई जाएगी।

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